मुंबई December 19, 2008
इस साल खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता बढ़ने की उम्मीद है।
खाद्य तेलों की शीर्ष संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसियशन (एसईए) के मुताबिक, नवंबर से अक्टूबर तक चलने वाले खाद्य तेल सीजन के दौरान तेल आयात में 3.17 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है।
एसईए के मुताबिक, इसकी वजह घरेलू उत्पादन में कमी होना और मांग का बढ़ना है। पिछले कुछ साल में देश की आयात पर निर्भरता खतरनाक तौर पर बढ़ी है। 1992-93 में जहां केवल 3 फीसदी खाद्य तेल का आयात होता था, वहीं 2007-08 के दौरान यह बढ़कर 40 फीसदी के ऊंचे स्तर तक जा पहुंची।इस दौरान इनकी खपत 65 लाख टन से बढ़कर 1.3 करोड़ टन तक चली गई। दूसरी ओर उत्पादन पहले के स्तर करीब 65 लाख टन पर ही स्थिर रही। पिछले साल देश में खाद्य तेलों का आयात करीब 63 लाख टन रहा था। मौजूदा सीजन के दौरान उम्मीद है कि यह 3.17 फीसदी बढ़कर 65 लाख टन हो जाएगा। एसईए के मुताबिक, हाल ही में खत्म हुए खरीफ सीजन के दौरान तिलहन का कुल उत्पादन करीब 1.65 करोड़ टन रहा था। अनुमान है कि रबी सीजन के दौरान 1 करोड़ टन के आसपास तिलहन पैदा होगा। पिछले साल के 76.97 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार तिलहन का रकबा बढ़कर 83.75 लाख हेक्टेयर तक जा पहुंचा है।एसईए के मुताबिक, अगले 5 साल में तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी के कोई आसार नहीं है। उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक, नई तकनीक अपनाकर उत्पादकता में जल्द से जल्द बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है। अगले पांच साल में इसकी उत्पादकता बढ़ाकर 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर किए जाने की जरूरत है। फिलहाल देश में तिलहन की उत्पादकता महज 9.5 से 9.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके विपरीत दुनिया में तिलहन की औसत उत्पादकता इसकी दोगुनी है। एक विश्लेषक ने बताया कि फिलहाल आयात पर देश की निर्भरता 40 फीसदी है और इस सीमा के पार जाते ही हालात और खतरनाक हो जाएंगे। लिहाजा, हमें इसकी उत्पादकता 80 से 85 फीसदी तक बढ़ाने की जरूरत है। खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने के लिए जरूरी है कि मूंगफली और राई दोनों का उत्पादन बढ़ाकर एक करोड़ टन किया जाए। खरीफ सीजन 2008 के दौरान उम्मीद है कि सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 1.05 करोड़ टन हो जाएगा। अरंडी का उत्पादन 10.5 से 11 लाख टन होने की संभावना है। दूसरी ओर, मूंगफली के उत्पादन में थोड़ी कमी की संभावना है और यह 52 लाख टन से घटकर 50 लाख टन तक सिमटने की उम्मीद है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता के अनुसार, वाणिज्य मंत्री कमलनाथ और कृषि मंत्री शरद पवार के साथ शुक्रवार को होने वाली मुलाकात में तीन मुख्य मांगे रखी जाएंगी। एक तो यह कि कच्चे पाम तेल और सूरजमुखी तेल के आयात पर 30-30 फीसदी और आरबीडी पामोलीन तेल पर 37.5 फीसदी का आयात शुल्क लगाया जाए। दूसरी बात कि सोया तेल पर कस्टम शुल्क बढ़ाकर 27.5 फीसदी कर दिया जाए। तीसरी बात कि इसके थोक निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने की जरूरत है। (BS Hindi)
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