नई दिल्ली December 25, 2008
प्लास्टिक बाजार साल भर 'टाइट' रहा। कभी कच्चे माल में भारी तेजी के कारण तो कभी मंदी के कारण। डॉलर की मजबूती ने भी प्लास्टिक को कमजोर बनाने में भूमिका निभायी।
वर्ष 2007 के मुकाबले कारोबार में 25 फीसदी तक की गिरावट रही। आने वाले नए साल में भी प्लास्टिक बाजार की कोई नई तस्वीर उभर कर नहीं आ रही है। कुछ कारोबारी अगले साल सतर्क रहने की बात कह रहे हैं तो कुछ कारोबारी गिरावट के दौर को जारी रहने की। जाते हुए साल एवं आने वाले साल के बारे में क्या कहते हैं कारोबारी सुनिए उनकी ही जुबान से। अमित चोपड़ा, प्लास्टिक निर्माता का कहना है कि 'साल भर कच्चे माल की कीमत आंख-मिचौली करती रही। मैं हाई इंटेनसिटी प्लास्टिक शीट बनाता हूं। इसके लिए प्लास्टिक दाने की जरूरत होती है। जुलाई में इसकी कीमत 112 रुपये प्रति किलोग्राम तक चली गयी थी। अब 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर है। पहले रोज-रोज की तेजी से ग्राहक खराब हुआ अब मंदी से बाजार गिर रहा है। मांग घट गयी है। स्टॉक न तो बचा है और न ही किया जा रहा है। आने वाले साल में तो फूंक-फूंक कर कदम रखने की जरूरत है।'' योगेंद्र शर्मा, प्लास्टिक बॉक्स निर्माता ने कहा - प्लास्टिक बॉक्स बनाता और बेचता हूं। कच्चे माल के रूप में पॉली प्रॉपलीन (पीपी) का इस्तेमाल करता हूं। जून-जुलाई में तेजी के दौरान इसकी कीमत 110 रुपये प्रति किलोग्राम तक चली गयी थी। अभी 70 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है। नवंबर के शुरू में इसकी कीमत 48 रुपये प्रति किलोग्राम तक चली गयी थी। उथल-पुथल के कारण निर्माण व बिक्री दोनों में 25-30 फीसदी की कमी आयी। पहले से तैयार माल का स्टॉक कोई निकालने को तैयार नहीं है वहीं मुझसे लेने वाले कारोबारी बेचने को राजी नहीं हैं। वर्ष 2009 में बाजार के स्थिर होने पर ही कारोबार में कुछ इजाफा हो सकता है अन्यथा बाजार जस का तस रहेगा।''सीएम कपूर, (पदाधिकारी, प्लास्टिक ट्रेडर्स एसोसिएशन) का कहना है कि प्लास्टिक साामान बनाने वाली छोटी-छोटी फैक्टरियों के बंद होने से और आयातित प्लास्टिक के महंगा होने से कारोबार में 25 फीसदी तक की गिरावट रही। 90 फीसदी आयातित प्लास्टिक सामान या आयातित कच्चे माल चीन से आते हैं। पहले छोटी-छोटी फैक्टरियां थीं तो किसी भी प्रकार के ऑर्डर की आपूर्ति 7-10 दिनों में हो जाती थी अब आयात करने पर ऑर्डर देने के दो महीनों के बाद डिलिवरी मिलती है तब तक आगे के छोटे कारोबारी कोई और विकल्प ढूंढ लेते हैं और अपना ऑर्डर रद्द कर देते हैं। मैं प्लास्टिक शीट से एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पहचान पत्र व गारमेंट्स में लगने वाले मूल्य टैग बनाता हूं। कुल मिलाकर पूरे साल भर बाजार अस्थिर रहा और कारोबारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। वर्ष 2009 से प्लास्टिक कारोबारियों को कोई खास उम्मीद इसलिए नहीं है कि विश्वव्यापी मंदी छायी हुई है।औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक शून्य से भी नीचे चला गया है। ऐसे में इसके गुलजार होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। (BS Hindi)
26 दिसंबर 2008
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