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18 दिसंबर 2008

लगातार चार माह से मक्का के दाम एमएसपी से नीचे

नई फसल आने के चार माह बाद भी मक्का उत्पादक किसान अपना माल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 840 रुपये क्विंटल से 22 फीसदी नीचे भाव पर बेचने को मजबूर हैं। विदेश में मक्का में चल रही मंदी सरकारी खरीद पर हावी है। विभिन्न राज्यों में सरकारी खरीद इतनी कम है कि उससे खुले बाजार के भाव को कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। मक्का की निर्यात मांग लगातार हल्की चल रही है।खुले बाजार में भाव में गिरावट रोकने के लिए कई राज्यों में मक्का की सरकारी खरीद की जा रही है लेकिन इसका खुले बाजार भाव पर जरा सा भी असर नहीं दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि मक्का के भाव एमएसपी से 22 फीसदी नीचे चल रहे हैं। बुधवार तक सरकारी एजेसियों ने सभी राज्यों से कुल 5,68,354 टन मक्के की खरीद की है।यही वजह है कि मक्के के दामों में लगातार गिरावट के चलते किसानों को इस साल न्यूनतम 700 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम मिल रहे है। पिछले साल किसानों को 950 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम मिले थे। पूरे देश में इस समय रोजाना एक लाख बोरी की आवक हो रही है। आवक के दबाव से भी कीमतों में नरमी बनी हुई है। मक्के के प्रमुख उत्पादन राज्य आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में नई फसल आने के बाद करीब चार माह से इसके दाम एमएसपी के नीचे ही चल रहे हैं। आंध्रप्रदेश की निजामाबाद मंडी में आज मक्के के दाम 820 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गये है। इसके अलावा महाराष्ट्र में दाम 745 रुपये, कर्नाटक में 815 रुपये प्रति क्विंटल है। दामों में सबसे ज्यादा कमी मध्यप्रदेश में आई है, जहां दाम 700 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गये है। जबकि केंद्र सरकार ने इस साल के लिए मक्के का एमएसपी 840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। निजामाबाद में मक्के के व्यापारी पूनम चंद गुप्ता के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्के के दामों में काफी गिरावट आ चुकी है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्के के दाम 185 डॉलर प्रति टन के स्तर पर है। जबकि भारतीय मक्का 192 डॉलर प्रति टन पड़ रही है। जिससे भारत से इसके निर्यात मांग में कमी आई है। वित्त वर्ष 2007-08 में देश से 30 लाख टन मक्के का निर्यात हुआ था। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी गिरावट को देखते हुए स्टॉकिस्टों की ओर से इसकी खरीद हल्की है। केवल पोल्ट्री और स्टार्च जैसी उपभोक्ता कंपनियां और आम उपभोक्ताओं की मांग निकल रह है। (BS Hindi)

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