23 दिसंबर 2008
कर्नाटक में गन्ना उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका
बंगलुरु : कर्नाटक में 2008-09 में गन्ना उत्पादन मात्र 3 करोड़ टन ही होने की आशंका है। पिछले साल गन्ने का उत्पादन 4 करोड़ टन कर्नाटक के चीनी एवं कृषि विपणन मंत्री शिवराज एस तंगादागी ने बताया कि इसमें से करीब 220 लाख टन गन्ना ही पेराई के लिए उपलब्ध रहेगा। शेष गन्ने का इस्तेमाल गुड़ बनाने में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार मानसून काफी असामान्य रहा और किसी जिले में भारी बरसात हुई तो कहीं काफी लंबे समय तक बरसात नहीं हुई। इससे मोटे तौर पर गन्ना उत्पादन में 25 फीसदी की गिरावट आई। उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल के बराबर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तर और दक्षिण कर्नाटक में शुगर फैक्ट्रियों को क्रमश: 1,200 और 1,100 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान करने को कहा है। पिछले साल गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 811.50 रुपए प्रति टन था। मंत्री ने कहा कि चीनी की कीमतें 1,600 से 1,650 रुपए प्रति टन रहती हैं जबकि शीरा की कीमत 3,500 रुपए से 4,000 रुपए प्रति टन के बीच रहती है। कर्नाटक प्रांत रैयत संघ (केपीआरएस), आल इंडिया किसान संघ (एआईकेएस) और स्टेट शुगरकेन ग्रोअर्स एसोसिएशन से जुड़े किसानों ने कहा है कि अगर सरकार गन्ने की कीमतें बढ़ाने में असमर्थ रहती है तो वे अगले महीने प्रदर्शन करेंगे। वे गन्ने की कीमत 1,550 रुपए प्रति टन मांग रहे हैं। प्रति टन गन्ने से मिलने वाली चीनी में नौ फीसदी सुधार होने से कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइस (सीएसीपी) ने केंद्र सरकार को यह कीमत लागू करने का सुझाव दिया है। राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर ने पिछले साल किसानों को प्रति टन 160 रुपए अतिरिक्त देने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी। यह पैकेज करीब 370 करोड़ रुपए का था। फैक्ट्रियों ने किसानों को 194.10 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। 175.91 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्री ने बताया कि कम से कम 35 फैक्ट्रियां किसानों को प्रति टन 160 रुपए अतिरिक्त देने पर सहमत हुई थीं जबकि कुछ 100 रुपए प्रति टन देने पर सहमत हुई थीं। ज्वाइंट वेंचर और कोऑपरेटिव को मिलाकर राज्य में कुल 52 फैक्ट्रियां हैं। सरकार ने ठेके के आधार पर चार शुगर कोऑपरेटिव फैक्ट्रियों को निजी खिलाडि़यों को देने का फैसला किया है। इनमें वाणीविलास कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री (हिरीयूर), भद्रा कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री (देवनगेरे), भीमाशंकर कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री (इंडी) और भाग्यलक्ष्मी कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री, बेलगाम शामिल हैं। कॉन्ट्रैक्ट आधार पर निजी कंपनियों को फैक्ट्रियां देने के लिए जल्द ही टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। मंत्री ने बताया कि पहले ही 10 फैक्ट्रियों को कॉन्ट्रैक्ट आधार पर निजी कंपनियों को दिया जा चुका है। (ET HIndi)
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