अहमदाबाद December 22, 2008
देसी बाजार में तिल की ऊंची कीमत और उस पर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में छाई मंदी के कारण इसके निर्यात में भारी गिरावट की संभावना है।
निर्यातकों का कहना है कि साल 2008-09 के दौरान तिल के निर्यात में 50 फीसदी की गिरावट देखी जा सकती है। भारत में इस साल इस फसल केकम उत्पादन केचलते तिल की कीमत फिलहाल मजबूती बनाए हुए है। गुजरात के बाजार में तिल की कीमत 1100 रुपये प्रति 20 किलो बैग से 1350 रुपये प्रति 20 किलो बैग है। कीमत का अंतर इसकी विभिन्न किस्मों पर निर्भर करता है यानी अच्छी क्वॉलिटी की कीमत ज्यादा। तिल के व्यापारी और ऊंझा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष रमेश मुखी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन, सूडान और कुछ अन्य अफ्रीकी देश भारत के मुकाबले करीब 100 रुपये (प्रति 20 किलो बैग) कम भाव पर तिल बेच रहे हैं। यही वजह है कि भारत के तिल के निर्यात पर खासा असर पड़ा है।इंडियन ऑयलसीड ऐंड प्रोडयूस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शाह ने कहा कि जहां तक तिल का सवाल है, हम प्रतियोगिता में नहीं टिक पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन और सूडान में तिल की कीमत हमारे देश के मुकाबले कम है। यही वजह है कि खरीदार इन्हीं देशों का रुख कर रहे हैं। इसके अलावा वर्तमान समय में जारी मंदी ने भी तिल बाजार की हवा निकाल दी है क्योंकि विभिन्न जिंसों की तरह इसकी मांग भी काफी कम हो गई है।रमेश मुखी ने कहा कि वर्तमान में निर्यात की बाबत कोई पूछताछ नहीं हो रही। ऐसे में संभावना है कि तिल का निर्यात घटकर 50 फीसदी रह जाए। उन्होंने कहा कि बाजार में खरीदार का अभाव है।इंडियन ऑयलसीड ऐंड प्रोडयूस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2007-08 में भारत से कुल 3.15 लाख टन तिल का निर्यात हुआ था, जो इस साल 50 फीसदी तक घट सकता है।निर्यातकों और व्यापारियों का कहना है कि इस साल भारत में तिल का उत्पादन करीब 30 फीसदी घट सकता है। पिछले साल कुल 4.2 लाख टन तिल ाक उत्पादन हुआ था, जो इस साल घटकर 3 लाख टन रहने की संभावना है। (BS Hindi)
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