कोच्चि December 18, 2008
रबर के वैश्विक उत्पादन और खपत में अंतर साल 2009 के लिए रबर बाजार की धूमिल छवि उपलब्ध कराता है।
विभिन्न एजेंसियों के आकलन के अनुसार वैश्विक रबर बाजार में 10,00,000 टन से अधिक के उत्पादन होने की बात कही जा रही है जो अगले वर्ष के कुल उत्पादन का लगभग 10 फीसदी है। वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण रबर आधारित विभिन्न उद्योगों खास तौर से ऑटोमोबाइल क्षेत्र द्वारा कम खरीदारी किए जाने की वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है। लगभग 2,00,000 टन के इस साल के भंडार को जोड़ दिया जाए तो साल 2009 में अतिरिक्त भंडार 12,00,000 लाख टन होने का अनुमान है। इन आकलनों के आधार पर देखा जाए तो अगले साल भी प्राकृतिक रबर की कीमतें कम रह सकती हैं। आठ साल पहले जब अतिरिक्त भंडार में बढ़ोतरी हुई थी तो रबर की कीमतों में प्रति किलो 30 रुपये की कमी हुई थी। बाजार विशेषज्ञ का मानना है कि परिस्थितियां वैसी नहीं होंगी। फिर भी अगले साल रबर की कीमतों पर मंदी का प्रभाव बना रहेगा।आकलनों से ये संकेत मिलते हैं कि साल 2009 में कुल वैश्विक उत्पादन में मामूली एक प्रतिशत की कमी आ सकती है जबकि खपत में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी। अनुमान है कि अगले साल प्राकृतिक रबर का कुल उत्पदन 96,65,000 टन होगा जबकि साल 2007 में 97,25,000 टन का उत्पादन हुआ था।अगले वर्ष लगभग 87,50,000 टन की खपत होने का अनुमान है जबकि साल 2007 में 97,19,000 टन की खपत हुई थी। वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण प्राकृतिक रबर के प्रमुख उपभोक्ताओं जैसे चीन,अमेरिका और जापान की खपत में भारी कमी आने के आसार हैं। ऑटोमोबाइल टायर विनिर्माण क्षेत्र प्रमुख रूप से रबर का उपयोग करता है लेकिन आर्थिक मंदी के कारण ऑटो की बिक्री में आई मंदी से टायर का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, जापान और कोरिया के ऑटो सेक्टर में 39 से 40 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों के ओरिजनल इक्विपमेंट मैनुफैक्चरिंग (ओईएम) सेक्टर में टायर की मांग 50 प्रतिशत तक घटने का अनुमान है। रीप्लेसमेंट मार्केट पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है। टायर बाजार का आकार घटने के आसार हैं।इसके परिणामस्वरूप, प्राकृतिक रबर की खपत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इन बातों के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में कमी सीधे तौर पर रबर बाजार को प्रभावित करेगा। कृत्रिम रबर की ओर उपभोक्ता के झुकाव से प्राकृतिक रबर की कीमतें बढ़ने की संभावना कम हो जाएगी। (BS HIndi)
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