मुंबई December 24, 2008
वैश्विक मंदी के चलते पैदा हुई आर्थिक अस्थिरता से निवेशकों का रुझान सोने की ओर बढ़ा है।
पूरे साल शेयर बाजारों के धराशायी रहने, कच्चे तेल की कीमतें 150 के करीब पहुंच कर, अब 40 डॉलर से नीचे भले ही आ गई हों, डॉलर में मजबूती रही हो या कमजोरी लेकिन सोने की सेहत में खास असर नहीं देखने को मिला। हालांकि कीमत के हिसाब से सोना इस बार 33 फीसदी तक ऊपर गया, लेकिन रिटर्न के हिसाब से पूरे साल भर में 5 फीसदी ही दे पाया। 2008 की पहली सुबह को सोना 10,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था, तो दो दिन बाद ही 3 जनवरी को 11 हजार की सीमा को लांघते हुए 11,035 रुपये पर पहुंच गया। 20 फरवरी को इसने 12 हजार की सीमा को पार किया तो 14 मार्च 13 हजार को पार करते हुए 10 अक्टूबर को 14,105 रुपये प्रति 10 ग्राम की नई ऊंचाई को छू लिया। कमोडिटी रिसर्च ग्रुप के अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सोना को निवेश का सबसे सही विकल्प बताते हैं। उनके अनुसार यह साल सोना के लिए अच्छा तो था, लेकिन पिछले छह सालों की अपेक्षा सोना में भी रिटर्न कम मिला है। पिछले 6 सालों से सोना में औसतन रिटर्न 20 फीसदी का था, जबकि इस साल सिर्फ 5 फीसदी रिटर्न मिला है।फिर भी इसको अच्छा ही कहा जाएगा, क्योंकि दूसरे एसेटों में जहां 30 फीसदी, 40 फीसदी और 50 फीसदी का नुकसान हुआ है, वहीं सोने में फायदा हुआ है। उनके अनुसार आने वाले कलेंडर वर्ष में सोना में 20 से 25 फीसदी तक रिटर्न मिलने की उम्मीद है, क्योंकि मंदी की असली तस्वीर अब देखने को मिलेगी। दूसरे देश अपनी अर्थव्यवस्था को सभालने के लिए आर्थिक पैकेजों की घोषणा करते रहेंगे, रियल एस्टेट में गिरावट चालू रहने वाली है, शेयर बाजार में अस्थिरता का दौर अभी शांत नहीं हुआ है और सोने की महत्वता को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अपने देश की खद्नों से सोने की ज्यादा निकासी करने नहीं देने वाले हैं। आर्थिक अस्थिरता को देखते हुए 2009 में सोना 20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है और सोने का नीचला स्तर अगस्त 2008 के 11,300 रुपये प्रति 10 ग्राम हो सकता है। चेन्ना जी. नर्सिंग एंड जे. कंपनी केधीरज शाह कहते है कि निवेश के हिसाब से सोना हमेशा अच्छा और भरोसेमंद विकल्प रहा है।महंगाई और मंदी के चलते खरीदारों की संख्या में कमी आई है। कहा जा सकता है कि सोने की कीमतें प्रति 10 ग्राम 17000 के पार जा सकती है। क्रिसमस और नये साल की अमेरिका एवं दूसरे देशों में लंबी छुट्टी होने की वजह से इस समय कीमतों में उछाल आना लाजमी है इसलिए भारतीय ग्राहकों को निवेश के लिए खरीददारी करने के लिए एक-दो महीनों का इंतजार करना चाहिए। (BS Hindi)
25 दिसंबर 2008
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