फीकी रही धातुओं की चमक - कुल मिलाकर 2009 तांबा और टिन के लिए अस्थिर कारोबार का साल रहेगा।
दिलीप कुमार झा / मुंबई December 25, 2008
वैश्विक मंदी की मार जिन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा हुई है, उनमें आधारभूत धातुओं (बेस मेटल) का नाम सबसे ऊपर आता है।
जानकारों के अनुसार, 2009 की पहली छमाही में मांग घटने के चलते आधारभूत धातु उद्योग के जूझने के आसार हैं। हालांकि दूसरी छमाही में उत्पादन में हो रही मौजूदा कटौती का असर दिखने की उम्मीद है और तब बेस मेटल की कीमत में तेजी के आसार हैं।कुल मिलाकर 2009 तांबा और टिन के लिए अस्थिर कारोबार का साल रहेगा। वहीं निकल और एल्युमीनियम की कीमतों में सीमित उछाल आने की संभावना है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की ओर से जारी ताजा कमोडिटी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि सीसे और जस्ते की कीमतें उच्चतम और न्यूनतम स्तर के बीच झूलती रहेंगी।इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले साल जिंस कारोबार के लिए स्थितियां थोड़ी सकारात्मक रहेगी पर कुल मिलाकर कारोबार की सूक्ष्म प्रवृत्तियां समर्थक नहीं रहेंगी। सबसे पहले तो यही कि दुनिया की अर्थव्यवस्था की विकास दर मंद होगी। वित्तीय संकट के अपने रास्ते चलते रहने से आर्थिक मंदी और गहराएगा। ऐसे में बुरी खबरें और आएंगी और इन बुरी खबरों को फैलने से रोकना संभव नहीं होगा। दूसरा यह कि निवेशक अभी भी निवेश कर रहे हैं।ऐसे में बुनियादी मजबूती के बावजूद जिंसों को बिकवाली की समस्या से दो-चार होना पड़ सकता है। फिलहाल खतरा उठाने की निवेशकों की भूख इस समय मंद पड़ गई है और यह तब तक चलती रहेगी जब तक कि अर्थव्यवस्था स्थिर न हो जाए। तीसरी चीज कि अमेरिकी डॉलर हाल-फिलहाल में और मजबूत हो सकता है। सैद्धांतिक तौर पर, डॉलर के मजबूत होने से जिंसों की कीमतों में कमी होने लगती है, क्योंकि इस वजह से लागत कम हो जाती है। ऐसे में आपूर्ति बढ़ने लगती है। 2009 की पहली छमाही में तांबे की कीमत में कमी होने का अनुमान है। फिलहाल इसका बाजार उत्पादन लागत से खासा ऊपर चल रहा है। दूसरी ओर निकल और जस्ते की कीमतों में कमी होने की कम गुंजाइश है। इसकी वजह यह कि इसकी उत्पादन लागत बाजार भाव से कहीं ज्यादा बैठ रही है। अनुमान है कि इसके उत्पादन में और धातुओं की तुलना में ज्यादा कटौती होगी। हालांकि 2009 की दूसरी छमाही में तांबे और टिन धातुओं का भंडार ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर तक पहुंच जाएगा।कीमतों की उत्पादन लागत से नीचे चले जाने के चलते कई धातुओं के उत्पादन में खासी कटौती करनी पड़ी है। मांग कम रहने के अनुमान की वजह से भी उत्पादक इन धातुओं के उत्पादन में कटौती कर रहे हैं। इसके बावजूद हाल-फिलहाल में कीमतों में सुधार की गुंजाइश नहीं है। अंदाजा है कि इसकी कीमतों में तेजी तभी होगी जब मांग में हो रही कमी स्थिर हो जाए और फिर इसमें दुबारा तेजी आना शुरू हो जाए। हाल के वर्षों में अमेरिकी डॉलर की कमजोरी जिंसों में बढ़ते निवेश की एक महत्वपूर्ण वजह रही है।एक बार तरलता की स्थिति और बाजार के रुख सामान्य हो जाएं तब बाजार दुबारा बुनियादी चीजों पर अमल करना शुरू करेगा। (BS Hindi)
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