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18 दिसंबर 2008

आवक बढ़ने पर भी मिलों की लिवाली से अरहर के भाव स्थिर

प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में अरहर की आवक तो बढ़ रही है लेकिन मिलों की मांग निकलने से भाव गिर नहीं रहे हैं। चालू वर्ष में अरहर के उत्पादन में कमी की आशंका तो है लेकिन कई राज्यों में स्टॉक लिमिट लागू होने और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव को देखते हुए मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद कम ही रह सकती है। इन हालातों में जनवरी-फरवरी में अरहर के मौजूदा भावों में गिरावट के आसार हैं।अरहर के व्यापारी सुनील बंदेवार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि महाराष्ट्र की मंडियों में अरहर की आवक बढ़कर 10 से 12 हजार बोरियों की हो रही है। लेकिन कई मिलों ने नए मालों की खरीद शुरू की है। जिससे जलगांव, अकोला व अहमदनगर आदि मंडियों में इसके भाव 2900 से 3050 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। मकर सक्रांति के बाद आवक का दबाव तो बनेगा, लेकिन महाराष्ट्र में स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद कमजोर रहेगी। इसलिए जनवरी-फरवरी महीने में अरहर के भावों में गिरावट बन सकती है।दलहन व्यापारी बिजेंद्र गोयल ने बताया कि कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की मंडियों में अरहर की आवक बढ़कर क्रमश: 15,000 और 12,000 हजार बोरियों की हो रही है। तथा गुलबर्गा, यादगिर, विजयवाड़ा, नारायणपेट, सेडम और उदगिर आदि मंडियों में भाव 2900 से 3100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी में महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की मंडियों में तो अरहर की आवक का दबाव बनेगा ही, साथ ही फरवरी में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। बर्मा लेमन अरहर के भाव इस समय मुंबई में 2650 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल और तंजानियाई मूल की अरहर के भाव 2700 से 2750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि लेमन अरहर के अप्रैल के सौदे 2400 रुपये प्रति क्विंटल में हो रहे हैं। अत: आगामी दिनों में इसकी कीमतों में गिरावट के ही आसार हैं।दाल व्यापारी दुर्गा प्रसाद ने बताया कि दिल्ली में तुअर के भाव 2700 से 2725 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। हरियाणा व राजस्थान से आवक घटने के कारण पिछले एक महीने में यहां इसके भावों में 125 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है।केंद्र सरकार द्वारा जारी अनुमान के अनुसार चालू सीजन में देश में अरहर का उत्पादन 23.5 लाख टन होने की उम्मीद है। पिछले वर्ष इसका उत्पादन 33.8 लाख टन का हुआ था। अत: इसके उत्पादन में पिछले वर्ष के मुकाबले 10.3 लाख टन की कमी आ सकती है। बुवाई के समय मौसम प्रतिकूल होने से उत्पादन में गिरावट आई है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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