सिंगापुर December 19, 2008
ओपेक अध्यक्ष चकीब खलील के इस बयान कि कच्चे तेल की कीमतों के और गिरने की उम्मीद नहीं है, शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता का रुख दिखा।
खलील ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि कच्चे तेल की कीमतें और नीचे जाएगी क्योंकि इसके गिरने की अब कोई वजह नहीं रही।'' खलील के अनुसार, कच्चा तेल उत्पादन में 22 लाख प्रति बैरल की प्रतिदिन की कटौती बाजार में इसकी कीमत स्थिर रखने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि बाजार पर इस कटौती का असर बहुत जल्द दिखने वाला है, जब 1 जनवरी से कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती लागू हो जाएगी। खलील ने कहा कि जनवरी से हालत सुधरने लगेगी और कच्चे तेल का बाजार फिर से गर्म होने लगेगा। उनके मुताबिक, ओपेक देशों के कई मंत्री कुवैत में होने वाले अरब आर्थिक और ऊर्जा सम्मेलन के मौके पर 19 जनवरी को बाजार में कच्चे तेल की ताजा हालत पर विचार कर सकते हैं।इस हफ्ते कच्चे तेल की कीमत 20 फीसदी लुढ़कने के बाद शुक्रवार को इसमें थोड़ी बढ़ोतरी हुई और यह 36 डॉलर से ऊपर चला गया।इस हफ्ते तो कच्चे तेल में 2003 के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। शुक्रवार को यूएस लाइट स्वीट क्रूड का जनवरी अनुबंध 58 सेंट बढ़कर 36.80 डॉलर प्रति बैरल तक चला गया। गुरुवार को तो यह 35.98 डॉलर तक लुढ़क गया था। पिछले पांच महीने में कच्चे तेल में करीब 75 फीसदी यानी 111 डॉलर प्रति बैरल की कमी हो गई है। वहीं लंदन ब्रेंट क्रूड का फरवरी अनुबंध 44 सेंट चढ़कर 43.80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।उधर सऊदी अरब के तेल मंत्री अली अल-नईमी ने कहा कि ओपेक द्वारा कच्चा तेल उत्पादन में की गई सामूहिक कटौती के बाद अब सऊदी अरब भी अपना उत्पादन लक्ष्य नए सिरे से तैयार करने में जुट गया है। इस बीच विश्लेषकों की आशंका है कि तेल उत्पादकों के बीच कीमतें चढ़ाने को लेकर गठजोड़ हो चुका है। तभी तो सितंबर से अब तक उत्पादन में करीब 40 लाख बैरल प्रतिदिन यानी 5 फीसदी की कटौती हो चुकी है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि आने वाले समय में तेल बाजार पर कटौती का असर दिखेगा। (BS Hindi)
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