कोच्चि December 26, 2008
काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन घटने से अनुमान है कि अगले साल इसकी आपूर्ति मांग की तुलना में कम रहेगी। अंतरराष्ट्रीय काली मिर्च समुदाय (आईपीसी) के मुताबिक, उत्पादन में कमी के चलते आपूर्ति कम होने जा रही है।
काली मिर्च के उत्पादन और कारोबार की इस अंतरराष्ट्रीय संस्था के मुताबिक, भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे बड़े उत्पादक देशों में खराब मौसम और रोग के साथ इसके उत्पादन क्षेत्र में कमी होने से इसकी उपज प्रभावित होने जा रही है। हालांकि मौजूदा सीजन में काली मिर्च का उत्पादन काफी ज्यादा हुआ है। आकलन है कि इस साल करीब 39 हजार टन ज्यादा काली मिर्च पैदा होगी। मंदी के बावजूद इस साल इसकी औसत खपत मेंं 3 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। जबकि अगले साल भी खपत दर में इसी तरह वृद्धि का अंदाजा है। मोटे अनुमान के अनुसार, 2008 में काली मिर्च का उत्पादन करीब 2.60 लाख टन होने जा रहा है और अगले साल इसमें करीब 10 से 15 फीसदी की कमी हो सकती है। इस तरह 2008 में काली मिर्च की कुल उपलब्धता 85 हजार टन के कैरी ओवर स्टॉक सहित 3.45 लाख टन होने की उम्मीद है। लेकिन अगले साल बाजार में इसकी उपलब्धता सिरे से घटने का अंदाजा है। भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया में काली मिर्च के उत्पादन में गंभीर कमी होने का अंदाजा है। हालांकि दुनिया के सबसे बड़े काली मिर्च उत्पादक देश का उत्पादन मौजूदा 1 लाख टन ही रहने का अनुमान है। वियतनाम काली मिर्च संघ के मुताबिक, इस देश ने नवंबर तक 30 करोड़ डॉलर मूल्य के 86 हजार टन काली मिर्च का निर्यात किया है। अनुमान है कि साल के अंत तक यह देश 31 करोड़ डॉलर मूल्य के 90 हजार टन काली मिर्च का निर्यात करने में सफल रहेगा। इसका मतलब कि वियतनाम का कैरी ओवर स्टॉक 10 हजार टन के आसपास रहेगा। इस साल भारत का स्टॉक पोजीशन कमजोर रहने का अनुमान है। इतना ही नहीं ब्राजील और इंडोनेशिया के भंडार में भी कमी आने का अंदाजा है। ऐसे में पूरी दुनिया का कैरी ओवर स्टॉक 2009 के दौरान 30 से 35 हजार टन रह जाएगा। मतलब साफ है कि अगले साल काली मिर्च की वैश्विक आपूर्ति कम रहने वाली है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें