नई दिल्ली December 17, 2008
अनाज की खरीद और वितरण करने वाली सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम का अनुमान है कि जून 2009 तक देश के गोदाम चावल और गेहूं से पूरी तरह भर जाएंगे।
एफसीआई के मुताबिक, कुल 5.1 करोड़ टन चावल और गेहूं (2.85 करोड़ टन चावल और 2.27 करोड़ टन गेहूं) खरीद का इस साल का रिकॉर्ड अगली बार सुधरने की पूरी उम्मीद है। ऐसा होने से उपभोक्ताओं को जहां राहत मिलने की उम्मीद है, वहीं इसके प्रबंधन को लेकर सरकारी हलकों में बेचैनी है। केंद्रीय पूल में अनाज के भंडार 1 दिसंबर को 3.62 करोड़ टन हो गये। इनमें 1.56 करोड़ टन चावल और 19.6 करोड़ टन गेहूं थे। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह करीब 96 फीसदी ज्यादा है। उस समय अनाज के भंडार महज 1.84 करोड़ टन थे।बफर स्टॉक की तय सीमा 1.62 करोड़ टन से तुलना करें तो यह दोगुने से भी ज्यादा है। इस समय विभिन्न जनवितरण योजनाओं के जरिए चावल का उठाव जहां 20 लाख टन प्रति माह हो रहा है, वहीं गेहूं की खपत 10 लाख टन रह रही है।2008-09 के खरीफ सत्र में चावल की खरीद पहले ही 27 फीसदी बढ़कर 1.3 करोड़ टन हो चुकी है। यही नहीं रबी सीजन में पैदा होने वाले गेहूं के रकबे में भी 12 दिसंबर तक पिछले साल की तुलना में 4.34 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और गेहूं का रकबा अब तक 2.14 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगले साल गेहूं का उत्पादन इस बार के उत्पादन रिकॉर्ड 7.84 करोड़ टन को पार कर जाएगा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीपीआरआई) के एशिया निदेशक अशोक गुलाटी ने कहा, ''जब गेहूं की अगली फसल आएगी तो उम्मीद है कि हालात ठीक उसी तरह हो जाएंगे जैसे 2002-03 में हो गए थे। तब सरकार को सब्सिडी देकर गेहूं निर्यात करना पड़ा था। देश में अनाज भंडारण की क्षमता सीमित है। अप्रैल से शुरू होने वाले रबी के अगले सीजन में अनुमान है कि एफसीआई 2 करोड़ टन तक गेहूं खरीद सकता है। जून तक तो हमारे पास बफर स्टॉक की तय सीमा से काफी अधिक अनाज हो जाएंगे। बात बिल्कुल साफ है कि इतने अनाज का हम भंडारण नहीं कर सकते।''मालूम हो कि एफसीआई की अपनी भंडारण क्षमता 1.5 करोड़ टन अनाज की है, जबकि इसने 1.4 करोड़ टन अनाज भंडारण की क्षमता निजी फर्मों से हासिल की है। इस तरह इस एजेंसी की कुल भंडारण क्षमता 2.9 करोड़ टन की है।गौरतलब है कि 1 दिसंबर 2006 को केंद्रीय पूल में अनाज का भंडार 1.765 करोड़ टन के निचले स्तर तक चला गया था। इसकी मुख्य वजह गेहूं की खरीद में हुई जबरदस्त कमी है। इसके बाद सरकार ने कई कदम जैसे निर्यात पर प्रतिबंध, समर्थन मूल्य में जोरदार वृद्धि और निजी एजेंसियों के लिए खरीदी नियम सख्त करना उठाए।इसके चलते अनाज की सरकारी खरीद में खूब उछाल आया। एफसीआई ने इसके बाद करीब 2.27 करोड़ टन गेहूं खरीदे। इस साल की शुरुआत में तो चावल निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।महंगाई दर सात महीने के न्यूनतम स्तर तक चले जाने और रबी गेहूं की बुआई काफी बेहतर चलने से जानकारों का कहना है कि इससे पहले हालात काफी खराब हो, गेहूं निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लेना चाहिए। (BS Hindi)
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