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17 दिसंबर 2008

चौतरफा दबाव से आयातित मटर के भाव में मंदी जारी

आयातित मटर के भावों में पिछले दो महीने में 150 से 190 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। घरेलू बाजार में दलहनों खासकर चने के भावों में आई गिरावट का असर आयातित मटर के भावों पर पड़ रहा है। चालू रबी सीजन में मटर के बुवाई क्षेत्रफल में 2.29 लाख हैक्टेयर की बढ़ोतरी से उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। परिणामस्वरूप मटर के भावों में और भी गिरावट का अनुमान है।जलगांव मंडी के दलहन व्यापारी संतोष उपाध्याय ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आयातकों ने मटर के आयात सौदे कनाडा व अमेरिका से ऊंचे भावों पर किए थे। लेकिन घरेलू बाजारों में भावों में आई गिरावट से आयातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को मुंबई में कनाडा की सफेद मटर के भाव 1900 रुपये प्रति क्विंटल थे। जबकि इस समय इसके भाव घटकर 1710 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से अमेरिका से आयात होने वाली सफेट मटर के भाव 15 अक्टूबर को मुंबई में 1950 रुपये प्रति क्विंटल थे। लेकिन इसके भाव भी घटकर यहां 1800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। कनाडा की हरी मटर के भाव 15 अक्टूबर को मुंबई में 2500 रुपये प्रति क्विंटल थे लेकिन इसके भाव घटकर इस समय 2375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। अमेरिका से आयातित हरी मटर के भाव 15 अक्टूबर को मुंबई में 2650 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहे थे जबकि इसके भाव इस समय घटकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं।अकोला मंडी के दलहन व्यापारी बिजेंद्र गोयल ने बताया कि मटर का आयात कनाडा, अमेरिका, फ्रांस और यूक्रेन से किया जाता है। आयातित दलहनों में सबसे ज्यादा आयात मटर का ही होता है। चालू वर्ष में केंद्र सरकार ने 15 लाख टन दलहन का आयात करने का लक्ष्य रखा है तथा इसमें से करीब 9.24 लाख टन के सौदे हो चुके हैं। इसमें से करीब 3.52 लाख टन दालें अक्टूबर तक भारत में पहुंच चुकी है। सरकारी एजेंसियों व प्राइवेट कंपनियों द्वारा अभी तक लगभग साढ़े पांच से छ: लाख टन मटर के आयात सौदे किए जा चुके हैं। चालू रबी सीजन में देश में मटर के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी से उत्पादन बढ़ने की संभावना है। इसलिए आगामी दिनों में इसके भावों में और भी गिरावट की संभावना है। कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में देश में मटर की बुवाई 7.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसकी बुवाई 5.32 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। (Business Bhaskar......R S Rana)

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