आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक कम होने से इसकी कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। सूत्रों के अनुसार कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने कपास के बिक्री भाव बढ़ाये हैं, जिस कारण हल्का सुधार और भी बन सकता है।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने पिछले एक महीने में करीब 9 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की बिक्री की है जिसमें करीब 1.5 लाख गांठ पिछले साल यानि फसल सीजन 2018-19 की कपास है। कंपनी का दावा है कि मिलों की मांग सुधर रही है और साथ ही वह वियतनाम और बांग्लादेश के साथ निर्यात सौदे कर रही है, साथ ही उसे बांग्लादेश के लिए बड़ा निर्यात सौदा होने की उम्मीद है। जिससे घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है।
बांग्लादेश में सालाना करीब 90 लाख गांठ कपास की जरूरत होती है, जिसमें से 30 लाख गांठ कपास भारत से जाती है। सीसीआई के सीएमडी पी के अग्रवाल के मुताबिक बांग्लादेश के लिए भारतीय कपास सबसे सस्ती है तथा निगम के पास इस समय करीब 105 लाख गांठ कपास का स्टॉक है जिसमें से 98 लाख गांठ की खरीद चालू सीजन के दौरान की गई है जबकि अन्य करीब 7 लाख गांठ पिछले सीजन का बचा हुआ है। फिलहाल महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद जारी थी जोकि 31 जुलाई को बंद हो गई है।
निगम के अनुसार मंडियों में अब कपास की आवक काफी कम हो गई है। पी के अग्रवाल कहना है कि लॉकडाउन में छूट के साथ मिलों में मजदूरों की वापसी शुरू हो गई है। जिससे आने वाले दिनों में कपास की मांग में बढ़ोतरी तो दिख सकती है, जिससे हल्का सुधार भी आयेगी, लेकिन अगस्त के अंत तक उत्तर भारत की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू हो जायेगी, जबकि सितंबर में गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में नई फसल आयेगी। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है, इसलिए हल्का सुधार तो आ सकता है, लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। कोरोना वायरस के कारण मांग में कमी आने से विश्व बाजार में कपास की कीमतें नीचले स्तर पर पहुंच गई है जबकि घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में गिरावट आई है। इसलिए सीसीआई भाव घटाकर बिकवाली कर रही थी। ................ आर एस राणा
31 जुलाई 2020
अगस्त के लिए 20.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण कई राज्यों में चल रही पांबधियों के बावजूद भी केंद्र सरकार ने त्योहारों को देखते हुए अगस्त के लिए चीनी का कोटा पिछले साल के मुकाबले 1.5 लाख टन बढ़ाकर जारी किया है। अगस्त में खुले बाजार में बिक्री के लिए सरकार ने 20.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। जबकि पिछले साल अगस्त में सरकार ने 19 लाख टन का कोटा जारी किया था।
देश के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से होटल और रेस्त्रा आदि बंद हैं, साथ ही सामाजिक प्रोग्राम भी नहीं हो रहे हैं, इसलिए कोल्ड ड्रिंक और आईसक्रीम वालों की मांग भी कमजोर है। देश के ज्यादातर हिस्सों में मिठाइयों की दुकानें भी बंद हैं। इसके बावजूद भी सरकार ने जुलाई के लिए भी 21 लाख टन का कोटा जारी किया था। जिसमें से काफी ज्यादा हिस्सा बिक नहीं सका। इसलिए केन्द्र सरकार ने बिहार में जुलाई की बची चीनी को 15 अगस्त तक बेचने की अतिरिक्त मोहलत दी है। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण कई राज्यों में चल रही पांबधियों के बावजूद भी केंद्र सरकार ने त्योहारों को देखते हुए अगस्त के लिए चीनी का कोटा पिछले साल के मुकाबले 1.5 लाख टन बढ़ाकर जारी किया है। अगस्त में खुले बाजार में बिक्री के लिए सरकार ने 20.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। जबकि पिछले साल अगस्त में सरकार ने 19 लाख टन का कोटा जारी किया था।
देश के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से होटल और रेस्त्रा आदि बंद हैं, साथ ही सामाजिक प्रोग्राम भी नहीं हो रहे हैं, इसलिए कोल्ड ड्रिंक और आईसक्रीम वालों की मांग भी कमजोर है। देश के ज्यादातर हिस्सों में मिठाइयों की दुकानें भी बंद हैं। इसके बावजूद भी सरकार ने जुलाई के लिए भी 21 लाख टन का कोटा जारी किया था। जिसमें से काफी ज्यादा हिस्सा बिक नहीं सका। इसलिए केन्द्र सरकार ने बिहार में जुलाई की बची चीनी को 15 अगस्त तक बेचने की अतिरिक्त मोहलत दी है। ............. आर एस राणा
30 जुलाई 2020
विदेशी बाजार में पॉम तेल कीमतों में सुधार, घरेलू बाजार में मांग बनी रहने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने के साथ ही इंडोनेशिया और मलेशिया में बायोफ्यूल की योजनाओं के दोबारा शुरू होने की उम्मीदों के बीच मलेशिया में पाम तेल वायदा बढ़त पर बंद हुआ। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में मांग बनी रहने से और भी सुधार आने का अनुमान है।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल अक्टूबर वायदा शुरुआती सुस्ती के बाद 1.25 फीसदी की तेजी के साथ 2,678 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। इस महीने इसमें करीब 16.5 फीसदी की तेजी रही। जो सितंबर 2015 के बाद की सबसे बड़ी महीने के आधार पर होने वाली तेजी है। इस दौरान घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल जुलाई वायदा में भी करीब 15 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।
व्यापारियों के अनुसार बाजार को जुलाई के दौरान जून के मुकाबले पाम तेल का निर्यात करीब 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। हालांकि जुलाई के निर्यात के आंकड़े सोमवार तक जारी होने की उम्मीद है, क्योंकि कल यानि शुक्रवार को मलेशिया में बकरीद के मौके पर बाजार और एक्सचेंज बंद रहेंगे।
पॉम तेल की कीमतों के इंडोनेशिया में बी40 योजना को जुलाई 2021 तक लागू कराने के एलान से भी बल मिला है। इसके तहत ईंधन में बायोफ्यूल की मात्रा को बढ़ाकर 40 फीसदी करने का प्लान है। बायोफ्यूल के तौर पर आमतौर पर पाम तेल का इस्तेमाल होता है। इससे पहले कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस योजना के लागू होने में देरी का अनुमान लगाया जा रहा था।
वहीं पाम तेल की कीमतों को चीन और अमेरिका में सोया तेल में आई तेजी से बढ़त मिली है। चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल वायदा 2.4 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार किया। जबकि पाम तेल का दाम 1.8 फीसदी बढ़ गया। वहीं शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल में 0.4 फीसदी की मजबूती रही।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने के साथ ही इंडोनेशिया और मलेशिया में बायोफ्यूल की योजनाओं के दोबारा शुरू होने की उम्मीदों के बीच मलेशिया में पाम तेल वायदा बढ़त पर बंद हुआ। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में मांग बनी रहने से और भी सुधार आने का अनुमान है।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल अक्टूबर वायदा शुरुआती सुस्ती के बाद 1.25 फीसदी की तेजी के साथ 2,678 रिंगिट प्रति टन पर बंद हुआ। इस महीने इसमें करीब 16.5 फीसदी की तेजी रही। जो सितंबर 2015 के बाद की सबसे बड़ी महीने के आधार पर होने वाली तेजी है। इस दौरान घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल जुलाई वायदा में भी करीब 15 फीसदी की तेजी देखने को मिली है।
व्यापारियों के अनुसार बाजार को जुलाई के दौरान जून के मुकाबले पाम तेल का निर्यात करीब 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। हालांकि जुलाई के निर्यात के आंकड़े सोमवार तक जारी होने की उम्मीद है, क्योंकि कल यानि शुक्रवार को मलेशिया में बकरीद के मौके पर बाजार और एक्सचेंज बंद रहेंगे।
पॉम तेल की कीमतों के इंडोनेशिया में बी40 योजना को जुलाई 2021 तक लागू कराने के एलान से भी बल मिला है। इसके तहत ईंधन में बायोफ्यूल की मात्रा को बढ़ाकर 40 फीसदी करने का प्लान है। बायोफ्यूल के तौर पर आमतौर पर पाम तेल का इस्तेमाल होता है। इससे पहले कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस योजना के लागू होने में देरी का अनुमान लगाया जा रहा था।
वहीं पाम तेल की कीमतों को चीन और अमेरिका में सोया तेल में आई तेजी से बढ़त मिली है। चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल वायदा 2.4 फीसदी की तेजी के साथ कारोबार किया। जबकि पाम तेल का दाम 1.8 फीसदी बढ़ गया। वहीं शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल में 0.4 फीसदी की मजबूती रही।............. आर एस राणा
राजस्थान के कई जिलों में तेज बारिश का अनुमान, उत्तर भारत में रहेगा मौसम सक्रिय
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के कई इलाकों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके तहत बारां, अलवर, चूरू, धौलपुर, दौसा, भरतपुर, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा और सिरोही जिलें में कुछ स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है।
इससे पहले बारां में कल से कई इलाकों में बारिश का दौरा जारी है। जिले के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक दौसा, चूरू, बुंदी, बीकानेर, भीलवाड़ा और अलवर में आज से 1 अगस्त तक बारिश जारी रह सकती है। वहीं अजमेर में कल से 2 अगस्त के बीच अच्छी बारिश की उम्मीद है। मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के लिए ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है।
पूर्वी राजस्थान में इस साल बेहद कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुकाबिक 1 जून से 29 जुलाई तक यहां सामान्य से करीब 35 फीसदी कम बारिश हुई है। जहां 19 जिलों में कम बारिश हुई है। जिनमें से सिरोही और टोंक जिले में सूखे जैसे हालात हैं।
आगामी 24 घंटों का बारिश का पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान केरल, तटीय कर्नाटक, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, कोंकण गोवा, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा के आसार हैं। उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, शेष मध्य प्रदेश, दक्षिणी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, रायलसीमा, तटीय आंध्र प्रदेश, आंतरिक तमिलनाडु और लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है।
बीते 24 घंटों के दौरान केरल के कई इलाकों में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई
इसी दौरान हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पश्चिमी और उत्तरी मध्य प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई। पूर्वी राजस्थान और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हुई। लक्षद्वीप, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात के कुछ हिस्सों, मध्य प्रदेश के बाकी भागों, बिहार, छत्तीसगढ़, गंगीय पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली। जम्मू कश्मीर और ओडिशा में भी कुछ स्थानों पर बारिश हुई।.................. आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के कई इलाकों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके तहत बारां, अलवर, चूरू, धौलपुर, दौसा, भरतपुर, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा और सिरोही जिलें में कुछ स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है।
इससे पहले बारां में कल से कई इलाकों में बारिश का दौरा जारी है। जिले के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक दौसा, चूरू, बुंदी, बीकानेर, भीलवाड़ा और अलवर में आज से 1 अगस्त तक बारिश जारी रह सकती है। वहीं अजमेर में कल से 2 अगस्त के बीच अच्छी बारिश की उम्मीद है। मौसम विभाग ने पूर्वी राजस्थान के लिए ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया है।
पूर्वी राजस्थान में इस साल बेहद कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुकाबिक 1 जून से 29 जुलाई तक यहां सामान्य से करीब 35 फीसदी कम बारिश हुई है। जहां 19 जिलों में कम बारिश हुई है। जिनमें से सिरोही और टोंक जिले में सूखे जैसे हालात हैं।
आगामी 24 घंटों का बारिश का पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान केरल, तटीय कर्नाटक, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, कोंकण गोवा, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा के आसार हैं। उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, शेष मध्य प्रदेश, दक्षिणी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, रायलसीमा, तटीय आंध्र प्रदेश, आंतरिक तमिलनाडु और लक्षद्वीप के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है।
बीते 24 घंटों के दौरान केरल के कई इलाकों में मूसलाधार वर्षा दर्ज की गई
इसी दौरान हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पश्चिमी और उत्तरी मध्य प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई। पूर्वी राजस्थान और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हुई। लक्षद्वीप, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात के कुछ हिस्सों, मध्य प्रदेश के बाकी भागों, बिहार, छत्तीसगढ़, गंगीय पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिली। जम्मू कश्मीर और ओडिशा में भी कुछ स्थानों पर बारिश हुई।.................. आर एस राणा
चालू वित्त वर्ष में बासमती चावल के निर्यात में कमी की आशंका - क्रिसिल
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है। अमेरिकी पाबंदियों से ईरान में डॉलर और पेमेंट की किल्लत की आशंका बढ़ गई है। भारत के बासमती चावल के निर्यात में अकेले ईरान की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी की है।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ईरान ने भारत से करीब 13 लाख टन बासमती चावल खरीदा था जोकि भारत के कुल बासमती चावल के निर्यात का करीब 30 फीसदी हिस्सा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की मार से जूझ रहे ईरान में अमेरिकी पाबंदियों का बड़ा असर दिखने लगा है और अब वहां पेमेंट संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। वहां डॉलर की किल्लत को देखते हुए भारतीय बासमती चावल के निर्यातक अब ईरान से सौदों कम रहे हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भुगतान संकट की वजह से भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात के सौदे पहले ही 20 फीसदी गिरकर 13 लाख टन पर आ चुका है, हालांकि दूसरे बाजारों में इसकी मांग सुधरी है और कई देशों में कोरोना से निपटने में खाद्यान भंडार बनाने की वजह से मांग और बढ़ने की उम्मीद है।
ईरान को निर्यात में कमी की आशंका, लेकिन अन्य देशों को बढ़ेगा
एपिडा के मुताबिक साल 2019-20 के दौरान भारत ने कुल 4.33 बिलियन डॉलर का 44.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि इससे एक साल पहले 4.72 बिलियन डॉलर का करीब 44.1 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। सूत्रों के अनुसार आर्थिक पाबंदिया, डॉलर में उतार-चढ़ाव और पेमेंट संकट से कारोबार पर असर पड़ा है, हालांकि कुछ निर्यातकों को उम्मीद है कि इन सब के बावजूद ईरान की मांग में आगे सुधार बन सकता है। साथ ही कई अन्य देशों जैसे यूरोप आदि की बढ़ती मांग से भारत बासमती चावल के कुल निर्यात पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।
मजूदरों की कमी के कारण बंदरगाह पर खर्च बढ़ गया
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बार निर्यात रियलाइजेशन में कमी देखी जा रही है। फिलहाल औसत एक्सपोर्ट रियलाइजेशन 63 रुपये प्रति किलो का है जबकि पिछले साल यह 69 रुपये प्रति किलो था। वहीं घरेलू बाजार में जहां सालाना करीब 20 लाख टन की बिक्री रहती है रियलाइजेशन पिछले साल के 52 रुपये प्रति किलो के आसपास ही है। निर्यात के लिए बासमती चावल की परिवहन लागत बंदरगाह तक पहुंच महंगी पड़ रही है, कोरोना वायरस के कारण मजदूरों की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच काकीनाड़ा बंदरगाह पर माल की लदाई में देरी हो रही है। राइस निया्रतक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी वी कृष्णराव के मुताबिक काकीनाड़ा बंदरगाह पर चावल की लदाई करीब 30 फीसदी तक कम हो गई है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात में करीब 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है। अमेरिकी पाबंदियों से ईरान में डॉलर और पेमेंट की किल्लत की आशंका बढ़ गई है। भारत के बासमती चावल के निर्यात में अकेले ईरान की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी की है।
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ईरान ने भारत से करीब 13 लाख टन बासमती चावल खरीदा था जोकि भारत के कुल बासमती चावल के निर्यात का करीब 30 फीसदी हिस्सा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की मार से जूझ रहे ईरान में अमेरिकी पाबंदियों का बड़ा असर दिखने लगा है और अब वहां पेमेंट संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। वहां डॉलर की किल्लत को देखते हुए भारतीय बासमती चावल के निर्यातक अब ईरान से सौदों कम रहे हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भुगतान संकट की वजह से भारत से ईरान को बासमती चावल के निर्यात के सौदे पहले ही 20 फीसदी गिरकर 13 लाख टन पर आ चुका है, हालांकि दूसरे बाजारों में इसकी मांग सुधरी है और कई देशों में कोरोना से निपटने में खाद्यान भंडार बनाने की वजह से मांग और बढ़ने की उम्मीद है।
ईरान को निर्यात में कमी की आशंका, लेकिन अन्य देशों को बढ़ेगा
एपिडा के मुताबिक साल 2019-20 के दौरान भारत ने कुल 4.33 बिलियन डॉलर का 44.5 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि इससे एक साल पहले 4.72 बिलियन डॉलर का करीब 44.1 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। सूत्रों के अनुसार आर्थिक पाबंदिया, डॉलर में उतार-चढ़ाव और पेमेंट संकट से कारोबार पर असर पड़ा है, हालांकि कुछ निर्यातकों को उम्मीद है कि इन सब के बावजूद ईरान की मांग में आगे सुधार बन सकता है। साथ ही कई अन्य देशों जैसे यूरोप आदि की बढ़ती मांग से भारत बासमती चावल के कुल निर्यात पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।
मजूदरों की कमी के कारण बंदरगाह पर खर्च बढ़ गया
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बार निर्यात रियलाइजेशन में कमी देखी जा रही है। फिलहाल औसत एक्सपोर्ट रियलाइजेशन 63 रुपये प्रति किलो का है जबकि पिछले साल यह 69 रुपये प्रति किलो था। वहीं घरेलू बाजार में जहां सालाना करीब 20 लाख टन की बिक्री रहती है रियलाइजेशन पिछले साल के 52 रुपये प्रति किलो के आसपास ही है। निर्यात के लिए बासमती चावल की परिवहन लागत बंदरगाह तक पहुंच महंगी पड़ रही है, कोरोना वायरस के कारण मजदूरों की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच काकीनाड़ा बंदरगाह पर माल की लदाई में देरी हो रही है। राइस निया्रतक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बी वी कृष्णराव के मुताबिक काकीनाड़ा बंदरगाह पर चावल की लदाई करीब 30 फीसदी तक कम हो गई है।............... आर एस राणा
28 जुलाई 2020
उद्योग ने कपास उत्पादन अनुमान में 5.50 लाख गांठ की बढ़ोतरी की
आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग ने चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान में साढ़े पांच लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की बढ़ोतरी कर कुल उत्पादन 335.50 लाख गांठ का जारी किया है जबकि इससे पहले 330 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में 335.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 312 लाख गांठ से ज्यादा है। चालू फसल सीजन 2019-20 में गुजरात में कपास के उत्पादन का अनुमान 85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 16.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 14.25 लाख गांठ, कर्नाटक में 18.75 और तमिलनाडु में पांच लाख गांठ का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 60 लाख गांठ तथा ओडिशा एवं अन्य राज्यों में कुल पांच लाख गांठ का उत्पादन होने का अनुमान है।
30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की हो चुकी है आवक
सीआईए के अनुसार चालू सीजन में 30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। पहली अक्टूबर 2019 को शुरू हुए चालू सीजन में 32 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक था, जबकि चालू सीजन में 15 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 382.50 लाख गांठ की बैठेगी। देश में कपास की खपत 280 लाख गांठ की होने का अनुमान है, जबकि करीब 47 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है। ऐसे में आगामी सीजन पहली अक्टूबर 2020 को कपास का बकाया स्टॉक बढ़कर 50.55 लाख गांठ का बचेगा।
सीसीआई के पास कपास का स्टॉक ज्यादा
कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने चालू सीजन में 100 लाख गांठ से कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी किसानों से करीब 15 लाख गांठ की खरीद की थी। इस समय सीसीआई 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की दर से कपास की बिकवाली कर रही है, जबकि चालू खरीफ में कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। सीसीआई कपास के निर्यात को बढ़ाने के लिए बंगलादेश के साथ ही अन्य देशों की सरकारो से बातचीत कर रही है।
बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 118.03 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 96.35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
नई दिल्ली। उद्योग ने चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान में साढ़े पांच लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की बढ़ोतरी कर कुल उत्पादन 335.50 लाख गांठ का जारी किया है जबकि इससे पहले 330 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में 335.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 312 लाख गांठ से ज्यादा है। चालू फसल सीजन 2019-20 में गुजरात में कपास के उत्पादन का अनुमान 85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 16.50 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 14.25 लाख गांठ, कर्नाटक में 18.75 और तमिलनाडु में पांच लाख गांठ का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 60 लाख गांठ तथा ओडिशा एवं अन्य राज्यों में कुल पांच लाख गांठ का उत्पादन होने का अनुमान है।
30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की हो चुकी है आवक
सीआईए के अनुसार चालू सीजन में 30 जून तक उत्पादक मंडियों में 327.02 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। पहली अक्टूबर 2019 को शुरू हुए चालू सीजन में 32 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक था, जबकि चालू सीजन में 15 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 382.50 लाख गांठ की बैठेगी। देश में कपास की खपत 280 लाख गांठ की होने का अनुमान है, जबकि करीब 47 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है। ऐसे में आगामी सीजन पहली अक्टूबर 2020 को कपास का बकाया स्टॉक बढ़कर 50.55 लाख गांठ का बचेगा।
सीसीआई के पास कपास का स्टॉक ज्यादा
कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने चालू सीजन में 100 लाख गांठ से कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी किसानों से करीब 15 लाख गांठ की खरीद की थी। इस समय सीसीआई 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की दर से कपास की बिकवाली कर रही है, जबकि चालू खरीफ में कपास की बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। सीसीआई कपास के निर्यात को बढ़ाने के लिए बंगलादेश के साथ ही अन्य देशों की सरकारो से बातचीत कर रही है।
बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 118.03 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 96.35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार में तेज बारिश का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के अलावा दक्षिण भारत में केरल और तमिलनाडु में अगले 24 घंटे के दौरान भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग ने इन इलाकों के लिए ऑरेंज रंग में चेतावनी जारी की है।
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के अलावा दक्षिण भारत में केरल और तमिलनाडु में अगले 24 घंटे के दौरान भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। विभाग ने इन इलाकों के लिए ऑरेंज रंग में चेतावनी जारी की है।
मौसम की जानकारी देने वाली निजी कंपनी स्काईमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश, उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश पर मॉनसून की व्यापक सक्रियता के बीच कुछ स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश के आसार हैं। उत्तराखंड, कोंकण गोवा और तटीय कर्नाटक पर भी मेहरबान रहेगा मॉनसून और हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश होने के आसार हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाकी हिस्सों, आंतरिक महाराष्ट्र, तमिलनाडु, रायलसीमा, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, लक्षद्वीप, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और दक्षिणी गुजरात में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम वर्षा होने की संभावना है। दिल्ली और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश में आज से 30 जुलाई तक भारी बारिश का अनुमान
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में आज से 30 जुलाई तक भारी से भारी बारिश हो सकती है। वहीं 31 जुलाई कां भी प्रदेश के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश होने का अनुमान है। इसके साथ ही बाढ़ से जूझ रहे बिहार में भी आज और कल के लिए विभाग की ओर से ऑरेंज अलर्ट है। इन दोनों राज्यों के अलावा अगले 24 घंटे में मध्य प्रदेश में भी तेज बारिश का अनुमान है। मौसम विभाग ने कहा है कि 29 और 30 जुलाई को पश्चिमी मध्य प्रदेश और 29 जुलाई को पूर्वी मध्य प्रदेश में तेज बारिश हो सकती है। इन सभी इलाकों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर में सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा में भी अच्छी बारिश की उम्मीद है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के साथ साथ कोंकण ओर गोवा के कुछ इलाकों में भी अच्छी बारिश हो सकती है। ................... आर एस राणा
विश्व बाजार में सोना चालू साल में 2,020 डॉल प्रति औस के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में सोना 1,981 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चला गया है और 2,000 डॉलर प्रति औंस के काफी करीब है। कोरोना संकट काल में कीमती धातुओं के प्रति निवेशकों का रुझान बना हुआ है जिससे इस मनोवैज्ञानिक स्तर के टूटने की संभावना बनी हुई है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि 2020 में सोना 2,020 डॉलर प्रति औंस के स्तर को तोड़ इतिहास रच सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई तेजी से उत्साहित सोना घरेलू बाजार में भी लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है और चांदी के दाम में भी भारी तेजी बनी हुई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सुबह चांदी के सितंबर अनुबंध में पिछले सत्र से 919 रुपये यानी 1.40 फीसदी की तेजी के साथ 66,447 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव एमसीएक्स पर कारोबार के दौरान 67,560 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था। कोरोना काल में 18 मार्च को चांदी का भाव एमसीएक्स पर 33,580 रुपये प्रति किलो तक टूटा था जिसके बाद कीमतें करीब दोगुने स्तर पर पहुंच गई हैं।
जानकारों के अनुसार इस बार चांदी में आई तेजी से इसकी जेवराती मांग बनी रह सकती है, इसलिए पिछले रिकॉर्ड स्तर को चांदी छू सकती है। उंचे भाव पर भी सोने की मांग बनी हुई है क्योंकि सोना मुसीबत की घड़ी में काम आता है। चांदी का भाव एमसीएक्स पर 25 अप्रैल 2011 को रिकॉर्ड 73,600 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था जबकि हाजिर बाजार में चांदी का भाव 2011 में 77,000 रुपये प्रति किलो हो गया था। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र की क्लोजिंग से 185 रुपये यानी 0.36 फीसदी की तेजी के साथ 52,286 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 52,435 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। सोने का भाव 16 मार्च 2020 को 38,400 रुपये प्रति 10 ग्राम था जिसके बाद सोने में 36.54 फीसदी की तेजी आई है।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता कहते हैं कि अमेरिकी करेंसी डॉलर में कमजोरी को देखते हुए सोना वैश्विक बाजार में 2,000 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़कर इतिहास रच सकता है। अनुज गुप्ता बताते हैं कि दिवाली तक एमसीएक्स पर सोना 54,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब रह सकता है। निवेश के सुरक्षित साधन के तौर पर सोने के प्रति निवेशकों का रुझान बना हुआ है जिसके चलते सोना वैश्विक बाजार में लगातार नया रिकॉर्ड बना हुआ है और चांदी में भी लगातार तेजी का रुख बना हुंआ है।।
बाजार विश्लेषक बताते हैं कि कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते चांदी की खनन बाधित होने और दुनिया के विभिन्न देशों में औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर लौटने से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से इसकी कीमतों में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 18 मार्च को 12 डॉलर प्रति औंस से भी नीचे गिर गई थी जबकि मंगलवार को चांदी कॉमेक्स पर 26 डॉलर प्रति औंस से उपर तक उछली। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में मंगलवार को पिछले सत्र से 5.10 डॉलर यानी 0.26 फीसदी की तेजी के साथ 1,936.10 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,974.40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा जोकि कॉमेक्स पर सोने के वायदा भाव का एक नया रिकॉर्ड है। वहीं, सोने का हाजिर भाव वैश्विक बाजार में 1981.13 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा जोकि एक नया रिकॉर्ड है।........... आर एस राणा
नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में सोना 1,981 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चला गया है और 2,000 डॉलर प्रति औंस के काफी करीब है। कोरोना संकट काल में कीमती धातुओं के प्रति निवेशकों का रुझान बना हुआ है जिससे इस मनोवैज्ञानिक स्तर के टूटने की संभावना बनी हुई है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि 2020 में सोना 2,020 डॉलर प्रति औंस के स्तर को तोड़ इतिहास रच सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई तेजी से उत्साहित सोना घरेलू बाजार में भी लगातार नया रिकॉर्ड बना रहा है और चांदी के दाम में भी भारी तेजी बनी हुई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सुबह चांदी के सितंबर अनुबंध में पिछले सत्र से 919 रुपये यानी 1.40 फीसदी की तेजी के साथ 66,447 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव एमसीएक्स पर कारोबार के दौरान 67,560 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था। कोरोना काल में 18 मार्च को चांदी का भाव एमसीएक्स पर 33,580 रुपये प्रति किलो तक टूटा था जिसके बाद कीमतें करीब दोगुने स्तर पर पहुंच गई हैं।
जानकारों के अनुसार इस बार चांदी में आई तेजी से इसकी जेवराती मांग बनी रह सकती है, इसलिए पिछले रिकॉर्ड स्तर को चांदी छू सकती है। उंचे भाव पर भी सोने की मांग बनी हुई है क्योंकि सोना मुसीबत की घड़ी में काम आता है। चांदी का भाव एमसीएक्स पर 25 अप्रैल 2011 को रिकॉर्ड 73,600 रुपये प्रति किलो तक पहुंचा था जबकि हाजिर बाजार में चांदी का भाव 2011 में 77,000 रुपये प्रति किलो हो गया था। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र की क्लोजिंग से 185 रुपये यानी 0.36 फीसदी की तेजी के साथ 52,286 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 52,435 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। सोने का भाव 16 मार्च 2020 को 38,400 रुपये प्रति 10 ग्राम था जिसके बाद सोने में 36.54 फीसदी की तेजी आई है।
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता कहते हैं कि अमेरिकी करेंसी डॉलर में कमजोरी को देखते हुए सोना वैश्विक बाजार में 2,000 डॉलर प्रति औंस के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़कर इतिहास रच सकता है। अनुज गुप्ता बताते हैं कि दिवाली तक एमसीएक्स पर सोना 54,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब रह सकता है। निवेश के सुरक्षित साधन के तौर पर सोने के प्रति निवेशकों का रुझान बना हुआ है जिसके चलते सोना वैश्विक बाजार में लगातार नया रिकॉर्ड बना हुआ है और चांदी में भी लगातार तेजी का रुख बना हुंआ है।।
बाजार विश्लेषक बताते हैं कि कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते चांदी की खनन बाधित होने और दुनिया के विभिन्न देशों में औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर लौटने से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से इसकी कीमतों में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 18 मार्च को 12 डॉलर प्रति औंस से भी नीचे गिर गई थी जबकि मंगलवार को चांदी कॉमेक्स पर 26 डॉलर प्रति औंस से उपर तक उछली। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में मंगलवार को पिछले सत्र से 5.10 डॉलर यानी 0.26 फीसदी की तेजी के साथ 1,936.10 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,974.40 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा जोकि कॉमेक्स पर सोने के वायदा भाव का एक नया रिकॉर्ड है। वहीं, सोने का हाजिर भाव वैश्विक बाजार में 1981.13 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा जोकि एक नया रिकॉर्ड है।........... आर एस राणा
27 जुलाई 2020
मानसून सीजन के पहले दो महीनों में देशभर के 200 जिलों में सामान्य से कम हुई बारिश
आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून सीजन के पहले दो महीने पहली जून से 27 जुलाई तक देशभर में सामान्य से दो फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, लेकिन इस दौरान राज्यवार देखे तो देशभर के करीब 200 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिसका असर खरीफ की फसलों पर पड़ने की आशंका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में 18.50 फीसदी आगे चल रही है लेकिन बुआई के बाद बारिश की कमी का असर आगे फसलों पर पड़ने की आशंका है। गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जिलों में सामान्य से कम बारिश चिंता का विषय है।
गुजरात में आनंद, बनासकांठा और भरूच समेत 18 जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है। जिनमें खास करके नर्मदा, नवसारी, दाहौद और तापी में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। जहां बारिश की कमी 50 फीसदी से ज्यादा है। हालांकि राज्य के सौराष्ट्र और कच्छ के इलाकों में इस साल अच्छी बारिश हुई है। यहां ज्यादातर कपास और मूंगफली की खेती होती है, जिसमें से किसानों ने इस साल मूंगफली की बुआई पर ज्यादा जोर दिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और गन्ने की खेती वाले राज्य भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में बारिश को लेकर चिंताजनक स्थिति है। इसमें भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर चिंता ज्यादा है। जहां इस बार सबसे कम बारिश हुई है। राज्य के बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, ज्योतिबाफूले नगर और मथुरा में बारिश की 60 फीसदी से ज्यादा कमी है और सूखे जैसै हालात हो गए हैं। यहां उड़द और मूंगफली की खेती वाले ललितपुर और झांसी जैसे जिलों में भी सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में हालात बेहतर हैं।
राजस्थान के कई जिलों में फसलें प्रभावित होने की आशंका
खरीफ की खेती के लिहाज से एक और राज्य राजस्थान के भी करीब 22 जिलों में बारिश की कमी देखी जा रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के टोंक, सिरोही और बुंदी जिलों में बारिश में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी है। वहीं भीलवाड़ा, बीकानेर, अलवर और सवाईमाधोपुर जैसे इलाकों में 40-50 फीसदी तक कम बारिश हुई है। राज्य में मुख्य रुप से कपास, ग्वार, उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, बाजरा और ज्वार की खेती होती है। राजस्थान में खरीफ की खेती के लिहाज से जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर अहम हैं। इन जिलों में कम बारिश से खरीफ की पैदावार पर ज्यादा असर पड़ेगा, जिसका असर खासकर के बाजरा, ग्वार और मोठ की फसल पर पड़ने की आशंका है।
हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और कपास की खेती वाले दो राज्यों पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में इस साल बारिश की कमी देखी जा रही है। पंजाब में खास तौर से होशियारपुर, जालंधर, मानसा, रुपनगर और तरणतारण में बेहद कम बारिश हुई है। माना जा रहा है कि बारिश में और दिक्कत हुई तो धान के साथ कपास की खेती भी प्रभावित हो सकती है। हरियाणा के पंचकूला समेत 8 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। जिनमें अकेले पंचकूला में बारिश में 60 फीसदी से ज्यादा की कमी है। हालांकि राज्य में ग्वार की खेती वाले प्रमुख इलाके हिसार आदि में अच्छी बारिश हुई है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को बारिश की जरुरत
सोयाबीन और कपास के साथ उड़द और तुअर की खेती वाले मध्य प्रदेश के 13 जिलों इस साल कम बारिश हुई है। खास करके अलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, छत्तरपुर, और जबलपुर जहां उड़द की खेती प्रमुख रुप से होती है, में बारिश कम है। साथ ही सोयाबीन, कपास और मक्के की खेती वाले होशंगाबाद और मंदसौर की भी स्थिति नाजुक है। श्योपुर और शिवपुरी में भी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है। हालांकि महाराष्ट्र में नंदुरबार, सतारा, गोंदिया और अकोला समेत महज 5 राज्यों में ही बारिश कम हुई है। मध्य प्रदेश ओर महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती वाले इलाकों में अब बारिश की जरुरत है, देरी होने पर पैदावार पर असर पड़ सकता है।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून सीजन के पहले दो महीने पहली जून से 27 जुलाई तक देशभर में सामान्य से दो फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, लेकिन इस दौरान राज्यवार देखे तो देशभर के करीब 200 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिसका असर खरीफ की फसलों पर पड़ने की आशंका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में 18.50 फीसदी आगे चल रही है लेकिन बुआई के बाद बारिश की कमी का असर आगे फसलों पर पड़ने की आशंका है। गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जिलों में सामान्य से कम बारिश चिंता का विषय है।
गुजरात में आनंद, बनासकांठा और भरूच समेत 18 जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है। जिनमें खास करके नर्मदा, नवसारी, दाहौद और तापी में स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। जहां बारिश की कमी 50 फीसदी से ज्यादा है। हालांकि राज्य के सौराष्ट्र और कच्छ के इलाकों में इस साल अच्छी बारिश हुई है। यहां ज्यादातर कपास और मूंगफली की खेती होती है, जिसमें से किसानों ने इस साल मूंगफली की बुआई पर ज्यादा जोर दिया है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और गन्ने की खेती वाले राज्य भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में बारिश को लेकर चिंताजनक स्थिति है। इसमें भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर चिंता ज्यादा है। जहां इस बार सबसे कम बारिश हुई है। राज्य के बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, ज्योतिबाफूले नगर और मथुरा में बारिश की 60 फीसदी से ज्यादा कमी है और सूखे जैसै हालात हो गए हैं। यहां उड़द और मूंगफली की खेती वाले ललितपुर और झांसी जैसे जिलों में भी सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में हालात बेहतर हैं।
राजस्थान के कई जिलों में फसलें प्रभावित होने की आशंका
खरीफ की खेती के लिहाज से एक और राज्य राजस्थान के भी करीब 22 जिलों में बारिश की कमी देखी जा रही है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य के टोंक, सिरोही और बुंदी जिलों में बारिश में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी है। वहीं भीलवाड़ा, बीकानेर, अलवर और सवाईमाधोपुर जैसे इलाकों में 40-50 फीसदी तक कम बारिश हुई है। राज्य में मुख्य रुप से कपास, ग्वार, उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, बाजरा और ज्वार की खेती होती है। राजस्थान में खरीफ की खेती के लिहाज से जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर अहम हैं। इन जिलों में कम बारिश से खरीफ की पैदावार पर ज्यादा असर पड़ेगा, जिसका असर खासकर के बाजरा, ग्वार और मोठ की फसल पर पड़ने की आशंका है।
हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में सामान्य से कम हुई है बारिश
धान और कपास की खेती वाले दो राज्यों पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में इस साल बारिश की कमी देखी जा रही है। पंजाब में खास तौर से होशियारपुर, जालंधर, मानसा, रुपनगर और तरणतारण में बेहद कम बारिश हुई है। माना जा रहा है कि बारिश में और दिक्कत हुई तो धान के साथ कपास की खेती भी प्रभावित हो सकती है। हरियाणा के पंचकूला समेत 8 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। जिनमें अकेले पंचकूला में बारिश में 60 फीसदी से ज्यादा की कमी है। हालांकि राज्य में ग्वार की खेती वाले प्रमुख इलाके हिसार आदि में अच्छी बारिश हुई है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल को बारिश की जरुरत
सोयाबीन और कपास के साथ उड़द और तुअर की खेती वाले मध्य प्रदेश के 13 जिलों इस साल कम बारिश हुई है। खास करके अलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, छत्तरपुर, और जबलपुर जहां उड़द की खेती प्रमुख रुप से होती है, में बारिश कम है। साथ ही सोयाबीन, कपास और मक्के की खेती वाले होशंगाबाद और मंदसौर की भी स्थिति नाजुक है। श्योपुर और शिवपुरी में भी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है। हालांकि महाराष्ट्र में नंदुरबार, सतारा, गोंदिया और अकोला समेत महज 5 राज्यों में ही बारिश कम हुई है। मध्य प्रदेश ओर महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती वाले इलाकों में अब बारिश की जरुरत है, देरी होने पर पैदावार पर असर पड़ सकता है।............. आर एस राणा
मध्य प्रदेश में 130 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है खरीफ फसलों की बुआई - कृषि मंत्री
आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून के साथ ही मानसून पूर्व की अच्छी बारिश से मध्य प्रदेश में खरीफ की फसलों की बुआई बढ़कर 130 लाख हेक्टयर में हो चुकी है, जो लक्ष्य से 15 लाख हेक्टयर कम है। राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोमवार को बताया, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को हरसंभव मदद दी जाएगी, ताकि वह कर्ज में नहीं डूबें।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, राज्य में खरीफ की फसल के लिए 145 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य था, इसमें से 130 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। ग्वालियर, चंबल और जबलपुर संभाग के 15 जिलों की 15 लाख हेक्टेयर में कम वर्षा के कारण बुआई का काम प्रभावित हुआ है। इन जिलों में धान की फसल रोपने के लिए नहरों से पानी छोड़ा जा रहा है, 15 अगस्त तक यह लक्ष्य पूरा कर लेने की उम्मीद है। इसी तरह सागर संभाग में उड़द की बुआई प्रभावित हुई है।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि कोरोना के संकट काल में खेती और किसान देश की उम्मीद साबित हुए हैं। जब पूरा देश लॉकडाउन पर था तब खेतों में काम जारी रहा, किसानों ने दो टाइम के भोजन, फल, सब्जी और दूध की आपूर्ति जारी रखी। कमल पटेल ने आगे कहा कि किसानों को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में क्षतिपूर्ति दिए जाने के पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं, वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी किसानों के लिए बड़ा सहारा है। सूखा या अतिवृष्टि की स्थिति में फसलों को हुई क्षति की भरपाई करने में पीछे नहीं रहेंगे, जिससे किसान कर्ज में न फंसे।.................. आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून के साथ ही मानसून पूर्व की अच्छी बारिश से मध्य प्रदेश में खरीफ की फसलों की बुआई बढ़कर 130 लाख हेक्टयर में हो चुकी है, जो लक्ष्य से 15 लाख हेक्टयर कम है। राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोमवार को बताया, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को हरसंभव मदद दी जाएगी, ताकि वह कर्ज में नहीं डूबें।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा, राज्य में खरीफ की फसल के लिए 145 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य था, इसमें से 130 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। ग्वालियर, चंबल और जबलपुर संभाग के 15 जिलों की 15 लाख हेक्टेयर में कम वर्षा के कारण बुआई का काम प्रभावित हुआ है। इन जिलों में धान की फसल रोपने के लिए नहरों से पानी छोड़ा जा रहा है, 15 अगस्त तक यह लक्ष्य पूरा कर लेने की उम्मीद है। इसी तरह सागर संभाग में उड़द की बुआई प्रभावित हुई है।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि कोरोना के संकट काल में खेती और किसान देश की उम्मीद साबित हुए हैं। जब पूरा देश लॉकडाउन पर था तब खेतों में काम जारी रहा, किसानों ने दो टाइम के भोजन, फल, सब्जी और दूध की आपूर्ति जारी रखी। कमल पटेल ने आगे कहा कि किसानों को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में क्षतिपूर्ति दिए जाने के पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं, वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी किसानों के लिए बड़ा सहारा है। सूखा या अतिवृष्टि की स्थिति में फसलों को हुई क्षति की भरपाई करने में पीछे नहीं रहेंगे, जिससे किसान कर्ज में न फंसे।.................. आर एस राणा
सोना की कीमतें रिकार्ड स्तर पर, वायदा में भाव 52,000 रुपये प्रति दस ग्राम के करीब
आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के समय में घरेलू बाजार के साथ ही विश्व बाजार में सोने की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। विदेशी बाजार में आई तेजी से सोमवार को घरेलू वायदा कारोबार में सोने के भाव 51,833 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गए, वहीं विश्व बाजार में सोने का भाव 1,944 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया जोकि एक नया रिकॉर्ड है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर बनी चिंता से निवेशकों का रुझान निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ है, इसलिए महंगी धातु के दाम में तेजी बनी हुई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में सोमवार को भाव पिछले सत्र की क्लोजिंग से 735 रुपये यानी 1.44 फीसदी की तेजी के साथ 51,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था, जबकि इससे पहले कीमतें 51,833 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थी, जोकि एक रिकार्ड है। एमसीएक्स पर चांदी के सितंबर महीने के वायदा अनुबंध में 3,357 रुपये यानी 5.48 फीसदी की तेजी के साथ 64,580 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव 64,849 रुपये प्रति किलो की उंचाई पर पहुंच गया था।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में सोमवार को पिछले सत्र से 31.35 डॉलर यानी 1.65 फीसदी की तेजी के साथ 1,928.85 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,937.60 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा था जोकि कॉमेक्स पर सोने के वायदा भाव का एक नया रिकॉर्ड है। इससे पहले कॉमेक्स पर सोने का भाव छह सितंबर 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा था। सोने का हाजिर भाव वैश्विक बाजार में 1,944.57 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा जोकि एक नया रिकॉर्ड है क्योंकि इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने के हाजिर भाव का रिकॉर्ड स्तर 1,921.17 डॉलर प्रति औंस था।
कॉमेक्स पर चांदी के सितंबर अनुबंध में पिछले सत्र से मुकाबले 1.5 डॉलर यानी 6.56 फीसदी की तेजी के साथ 24.35 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव कॉमेक्स पर कारोबार के दौरान 24.510 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा था। एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि डॉलर में आई कमजोरी से सोने को सपोर्ट मिला है। दुनिया की छह प्रमुख मुद्रा के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स 18 मई को 100.43 पर था जोकि फिसलकर 93.85 पर आ गया है। बीते सात सत्रों से डॉलर इंडेक्स में कमजोरी बनी हुई है। केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि कोरोना के गहराते प्रकोप के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर चिंता बनी हुई है और शेयर बाजार में भी अस्थिरता का माहौल है जिससे निवेशकों का रुझान बहरहाल निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ है यही कारण है कि महंगी धातुओं के दाम में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के समय में घरेलू बाजार के साथ ही विश्व बाजार में सोने की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। विदेशी बाजार में आई तेजी से सोमवार को घरेलू वायदा कारोबार में सोने के भाव 51,833 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गए, वहीं विश्व बाजार में सोने का भाव 1,944 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया जोकि एक नया रिकॉर्ड है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर बनी चिंता से निवेशकों का रुझान निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ है, इसलिए महंगी धातु के दाम में तेजी बनी हुई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में सोमवार को भाव पिछले सत्र की क्लोजिंग से 735 रुपये यानी 1.44 फीसदी की तेजी के साथ 51,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था, जबकि इससे पहले कीमतें 51,833 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई थी, जोकि एक रिकार्ड है। एमसीएक्स पर चांदी के सितंबर महीने के वायदा अनुबंध में 3,357 रुपये यानी 5.48 फीसदी की तेजी के साथ 64,580 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव 64,849 रुपये प्रति किलो की उंचाई पर पहुंच गया था।
अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में सोमवार को पिछले सत्र से 31.35 डॉलर यानी 1.65 फीसदी की तेजी के साथ 1,928.85 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,937.60 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा था जोकि कॉमेक्स पर सोने के वायदा भाव का एक नया रिकॉर्ड है। इससे पहले कॉमेक्स पर सोने का भाव छह सितंबर 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा था। सोने का हाजिर भाव वैश्विक बाजार में 1,944.57 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा जोकि एक नया रिकॉर्ड है क्योंकि इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने के हाजिर भाव का रिकॉर्ड स्तर 1,921.17 डॉलर प्रति औंस था।
कॉमेक्स पर चांदी के सितंबर अनुबंध में पिछले सत्र से मुकाबले 1.5 डॉलर यानी 6.56 फीसदी की तेजी के साथ 24.35 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले चांदी का भाव कॉमेक्स पर कारोबार के दौरान 24.510 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचा था। एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि डॉलर में आई कमजोरी से सोने को सपोर्ट मिला है। दुनिया की छह प्रमुख मुद्रा के मुकाबले डॉलर की ताकत का सूचक डॉलर इंडेक्स 18 मई को 100.43 पर था जोकि फिसलकर 93.85 पर आ गया है। बीते सात सत्रों से डॉलर इंडेक्स में कमजोरी बनी हुई है। केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि कोरोना के गहराते प्रकोप के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर चिंता बनी हुई है और शेयर बाजार में भी अस्थिरता का माहौल है जिससे निवेशकों का रुझान बहरहाल निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ है यही कारण है कि महंगी धातुओं के दाम में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है।............... आर एस राणा
26 जुलाई 2020
एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाज और मसालों की खबरों के लिए सपंर्क करे
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खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा
आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने
पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के
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आर एस राणा
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25 जुलाई 2020
उत्तर-मध्य भारत में मानसून कमजोर रहने की आशंका - अमेरिकी अनुसंधान एजेंसी
आर एस राणा
नई दिल्ली। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि इस वर्ष मानसून के कम-दबाव तंत्र के घटने का अनुमान है जिससे उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी आ सकती है।
अमेरिका की एक अनुसंधान एजेंसी के अध्ययन में यह बात सामने आई है। राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का यह अध्ययन शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है। इसमें दक्षिण एशियाई मॉनसून क्षेत्र में ‘मानसून कम दबाव तंत्र’ (एमएलपीएस) के उल्लेखनीय हद तक घटने का अनुमान व्यक्त किया गया है। एनओएए ने कहा कि एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का एक कारक है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव फिर चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा मानव निर्मित, इसके दूरगामी सामाजिक आर्थिक प्रभाव होते हैं। अध्ययन में उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी का अनुमान व्यक्त किया गया है।
पहली जून से 25 जुलाई तक उत्तर भारत में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 25 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 5 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, इस दौरान देश के पूर्वी राज्यों में सामान्य से 15 फीसदी अधिक बारिश हुई है, लेकिन उत्तर भारत में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। मध्य भारत के राज्यों में सामान्य से 3 फसीदी अधिक और दखिण भारत के राज्यों में 16 फीसदी अधिक बारिश हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी तक सामान्य से 30 फीसदी और उत्तराखंड में 18 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 33 फीसदी और जम्मू कश्मीर में 50 फीसदी कम बारिश हुई है। इस दौरान ईस्ट राजस्थान में सामान्य से 31 फीसदी तथा गुजरात रीजन में 40 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।
अगले 24 घंटों के दौरान कर्नाटक और उत्तराखंड में मानसून व्यापक रूप में सक्रिय रहेगा
मौसम की जानकारी देने वाली स्काईमेट एजेंसी के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान कर्नाटक और उत्तराखंड में मानसून व्यापक रूप में सक्रिय रहेगा जिससे इन भागों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। पंजाब, दिल्ली-एनसीआर, दक्षिणी राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत, केरल, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, आंतरिक कर्नाटक, ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में हल्की और एक-दो जगहों पर मध्यम बारिश का अनुमान है।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि इस वर्ष मानसून के कम-दबाव तंत्र के घटने का अनुमान है जिससे उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी आ सकती है।
अमेरिका की एक अनुसंधान एजेंसी के अध्ययन में यह बात सामने आई है। राष्ट्रीय महासागरीय एवं वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का यह अध्ययन शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है। इसमें दक्षिण एशियाई मॉनसून क्षेत्र में ‘मानसून कम दबाव तंत्र’ (एमएलपीएस) के उल्लेखनीय हद तक घटने का अनुमान व्यक्त किया गया है। एनओएए ने कहा कि एमएलपीएस भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का एक कारक है और इसमें किसी भी तरह का बदलाव फिर चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा मानव निर्मित, इसके दूरगामी सामाजिक आर्थिक प्रभाव होते हैं। अध्ययन में उत्तर-मध्य भारत में बारिश में कमी का अनुमान व्यक्त किया गया है।
पहली जून से 25 जुलाई तक उत्तर भारत में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 25 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 5 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है, इस दौरान देश के पूर्वी राज्यों में सामान्य से 15 फीसदी अधिक बारिश हुई है, लेकिन उत्तर भारत में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। मध्य भारत के राज्यों में सामान्य से 3 फसीदी अधिक और दखिण भारत के राज्यों में 16 फीसदी अधिक बारिश हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी तक सामान्य से 30 फीसदी और उत्तराखंड में 18 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 33 फीसदी और जम्मू कश्मीर में 50 फीसदी कम बारिश हुई है। इस दौरान ईस्ट राजस्थान में सामान्य से 31 फीसदी तथा गुजरात रीजन में 40 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।
अगले 24 घंटों के दौरान कर्नाटक और उत्तराखंड में मानसून व्यापक रूप में सक्रिय रहेगा
मौसम की जानकारी देने वाली स्काईमेट एजेंसी के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान कर्नाटक और उत्तराखंड में मानसून व्यापक रूप में सक्रिय रहेगा जिससे इन भागों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। पंजाब, दिल्ली-एनसीआर, दक्षिणी राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत, केरल, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, आंतरिक कर्नाटक, ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में हल्की और एक-दो जगहों पर मध्यम बारिश का अनुमान है।............. आर एस राणा
हरियाणा में धान घोटाला, चावल मिलों के स्टॉक में धान कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा की राइस मिलों में धान घोटाले का मामला सामने आया है। राज्य की 98 चावल मिलों के स्टॉक में 18,883 टन धान कम पाया गया है। विभाग को 6 जिलों की मिलों की शिकायतें मिली थीं। जिनमें, से सबसे ज्यादा गड़बड़ियों वाला जिला कुरुक्षेत्र रहा है।
सूत्रों के अनुसार राज्य के 6 जिलों अम्बाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पलवल और यमुनानगर की 557 राइस मिलों का फिजिकल वैरीफिकेशन किया गया। जिसमें अम्बाला की 72, करनाल की 190, कैथल की 54, कुरुक्षेत्र की 170, पलवल की 6 और यमुनानगर की 65 चावल मिलें शामिल हैं। सिर्फ उन मिलों का ही वैरीफिकेशन किया गया जिसमें 90 फीसदी से ज्यादा शिकायतें थी। वैरीफिकेशन के दौरान अम्बाला की 3 राइस मिलों में 8.65 टन, करनाल की 47 मिलों में 4,048 टन, कैथल की 7 मिलों में 2,863 टन, कुरुक्षेत्र की 39 मिलों में 11,960 टन और यमुनानगर की 2 मिलों में 6.25 टन धान तय मात्रा से कम पाया गया है। इस तरह से 6 में से 5 जिलों की 98 राइस मिलों में कुल 18,883 टन धान कम पाया गया है। उधर पलवल की चावल मिलों में पूरा धान पाया गया।
इससे पहले भी राज्य की चावल मिलों में धान घोटाले के मामले आ चुके हैं। जिसमें फिजिकल वैरीफिकेशन के बाद सैकड़ों राइस मिलों को नोटिस देकर पैसे वसूले गए थे। कई राइस मिलों को डिफाल्टर घोषित करने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की गई थी। लेकिन इस बार मामले में करनाल की एक राइस मिल मालिक पर दूसरे प्रदेशों से चावल मंगवाने का मामला भी सामने आया था। बाद में विभागीय कार्रवाई के तहत मिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद ही राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने 6 जिलों की राइस मिलों का फिजिकल वैरीफिकेशन का फैसला किया था। ................ आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा की राइस मिलों में धान घोटाले का मामला सामने आया है। राज्य की 98 चावल मिलों के स्टॉक में 18,883 टन धान कम पाया गया है। विभाग को 6 जिलों की मिलों की शिकायतें मिली थीं। जिनमें, से सबसे ज्यादा गड़बड़ियों वाला जिला कुरुक्षेत्र रहा है।
सूत्रों के अनुसार राज्य के 6 जिलों अम्बाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पलवल और यमुनानगर की 557 राइस मिलों का फिजिकल वैरीफिकेशन किया गया। जिसमें अम्बाला की 72, करनाल की 190, कैथल की 54, कुरुक्षेत्र की 170, पलवल की 6 और यमुनानगर की 65 चावल मिलें शामिल हैं। सिर्फ उन मिलों का ही वैरीफिकेशन किया गया जिसमें 90 फीसदी से ज्यादा शिकायतें थी। वैरीफिकेशन के दौरान अम्बाला की 3 राइस मिलों में 8.65 टन, करनाल की 47 मिलों में 4,048 टन, कैथल की 7 मिलों में 2,863 टन, कुरुक्षेत्र की 39 मिलों में 11,960 टन और यमुनानगर की 2 मिलों में 6.25 टन धान तय मात्रा से कम पाया गया है। इस तरह से 6 में से 5 जिलों की 98 राइस मिलों में कुल 18,883 टन धान कम पाया गया है। उधर पलवल की चावल मिलों में पूरा धान पाया गया।
इससे पहले भी राज्य की चावल मिलों में धान घोटाले के मामले आ चुके हैं। जिसमें फिजिकल वैरीफिकेशन के बाद सैकड़ों राइस मिलों को नोटिस देकर पैसे वसूले गए थे। कई राइस मिलों को डिफाल्टर घोषित करने के साथ कानूनी कार्रवाई भी की गई थी। लेकिन इस बार मामले में करनाल की एक राइस मिल मालिक पर दूसरे प्रदेशों से चावल मंगवाने का मामला भी सामने आया था। बाद में विभागीय कार्रवाई के तहत मिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद ही राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने 6 जिलों की राइस मिलों का फिजिकल वैरीफिकेशन का फैसला किया था। ................ आर एस राणा
24 जुलाई 2020
खपत में कमी के बावजूद खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी जारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। होटल, रेस्तरा, कैंटीन में कारोबार कम से खाने के तेल की खपत घटने के बावजूद तमाम खाद्य तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। सरसों का तेल बीते दो महीने में 20 रुपये प्रति किलो तक महंगा हो गया है। इसी प्रकार सोया तेल, पाम तेल व अन्य खाद्य तेल के दाम बढ़े हैं। पाम तेल में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में खाने के तेलों के दाम बढ़े हैं।
ब्रांडेड सरसों के तल का भाव दो महीने पहले 130 रुपये प्रति किलो था जो अब 150 रुपये प्रति किलो हो गया है। रिटेल कारोबारी बताते हैं कि मई के बाद सरसों के तेल में 20 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है और सोया तेल का दाम भी 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गया है।
साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता के अनुसार पाम तेल की कीमतों में आई तेजी का असर खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाम तेल सबसे सस्ता तेल है और जब पाम तेल का दाम बढ़ता है तो सरसों और सोया तेल समेत अन्य खाद्य तेल के दाम में भी बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि मलेशिया में मजूदरों की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से पाम तेल के भाव में बढ़ोतरी हुई है।
मेहता के अनुसार, खाने के तेल की 40 फीसदी खपत होटल, रेस्तरां और कैंटीन में होती है, जबकि 60 फीसदी घरलू खपत होती है, लेकिन मौजूदा दौर में होटल, रेस्तरां और कैंटीन मेे मांग प्रभावित होने से घरेलू खपत करीब 10 फीसदी बढ़ गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को क्रूड पाम तेल यानी सीपीओ के चालू महीने के वायदा अनुबंध का भाव 745 रुपये प्रति 10 किलो तक उछला जबकि एक मई को सीपीओ का भाव एमसीएक्स पर 567 रुपये प्रति 10 किलो था। इस प्रकार एक मई के बाद सीपीओ का भाव 17.8 रुपये किलो बढ़ गया है। वहीं, कांडला पोर्ट पर आरबीडी पामोलीन का थोक भाव एक मई को जहां 705 रुपये प्रति 10 किलो था वहां 24 जुलाई को 810 रुपये प्रति 10 किलो हो गया।
सोया तेल का भाव इंदौर में एक जून को 795 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। जयपुर में कच्ची घानी सरसों का भाव एक मई को 897 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 1,038 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। इस प्रकार कच्ची घानी सरसों तेल का थोक दाम एक मई के बाद 14 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है। इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल का प्रमुख उत्पादक है और कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के साथ-साथ रमजान के मौके पर विदेशी मजदूरों के पलायन के कारण पाम का उत्पादन प्रभावित रहा और इस महीने बारिश के कारण पाम के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई है जिससे इसके दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशिया पाम ऑयल एसोसिएशन के अनुसार, एक से 20 जुलाई तक मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बीते महीने की इसी अवधि के मुकाबले 8.88 फीसदी कम रहा है। केएलसी पर पाम तेल के दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशियाई वायदा बाजार केएलसी पर एक जुलाई को पाम तेल का वायदा जहां एक जुलाई को 2,297 रिंगिट प्रति टन था वहां 24 जुलाई को 2,777 रिंगिट प्रति टन रहा। अत: मलेशिया में इस महीने पाम तेल के दाम में 20 फीसदी की तेजी आई है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते इस साल चीन ने ब्राजील से सोयाबीन ज्यादा खरीदी, जिससे ब्राजील की तकरीबन 95 फीसदी फसल निकल चुकी है और बाकी पांच फीसदी का इस्तेमाल बायोडीजल में होने की संभावना है। मौजूदा दौर में सोयाबीन की वैश्विक मांग अमेरिका की तरफ शिफ्ट हो चुकी है और अमेरिकी बाजार में सोयाबीन में तेजी बनी हुई जिसका असर दुनिया के बाजारों पर भी देखा जा रहा है।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। होटल, रेस्तरा, कैंटीन में कारोबार कम से खाने के तेल की खपत घटने के बावजूद तमाम खाद्य तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। सरसों का तेल बीते दो महीने में 20 रुपये प्रति किलो तक महंगा हो गया है। इसी प्रकार सोया तेल, पाम तेल व अन्य खाद्य तेल के दाम बढ़े हैं। पाम तेल में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में खाने के तेलों के दाम बढ़े हैं।
ब्रांडेड सरसों के तल का भाव दो महीने पहले 130 रुपये प्रति किलो था जो अब 150 रुपये प्रति किलो हो गया है। रिटेल कारोबारी बताते हैं कि मई के बाद सरसों के तेल में 20 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि हुई है और सोया तेल का दाम भी 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गया है।
साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी. मेहता के अनुसार पाम तेल की कीमतों में आई तेजी का असर खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाम तेल सबसे सस्ता तेल है और जब पाम तेल का दाम बढ़ता है तो सरसों और सोया तेल समेत अन्य खाद्य तेल के दाम में भी बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि मलेशिया में मजूदरों की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से पाम तेल के भाव में बढ़ोतरी हुई है।
मेहता के अनुसार, खाने के तेल की 40 फीसदी खपत होटल, रेस्तरां और कैंटीन में होती है, जबकि 60 फीसदी घरलू खपत होती है, लेकिन मौजूदा दौर में होटल, रेस्तरां और कैंटीन मेे मांग प्रभावित होने से घरेलू खपत करीब 10 फीसदी बढ़ गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर शुक्रवार को क्रूड पाम तेल यानी सीपीओ के चालू महीने के वायदा अनुबंध का भाव 745 रुपये प्रति 10 किलो तक उछला जबकि एक मई को सीपीओ का भाव एमसीएक्स पर 567 रुपये प्रति 10 किलो था। इस प्रकार एक मई के बाद सीपीओ का भाव 17.8 रुपये किलो बढ़ गया है। वहीं, कांडला पोर्ट पर आरबीडी पामोलीन का थोक भाव एक मई को जहां 705 रुपये प्रति 10 किलो था वहां 24 जुलाई को 810 रुपये प्रति 10 किलो हो गया।
सोया तेल का भाव इंदौर में एक जून को 795 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। जयपुर में कच्ची घानी सरसों का भाव एक मई को 897 रुपये प्रति 10 किलो था जोकि बढ़कर 1,038 रुपये प्रति 10 किलो हो गया है। इस प्रकार कच्ची घानी सरसों तेल का थोक दाम एक मई के बाद 14 रुपये प्रति किलो बढ़ गया है। इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल का प्रमुख उत्पादक है और कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के साथ-साथ रमजान के मौके पर विदेशी मजदूरों के पलायन के कारण पाम का उत्पादन प्रभावित रहा और इस महीने बारिश के कारण पाम के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका बनी हुई है जिससे इसके दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशिया पाम ऑयल एसोसिएशन के अनुसार, एक से 20 जुलाई तक मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बीते महीने की इसी अवधि के मुकाबले 8.88 फीसदी कम रहा है। केएलसी पर पाम तेल के दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। मलेशियाई वायदा बाजार केएलसी पर एक जुलाई को पाम तेल का वायदा जहां एक जुलाई को 2,297 रिंगिट प्रति टन था वहां 24 जुलाई को 2,777 रिंगिट प्रति टन रहा। अत: मलेशिया में इस महीने पाम तेल के दाम में 20 फीसदी की तेजी आई है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते इस साल चीन ने ब्राजील से सोयाबीन ज्यादा खरीदी, जिससे ब्राजील की तकरीबन 95 फीसदी फसल निकल चुकी है और बाकी पांच फीसदी का इस्तेमाल बायोडीजल में होने की संभावना है। मौजूदा दौर में सोयाबीन की वैश्विक मांग अमेरिका की तरफ शिफ्ट हो चुकी है और अमेरिकी बाजार में सोयाबीन में तेजी बनी हुई जिसका असर दुनिया के बाजारों पर भी देखा जा रहा है।............. आर एस राणा
अच्छे मानसून से खरीफ फसलों की बुआई 18 फीसदी से ज्यादा बढ़ी
आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून के पहले दो महीनों पहली जून से 23 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा बारिश होने से खरीफ फसलों की बुआई 18.50 फीसदी बढ़कर 799.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 675.07 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 23 जुलाई तक देशभर में 396.1 मिलीमीटर बारिश हुई है जोकि पिछले साल के 375.3 मिलीमीटर से 6 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान देशभर के 36 सब-डिवीजनों में से 2 में अत्याधिक, 9 में सामान्य से ज्यादा और 18 में सामान्य बारिश हुई है। हालांकि सात सब-डिवीजनों में अभी भी बारिश सामान्य से कम है।
धान के साथ ही दलहन की बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 220.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 187.70 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दालों की बुआई भी बढ़कर चालू सीजन में 99.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 79.30 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहन में अरहर, उड़द और मूंग की बुआई बढ़कर चालू सीजन में क्रमश: 36.80, 30.14 और 25.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 28.10, 25.51 और 19.45 लाख हेक्टेयर में ही ही हुई थी।
मक्का, बाजरा और ज्वार की बुआई बढ़ी
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 137.13 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 120.30 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई बढ़कर 71.26 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की बुआई 48.73 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की बुआई 11.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक मक्का की बुआई 66.45 लाख हेक्टयेर में, बाजरा की 38.90 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की 10.84 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रागी की बुआई चालू खरीफ सीजन में तीन लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
सोयाबीन और मूंगफली की बुआई सामान्य से भी ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 166.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 133.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई बढ़कर 114.18 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की बुआई 42.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 97.13 और 27.24 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 110.32 लाख हेक्टेयर में होती है। कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 118.03 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 96.35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। गन्ने की बुआई भी पिछले साल के 51.02 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू सीजन में 51.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।................ आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून के पहले दो महीनों पहली जून से 23 जुलाई तक देशभर में सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा बारिश होने से खरीफ फसलों की बुआई 18.50 फीसदी बढ़कर 799.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 675.07 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 23 जुलाई तक देशभर में 396.1 मिलीमीटर बारिश हुई है जोकि पिछले साल के 375.3 मिलीमीटर से 6 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान देशभर के 36 सब-डिवीजनों में से 2 में अत्याधिक, 9 में सामान्य से ज्यादा और 18 में सामान्य बारिश हुई है। हालांकि सात सब-डिवीजनों में अभी भी बारिश सामान्य से कम है।
धान के साथ ही दलहन की बुआई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 220.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 187.70 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दालों की बुआई भी बढ़कर चालू सीजन में 99.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 79.30 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दलहन में अरहर, उड़द और मूंग की बुआई बढ़कर चालू सीजन में क्रमश: 36.80, 30.14 और 25.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 28.10, 25.51 और 19.45 लाख हेक्टेयर में ही ही हुई थी।
मक्का, बाजरा और ज्वार की बुआई बढ़ी
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 137.13 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 120.30 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई बढ़कर 71.26 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की बुआई 48.73 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की बुआई 11.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक मक्का की बुआई 66.45 लाख हेक्टयेर में, बाजरा की 38.90 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की 10.84 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रागी की बुआई चालू खरीफ सीजन में तीन लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
सोयाबीन और मूंगफली की बुआई सामान्य से भी ज्यादा
तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 166.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 133.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई बढ़कर 114.18 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की बुआई 42.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 97.13 और 27.24 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। सामान्यत: खरीफ में मूंगफली की बुआई 41.41 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 110.32 लाख हेक्टेयर में होती है। कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 118.03 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 96.35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। गन्ने की बुआई भी पिछले साल के 51.02 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू सीजन में 51.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।................ आर एस राणा
23 जुलाई 2020
मंडियों में आवक घटने से सीसीआई की कपास की बिक्री में आई तेजी, चालू खरीफ में बुआई आगे
आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में आवक घटने के कारण सीसीआई द्वारा बेची जा रही कपास की बिक्री बढ़ी है। पिछले कारोबारी दिवस में सीसीआई ने एक ही दिन में करीब 7,00,000 गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास बेच दी।
निगम के अनुसार जून तक केवल 2,00,000 गांठ की बिक्री ही हो पाई थी, क्योंकि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक ज्यादा हो रही थी, साथ ही यार्न मिलें कुल क्षमता का केवल 30 से 40 फीसदी पर ही कार्य कर पा रही है। उत्पादों में मांग कम होने से साथ ही श्रमिकों की कमी आड़े आ रही है। सूत्रों के अनुसार निगम इस समय खुले बाजार में 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की दर से कपास की बिक्री कर रही है तथा बल्क में 2,00,000 गांठ खरीदने वाली कपंनियों को 1,500 रुपये प्रति कैंडी की अतिरिक्त छूट भी दे रही है।
सीजन के अंत तक निगम को करीब 35 से 40 लाख गांठ कपास बिक्री की उम्मीद
सीसीआई ने चालू सीजन में 104 लाख गांठ कपास की खरीद की थी, तथा चालू खरीफ में कपास की बुआई आगे चल रही है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि सीजन के अंत तक निगम करीब 35 से 40 लाख गांठ कपास बेच देगी। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए सीजन के समय कपास का बकाया स्टॉक सीसीआई के पास ज्यादा बचेगा, जबकि आगामी सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। जिस कारण आगे भी कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है।
बकाया स्टॉक ज्यादा, बड़ी तेजी की संभावना नहीं
अबोहर के एक कॉटन व्यापारी के अनुसार नया सीजन पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होगा, जबकि उससे पहले पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, इसके बावजूद भी निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे है, इसलिए कपास की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
महाराष्ट्र और तेलंगाना में बुआई ज्यादा, गुजरात में कम
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई 113 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 96.35 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में 39.83 लाख हेक्टेयर में और तेलंगाना में 20.40 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 32.21 और 13.53 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गुजरात में जरुर चालू खरीफ में कपास की बुआई अभी तक 20.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 21.42 लाख हेक्टेयर से कम है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी बुआई पिछले साल की तुलना में आगे चल रही है। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में आवक घटने के कारण सीसीआई द्वारा बेची जा रही कपास की बिक्री बढ़ी है। पिछले कारोबारी दिवस में सीसीआई ने एक ही दिन में करीब 7,00,000 गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास बेच दी।
निगम के अनुसार जून तक केवल 2,00,000 गांठ की बिक्री ही हो पाई थी, क्योंकि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक ज्यादा हो रही थी, साथ ही यार्न मिलें कुल क्षमता का केवल 30 से 40 फीसदी पर ही कार्य कर पा रही है। उत्पादों में मांग कम होने से साथ ही श्रमिकों की कमी आड़े आ रही है। सूत्रों के अनुसार निगम इस समय खुले बाजार में 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की दर से कपास की बिक्री कर रही है तथा बल्क में 2,00,000 गांठ खरीदने वाली कपंनियों को 1,500 रुपये प्रति कैंडी की अतिरिक्त छूट भी दे रही है।
सीजन के अंत तक निगम को करीब 35 से 40 लाख गांठ कपास बिक्री की उम्मीद
सीसीआई ने चालू सीजन में 104 लाख गांठ कपास की खरीद की थी, तथा चालू खरीफ में कपास की बुआई आगे चल रही है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की संभावना तो नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि सीजन के अंत तक निगम करीब 35 से 40 लाख गांठ कपास बेच देगी। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले नए सीजन के समय कपास का बकाया स्टॉक सीसीआई के पास ज्यादा बचेगा, जबकि आगामी सीजन में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। जिस कारण आगे भी कीमतों पर दबाव बना रहने का अनुमान है।
बकाया स्टॉक ज्यादा, बड़ी तेजी की संभावना नहीं
अबोहर के एक कॉटन व्यापारी के अनुसार नया सीजन पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होगा, जबकि उससे पहले पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, इसके बावजूद भी निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे है, इसलिए कपास की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
महाराष्ट्र और तेलंगाना में बुआई ज्यादा, गुजरात में कम
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई 113 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 96.35 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में 39.83 लाख हेक्टेयर में और तेलंगाना में 20.40 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 32.21 और 13.53 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। गुजरात में जरुर चालू खरीफ में कपास की बुआई अभी तक 20.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 21.42 लाख हेक्टेयर से कम है। मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी बुआई पिछले साल की तुलना में आगे चल रही है। ............. आर एस राणा
सोना के साथ ही चांदी की कीमतों में तेजी का दौर जारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। सोने की कीमतों में तेजी का रुख जारी है। एमएसीएक्स पर सोने ने आज लगातार तीसरे दिन नया रिकॉर्ड बनाया है। अमेरिका-चीन में तनाव बढ़ने से सोने की तेजी नया कारण मिल गया है। इसके अलावा ग्लोबल लिक्विडिटी के कारण भी सोने को सहारा मिल रहा है। चांदी में भी दो दिन की भारी तेजी के बाद आज फिर सुधार दिख रहा है।
एमसीएक्स पर सोने के दाम 50,000 के ऊपर दिख रहे हैं। कॉमेक्स पर सोना 9 साल की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है। यूएस-चीन तनाव बढ़ने से सोने में तेजी बढ़ी है। ग्लोबल लिक्विडिटी बढ़ने से कीमतों को सहारा मिला है। ब्याज दरें लंबे समय तक कम रहने के आसार हैं। ईयू में 2 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज का एलान किया है। अमेरिका में भी और राहत पैकेज की उम्मीद है। डॉलर में कमजोरी से भी सोने को सपोर्ट मिला है। डॉलर इंडेक्स 4 महीने के निचले स्तर पर है।
सोने के रिटर्न पर नजर डालें तो एमसीएक्स गोल्ड ने 1 महीने में 2 फीसदी, 3 महीने में 7 फीसदी और इस साल अब तक 25 फीसदी रिटर्न दिया है। सीआईटीआई का कहना है कि सोना 3-5 महीने में 2,000 डॉलर तक जा सकता है। जानकारों के अनुसार 6 से 12 महीने में सोना 1,900-2,000 डॉलर का स्तर छू सकता है। ..........आर एस राणा
नई दिल्ली। सोने की कीमतों में तेजी का रुख जारी है। एमएसीएक्स पर सोने ने आज लगातार तीसरे दिन नया रिकॉर्ड बनाया है। अमेरिका-चीन में तनाव बढ़ने से सोने की तेजी नया कारण मिल गया है। इसके अलावा ग्लोबल लिक्विडिटी के कारण भी सोने को सहारा मिल रहा है। चांदी में भी दो दिन की भारी तेजी के बाद आज फिर सुधार दिख रहा है।
एमसीएक्स पर सोने के दाम 50,000 के ऊपर दिख रहे हैं। कॉमेक्स पर सोना 9 साल की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है। यूएस-चीन तनाव बढ़ने से सोने में तेजी बढ़ी है। ग्लोबल लिक्विडिटी बढ़ने से कीमतों को सहारा मिला है। ब्याज दरें लंबे समय तक कम रहने के आसार हैं। ईयू में 2 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज का एलान किया है। अमेरिका में भी और राहत पैकेज की उम्मीद है। डॉलर में कमजोरी से भी सोने को सपोर्ट मिला है। डॉलर इंडेक्स 4 महीने के निचले स्तर पर है।
सोने के रिटर्न पर नजर डालें तो एमसीएक्स गोल्ड ने 1 महीने में 2 फीसदी, 3 महीने में 7 फीसदी और इस साल अब तक 25 फीसदी रिटर्न दिया है। सीआईटीआई का कहना है कि सोना 3-5 महीने में 2,000 डॉलर तक जा सकता है। जानकारों के अनुसार 6 से 12 महीने में सोना 1,900-2,000 डॉलर का स्तर छू सकता है। ..........आर एस राणा
22 जुलाई 2020
घरेलू वायदा बाजार में चांदी रिकॉर्ड 60,000 रुपये प्रति किलो के पार, सोना भी नई उंचाई पर
आर एस राणा
नई दिल्ली। विदेशी बाजार में सोने और चांदी में आई तेजी के कारण घरेलू वायदा बाजार में बुधवार को दोनों महंगी धातुओं की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। चांदी का भाव 60,000 रुपये प्रति किलो के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार गया, जबकि सोना भी 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को तोड़ने के करीब है।
घरेलू वायदा बाजार में चांदी का भाव 23 जनवरी 2013 में 59,974 रुपये प्रति किलो तक उछला था जो कि इससे पहले का रेकॉर्ड था। चांदी का अंतरराष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर 23 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चला गया है। कॉमेक्स पर सोने का भाव भी 1,866.75 डॉलर प्रति औंस तक उछला जो कि नौ सितंबर 2011 के बाद ऊंचा स्तर है जब सोने का भाव 1,881 डॉलर प्रति औंस के करीब था, जबकि कॉमेक्स पर सोने का भाव छह सितंबर 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला था जो कि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के सितंबर एक्सपायरी अनुबंध में बुधवार को सुबह 9.13 बजे बीते सत्र के मुकाबले 3,208 रुपये यानी 5.59 फीसदी की तेजी के साथ 60,550 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले चांदी का भाव एमएसीएक्स पर 58,000 रुपये प्रति किलो पर खुला और 60,782 रुपये प्रति किलो तक उछला जो कि एक नया रिकॉर्ड है। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 435 रुपये यानी 0.88 फीसदी की तेजी के साथ 49,962 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव एमसीएक्स पर 49,975 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है जल्द ही सोना 50 हजारी बनने वाला है।
विदेशी बाजार में बनी हुई है तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स में चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 1.163 डॉलर यानी 5.39 फीसदी की तेजी के साथ 22.720 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान कॉमेक्स पर चांदी का भाव 23.185 डॉलर प्रति औंस तक उछला। कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 14.75 डॉलर यानी 0.80 फीसदी की तेजी के साथ 1,858.65 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव कारोबार के दौरान 1,866.75 डॉलर प्रति औंस तक उछला।
कोरोना काल में सुरक्षित निवेश के कारण महंगी हो रही कीमती धातुएं
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कोरोनावायरस संक्रमण के कारण खनन कार्य प्रभावित होने और आपूर्ति बाधित होने से चांदी की कीमतों में ज्यादा तेजी देखी जा रही है। हालांकि कोरोना काल में निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ निवेशकों का रुझान बढ़ने से महंगी धातुओं की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रहा है। कमोडिटी विश्लेषक बताते हैं हार्ड एसेट्स के तौर पर इस समय सोना और चांदी लोगों की पहली पसंद बन गई है। सोना और चांदी के भाव का अनुपात कोविड-19 महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच चुका है और इस समय 83 के स्तर पर है जोकि इस बात का सूचक है कि सोने से कहीं ज्यादा निवेशकों का रुझान चांदी की तरफ है। ................. आर एस राणा
नई दिल्ली। विदेशी बाजार में सोने और चांदी में आई तेजी के कारण घरेलू वायदा बाजार में बुधवार को दोनों महंगी धातुओं की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गईं। चांदी का भाव 60,000 रुपये प्रति किलो के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार गया, जबकि सोना भी 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को तोड़ने के करीब है।
घरेलू वायदा बाजार में चांदी का भाव 23 जनवरी 2013 में 59,974 रुपये प्रति किलो तक उछला था जो कि इससे पहले का रेकॉर्ड था। चांदी का अंतरराष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स पर 23 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चला गया है। कॉमेक्स पर सोने का भाव भी 1,866.75 डॉलर प्रति औंस तक उछला जो कि नौ सितंबर 2011 के बाद ऊंचा स्तर है जब सोने का भाव 1,881 डॉलर प्रति औंस के करीब था, जबकि कॉमेक्स पर सोने का भाव छह सितंबर 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला था जो कि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के सितंबर एक्सपायरी अनुबंध में बुधवार को सुबह 9.13 बजे बीते सत्र के मुकाबले 3,208 रुपये यानी 5.59 फीसदी की तेजी के साथ 60,550 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था, जबकि इससे पहले चांदी का भाव एमएसीएक्स पर 58,000 रुपये प्रति किलो पर खुला और 60,782 रुपये प्रति किलो तक उछला जो कि एक नया रिकॉर्ड है। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 435 रुपये यानी 0.88 फीसदी की तेजी के साथ 49,962 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव एमसीएक्स पर 49,975 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि अब तक का रिकॉर्ड स्तर है जल्द ही सोना 50 हजारी बनने वाला है।
विदेशी बाजार में बनी हुई है तेजी
अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स में चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 1.163 डॉलर यानी 5.39 फीसदी की तेजी के साथ 22.720 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान कॉमेक्स पर चांदी का भाव 23.185 डॉलर प्रति औंस तक उछला। कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 14.75 डॉलर यानी 0.80 फीसदी की तेजी के साथ 1,858.65 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव कारोबार के दौरान 1,866.75 डॉलर प्रति औंस तक उछला।
कोरोना काल में सुरक्षित निवेश के कारण महंगी हो रही कीमती धातुएं
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कोरोनावायरस संक्रमण के कारण खनन कार्य प्रभावित होने और आपूर्ति बाधित होने से चांदी की कीमतों में ज्यादा तेजी देखी जा रही है। हालांकि कोरोना काल में निवेश के सुरक्षित साधन की तरफ निवेशकों का रुझान बढ़ने से महंगी धातुओं की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रहा है। कमोडिटी विश्लेषक बताते हैं हार्ड एसेट्स के तौर पर इस समय सोना और चांदी लोगों की पहली पसंद बन गई है। सोना और चांदी के भाव का अनुपात कोविड-19 महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच चुका है और इस समय 83 के स्तर पर है जोकि इस बात का सूचक है कि सोने से कहीं ज्यादा निवेशकों का रुझान चांदी की तरफ है। ................. आर एस राणा
सरकार ने यूरोप को रियायती दर पर 10,000 टन चीनी निर्यात को मंजूरी
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विशिष्ट प्रावधान के तहत यूरोपीय देशों के लिये रियायती दर पर 10,000 टन रॉ शुगर या व्हाईट चीनी का निर्यात कोटा तय किया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 10,000 टन चीनी (रॉ-शुगर या व्हाईट चीनी) यूरोपीय संघ को सीएक्सएल कोटा के तहत एक अक्टूबर 2020 से 30 सितंबर 2021 तक निर्यात की जाएगी। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
यूरोपीय संघ नियमन प्रावधान के तहत रियायती चीनी का निर्यात उचित प्राधिकरण द्वारा जारी उत्पत्ति प्रमाणपत्र पर निर्भर करेगा। सीएक्सएल प्रावधान के तहत यूरोपीय संघ को निर्यात के लिये व्यापारी चीनी कम या शून्य शुल्क पर निर्यात कर सकते हैं। निर्यातकों को निर्यात के लिए प्रमाणपत्र एपिडा से लेना होगा। .......... आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विशिष्ट प्रावधान के तहत यूरोपीय देशों के लिये रियायती दर पर 10,000 टन रॉ शुगर या व्हाईट चीनी का निर्यात कोटा तय किया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 10,000 टन चीनी (रॉ-शुगर या व्हाईट चीनी) यूरोपीय संघ को सीएक्सएल कोटा के तहत एक अक्टूबर 2020 से 30 सितंबर 2021 तक निर्यात की जाएगी। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
यूरोपीय संघ नियमन प्रावधान के तहत रियायती चीनी का निर्यात उचित प्राधिकरण द्वारा जारी उत्पत्ति प्रमाणपत्र पर निर्भर करेगा। सीएक्सएल प्रावधान के तहत यूरोपीय संघ को निर्यात के लिये व्यापारी चीनी कम या शून्य शुल्क पर निर्यात कर सकते हैं। निर्यातकों को निर्यात के लिए प्रमाणपत्र एपिडा से लेना होगा। .......... आर एस राणा
21 जुलाई 2020
भारत द्वारा नेपाल से पाम तेल के आयात पर रोक लगाने से नए सौदें किए बंद
आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में रिफाइंड पाम तेल खरीद पर रोक से नेपाली रिफाइनिंग कंपनियां मुश्किल में पड़ गई हैं। भारत के कदम से नेपाल के भंडार पूरी तरह से भर गए हैं जिस कारण उन्हे अब क्रूड पाम तेल की खरीद तक रोकनी पड़ी है।
इस साल मई में भारत सरकार ने पड़ोसी देशों से ड्यूटी फ्री आयात की रफ्तार को कम करने के लिए पाम तेल आयात के 39 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। नेपाल के रिफाइनर्स इस प्रेफरेंशियल एक्सेस के जरिए भारतीय बाजार से खुब फायदे उठा रहे थे। नेपाल के प्रमुख आयातक और रिफाइनर्स का कहना है कि वे क्रूड पाम तेल का अब नया आयात नहीं कर रहे हैं केवल पहले के हुए सौदों की डीलिवरी ही ले रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार नेपाल में पाम तेल का भंडार 70,000 टन के पार चला गया है। जो घरेलू मांग के मुकाबले ज्यादा है। इस वजह से नेपाल ने मध्य जून तक क्रूड पाम तेल का आयात गिरकर प्रति महीने 7,000 टन पर आ गया, जबकि पहले हर महीने करीब 21,000 टन क्रूड पाम तेल का आयात हो रहा था। नेपाल के कुल कारोबार में भारत अकेले की हिस्सेदारी करीब दो तिहाई है जबकि ईंधन की पूरी सप्लाई भारत से ही होती है। वर्ष 2018 में जब भारत में क्रूड पाम तेल पर 54 फीसदी आयात शुल्क था, उस वक्त से ही नेपाल के रिफाइनिंग उद्योग ने फायदा उठाया।
भारत और नेपाल के बीच SAFTA के कारण कई पड़ोसी देशों की कंपनियों ने नेपाल में जाकर रिफाइनरी लगा ली, ताकि दोनों देशों के बीच करार के तहत भारत को ड्यूटी फ्री पाम तेल निर्यात किया जा सके। नेपाल घी और तेल संघ के मुताबिक करीब 25 करोड़ डॉलर के निवेश से नेपाल में तेल रिफाइनरियां लग चुकी हैं। साल 2018-19 में नेपाल से भारत को पाम तेल का निर्यात शुन्य से बढ़कर 45,667 टन पर पहुंच गया। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2019-20 में नेपाल से 1,89,078 टन पाम तेल का आयात हुआ है। माना जा रहा है कि भारत सरकार की सख्ती से नेपाल की इन रिफाइनर्स को बैंक लोन चुकाने में भी दिक्कत होने लगी है। .......... आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में रिफाइंड पाम तेल खरीद पर रोक से नेपाली रिफाइनिंग कंपनियां मुश्किल में पड़ गई हैं। भारत के कदम से नेपाल के भंडार पूरी तरह से भर गए हैं जिस कारण उन्हे अब क्रूड पाम तेल की खरीद तक रोकनी पड़ी है।
इस साल मई में भारत सरकार ने पड़ोसी देशों से ड्यूटी फ्री आयात की रफ्तार को कम करने के लिए पाम तेल आयात के 39 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। नेपाल के रिफाइनर्स इस प्रेफरेंशियल एक्सेस के जरिए भारतीय बाजार से खुब फायदे उठा रहे थे। नेपाल के प्रमुख आयातक और रिफाइनर्स का कहना है कि वे क्रूड पाम तेल का अब नया आयात नहीं कर रहे हैं केवल पहले के हुए सौदों की डीलिवरी ही ले रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार नेपाल में पाम तेल का भंडार 70,000 टन के पार चला गया है। जो घरेलू मांग के मुकाबले ज्यादा है। इस वजह से नेपाल ने मध्य जून तक क्रूड पाम तेल का आयात गिरकर प्रति महीने 7,000 टन पर आ गया, जबकि पहले हर महीने करीब 21,000 टन क्रूड पाम तेल का आयात हो रहा था। नेपाल के कुल कारोबार में भारत अकेले की हिस्सेदारी करीब दो तिहाई है जबकि ईंधन की पूरी सप्लाई भारत से ही होती है। वर्ष 2018 में जब भारत में क्रूड पाम तेल पर 54 फीसदी आयात शुल्क था, उस वक्त से ही नेपाल के रिफाइनिंग उद्योग ने फायदा उठाया।
भारत और नेपाल के बीच SAFTA के कारण कई पड़ोसी देशों की कंपनियों ने नेपाल में जाकर रिफाइनरी लगा ली, ताकि दोनों देशों के बीच करार के तहत भारत को ड्यूटी फ्री पाम तेल निर्यात किया जा सके। नेपाल घी और तेल संघ के मुताबिक करीब 25 करोड़ डॉलर के निवेश से नेपाल में तेल रिफाइनरियां लग चुकी हैं। साल 2018-19 में नेपाल से भारत को पाम तेल का निर्यात शुन्य से बढ़कर 45,667 टन पर पहुंच गया। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2019-20 में नेपाल से 1,89,078 टन पाम तेल का आयात हुआ है। माना जा रहा है कि भारत सरकार की सख्ती से नेपाल की इन रिफाइनर्स को बैंक लोन चुकाने में भी दिक्कत होने लगी है। .......... आर एस राणा
औद्योगिक मांग से एमसीएक्स पर चांदी 55,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर, सोने के भाव स्थिर
आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्ररीय बाजार में आई तेजी के कारण मंगलवार को भारतीय वायदा बाजार में चांदी 55,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर चली गई। हालांकि सोने में कोई खास तेजी नहीं देखी जा रही है। कमोडिटी बाजार के जानकार बताते हैं कि चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सुबह चांदी के सितंबर एक्सपायरी अनुबंध में बीते सत्र के मुकाबले 1,275 रुपये यानी 2.36 फीसदी की तेजी के साथ 55,280 रुपये प्रति किलो पर कारोबार कर रही थी जबकि इससे पहले कारोबार के दौरान चांदी का भाव एमएसीएक्स पर 55,465 रुपये प्रति किलो तक उछला जोकि 2013 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से महज 113 रुपये की तेजी के साथ 49,140 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स में चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 2.68 फीसदी की तेजी के साथ 20.733 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान कॉमेक्स पर चांदी का भाव 20.848 डॉलर प्रति औंस तक उछला, जोकि 2016 के बाद का सबसे उंचा स्तर है। कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से महज 4.50 डॉलर यानी 0.25 फीसदी की तेजी के साथ 1,821.90 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,822.95 डॉलर प्रति औंस तक उछला। चांदी न सिर्फ कीमती धातु है बल्कि यह एक औद्योगिक धातु भी है और इसका उपयोग आभूषण के साथ-साथ उद्योग में भी होता है। इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और फोटोग्राफी के अलावा कई अन्य उद्योगों में होता है।........... आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्ररीय बाजार में आई तेजी के कारण मंगलवार को भारतीय वायदा बाजार में चांदी 55,000 रुपये प्रति किलो से ऊपर चली गई। हालांकि सोने में कोई खास तेजी नहीं देखी जा रही है। कमोडिटी बाजार के जानकार बताते हैं कि चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सुबह चांदी के सितंबर एक्सपायरी अनुबंध में बीते सत्र के मुकाबले 1,275 रुपये यानी 2.36 फीसदी की तेजी के साथ 55,280 रुपये प्रति किलो पर कारोबार कर रही थी जबकि इससे पहले कारोबार के दौरान चांदी का भाव एमएसीएक्स पर 55,465 रुपये प्रति किलो तक उछला जोकि 2013 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। एमसीएक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से महज 113 रुपये की तेजी के साथ 49,140 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स में चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 2.68 फीसदी की तेजी के साथ 20.733 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि कारोबार के दौरान कॉमेक्स पर चांदी का भाव 20.848 डॉलर प्रति औंस तक उछला, जोकि 2016 के बाद का सबसे उंचा स्तर है। कॉमेक्स पर सोने के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से महज 4.50 डॉलर यानी 0.25 फीसदी की तेजी के साथ 1,821.90 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले सोने का भाव 1,822.95 डॉलर प्रति औंस तक उछला। चांदी न सिर्फ कीमती धातु है बल्कि यह एक औद्योगिक धातु भी है और इसका उपयोग आभूषण के साथ-साथ उद्योग में भी होता है। इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और फोटोग्राफी के अलावा कई अन्य उद्योगों में होता है।........... आर एस राणा
20 जुलाई 2020
वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान तिलहन आयात बढ़कर हुआ लगभग दोगुना
आर एस राणा
नई दिल्ली। तिलहनों का आयात वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है, जबकि इस दौरान इनका निर्यात केवल 15 फीसदी ही बढ़ा है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान तिलहनों का आयात 5,20,871 टन का मूल्य के हिसाब से 2,838.11 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,58,742 टन का मूल्य के हिसाब से 1,456.20 करोड़ रुपये का ही आयात हुआ था।
एसईए के अनुसार तिलहनों का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 10,68,215 टन का मूल्य के हिसाब से 9,391.19 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 10,47,305 टन तिलहनों का निर्यात मूल्य के हिसाब से 8,119.76 करोड़ रुपये का हुआ था। इस दौरान सबसे ज्यादा मूंगफली का निर्यात 6,64,442 टन का, शीसम सीड का 2,82,210 टन का, सोयाबीन का 74,669 टन का और सरसों का 30,669 टन का हुआ है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुआई जुलाई अंत तक पूरी हो जायेगी, तथा 50 फीसदी क्षेत्रफल में फसल में फूल आने शुरू हो गए हैं, तथा फसल की स्थिति अच्छी है। हालांकि फसल को अगले पांच से सात दिनों में पानी की जरुरत है, नहीं तो प्रति हेक्टेयर उत्पादकता प्रभावित होने हो सकती है। महाराष्ट्र के भी कई जिलों में सोयाबीन की फसल को पानी की आवश्यकता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 109.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 79.40 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 55.07 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 38.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 40.81 और 23.11 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। तिलहनों का आयात वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है, जबकि इस दौरान इनका निर्यात केवल 15 फीसदी ही बढ़ा है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान तिलहनों का आयात 5,20,871 टन का मूल्य के हिसाब से 2,838.11 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,58,742 टन का मूल्य के हिसाब से 1,456.20 करोड़ रुपये का ही आयात हुआ था।
एसईए के अनुसार तिलहनों का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 10,68,215 टन का मूल्य के हिसाब से 9,391.19 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 10,47,305 टन तिलहनों का निर्यात मूल्य के हिसाब से 8,119.76 करोड़ रुपये का हुआ था। इस दौरान सबसे ज्यादा मूंगफली का निर्यात 6,64,442 टन का, शीसम सीड का 2,82,210 टन का, सोयाबीन का 74,669 टन का और सरसों का 30,669 टन का हुआ है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुआई जुलाई अंत तक पूरी हो जायेगी, तथा 50 फीसदी क्षेत्रफल में फसल में फूल आने शुरू हो गए हैं, तथा फसल की स्थिति अच्छी है। हालांकि फसल को अगले पांच से सात दिनों में पानी की जरुरत है, नहीं तो प्रति हेक्टेयर उत्पादकता प्रभावित होने हो सकती है। महाराष्ट्र के भी कई जिलों में सोयाबीन की फसल को पानी की आवश्यकता है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 109.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 79.40 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 55.07 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 38.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 40.81 और 23.11 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।............. आर एस राणा
गुजरात में मूंगफली के साथ सोयाबीन की बुआई ज्यादा, कपास की कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में जहां मूंगफली और सोयाबीन की बुआई सामान्य से ज्यादा हो चुकी है, कपास के साथ की केस्टर सीड की बुआई पिछले साल से पिछड़ रही है। जानकारों के अनुसार कपास के भाव उत्पादक मंडियों में कम रहे थे, जिस कारण इनकी बुआई पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार मूंगफली की बुआई बढ़कर चालू खरीफ में 19.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 15.40 लाख हेक्टेयर की तुलना में 127.94 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 12.91 लाख हेक्टेयर में ही मूंगफली की बुआई हो पाई थी। सोयाबीन की बुआई भी राज्य सीजन में बढ़कर 1.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य 1.21 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 107.79 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 79,000 हेक्टेयर में ही सोयाबीन की बुआई हो पाई थी।
खरीफ की प्रमुख फसल कपास की बुआई चालू सीजन में 20.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 21.42 लाख हेक्टेयर से कम है। कपास की बुआई राज्य में सामान्यत: 26.73 लाख हेक्टेयर में होती है। केस्टर सीड की बुआई अभी तक केवल 6,095 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 18,400 हेक्टेयर में हो चुकी थी। केस्टर सीड की बुआई सामान्यत: 6.23 लाख हेक्टेयर में होती है। व्यापारियों के अनुसार केस्टर सीड की बुआई किसान सबसे अंत में करते हैं, चालू सीजन में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है इसलिए केस्टर सीड की बुआई में कमी आने का अनुमान है।
राज्य में दालों की प्रमुख फसल अरहर की बुआई 1.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि दालों की कुल बुआई 2.31 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.95 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मक्का की बुआई राज्य में 2.36 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 1.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.59 और 1.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई में हुई बढ़ोतरी के कारण इनकी बुआई में कमी आई है। ............... आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में जहां मूंगफली और सोयाबीन की बुआई सामान्य से ज्यादा हो चुकी है, कपास के साथ की केस्टर सीड की बुआई पिछले साल से पिछड़ रही है। जानकारों के अनुसार कपास के भाव उत्पादक मंडियों में कम रहे थे, जिस कारण इनकी बुआई पिछले साल की तुलना में कम रहने का अनुमान है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार मूंगफली की बुआई बढ़कर चालू खरीफ में 19.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य क्षेत्रफल 15.40 लाख हेक्टेयर की तुलना में 127.94 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 12.91 लाख हेक्टेयर में ही मूंगफली की बुआई हो पाई थी। सोयाबीन की बुआई भी राज्य सीजन में बढ़कर 1.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि सामान्य 1.21 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 107.79 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 79,000 हेक्टेयर में ही सोयाबीन की बुआई हो पाई थी।
खरीफ की प्रमुख फसल कपास की बुआई चालू सीजन में 20.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल के 21.42 लाख हेक्टेयर से कम है। कपास की बुआई राज्य में सामान्यत: 26.73 लाख हेक्टेयर में होती है। केस्टर सीड की बुआई अभी तक केवल 6,095 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 18,400 हेक्टेयर में हो चुकी थी। केस्टर सीड की बुआई सामान्यत: 6.23 लाख हेक्टेयर में होती है। व्यापारियों के अनुसार केस्टर सीड की बुआई किसान सबसे अंत में करते हैं, चालू सीजन में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है इसलिए केस्टर सीड की बुआई में कमी आने का अनुमान है।
राज्य में दालों की प्रमुख फसल अरहर की बुआई 1.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि दालों की कुल बुआई 2.31 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.95 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। मक्का की बुआई राज्य में 2.36 लाख हेक्टेयर में और बाजरा की 1.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.59 और 1.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुआई में हुई बढ़ोतरी के कारण इनकी बुआई में कमी आई है। ............... आर एस राणा
मानसून: देश में अब तक छह फीसद अधिक वर्षा हुई, उत्तर भारत में कम बारिश
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश में मौजूदा मानसून में अब तक सामान्य से छह फीसद अधिक वर्षा हुई है लेकिन उत्तर भारत में कम बारिश हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।
विभाग के मौसम विज्ञान संबंधी चार संभाग हैं तथा दक्षिण प्रायद्वीप, मध्य भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत संभागों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई। आईएमडी के अनुसार लेकिन उत्तर-पश्चिम भारत में अब तक 19 फीसद कम वर्षा हुई है। इस संभाग में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान आते हैं।
विभाग ने बताया कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर में कम वर्षा दर्ज की गयी। लद्दाख में तो बहुत कम वर्षा हुई है। आईएमडी के अनुसार मानसून निर्धारित समय एक जून को केरल पहुंचा था और देश में चार महीने की बारिश का सीजन का प्रारंभ हुआ था। भारत में मानसून के सामान्य रहने की संभावना है।
जून में जारी 2020 के मानसून के अद्यतन अनुमान में आईएमडी ने उत्तर पश्चिम भारत के दीर्घावधि औसत (एलपीए) की 107 फीसद बारिश होने का अनुमान प्रकट किया था जो ‘सामान्य से अधिक’ की श्रेणी में आती है। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में मानसून कमजोर रहा है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है। लेकिन अब भी हमारे पास दो और महीने हैं। विभाग ने 18 से 20 जुलाई तक उत्तर पश्चिम भारत में वर्षा का अनुमान लगाया है। महापात्र का कहना है कि उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अच्छी वर्षा होगी।
दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से 17 फीसद अधिक वर्षा हुई है जिसमें तमिलनाड, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आते हैं। मध्य भारत में 12 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 10 फीसदी अधिक वर्षा हुई है।................ आर एस राणा
नई दिल्ली। देश में मौजूदा मानसून में अब तक सामान्य से छह फीसद अधिक वर्षा हुई है लेकिन उत्तर भारत में कम बारिश हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।
विभाग के मौसम विज्ञान संबंधी चार संभाग हैं तथा दक्षिण प्रायद्वीप, मध्य भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत संभागों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई। आईएमडी के अनुसार लेकिन उत्तर-पश्चिम भारत में अब तक 19 फीसद कम वर्षा हुई है। इस संभाग में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान आते हैं।
विभाग ने बताया कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर में कम वर्षा दर्ज की गयी। लद्दाख में तो बहुत कम वर्षा हुई है। आईएमडी के अनुसार मानसून निर्धारित समय एक जून को केरल पहुंचा था और देश में चार महीने की बारिश का सीजन का प्रारंभ हुआ था। भारत में मानसून के सामान्य रहने की संभावना है।
जून में जारी 2020 के मानसून के अद्यतन अनुमान में आईएमडी ने उत्तर पश्चिम भारत के दीर्घावधि औसत (एलपीए) की 107 फीसद बारिश होने का अनुमान प्रकट किया था जो ‘सामान्य से अधिक’ की श्रेणी में आती है। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में मानसून कमजोर रहा है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में पर्याप्त वर्षा नहीं हुई है। लेकिन अब भी हमारे पास दो और महीने हैं। विभाग ने 18 से 20 जुलाई तक उत्तर पश्चिम भारत में वर्षा का अनुमान लगाया है। महापात्र का कहना है कि उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अच्छी वर्षा होगी।
दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से 17 फीसद अधिक वर्षा हुई है जिसमें तमिलनाड, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आते हैं। मध्य भारत में 12 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 10 फीसदी अधिक वर्षा हुई है।................ आर एस राणा
19 जुलाई 2020
एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाज और मसालों की खबरों के लिए सपंर्क करे
एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेश में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में दी जायेगी।
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आर एस राणा
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आर एस राणा
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ओएमएसएस के तहत गेहूं के भाव में 240 रुपये की कटौती, जल्द हो सकती है अधिसूचना जारी
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत (ओएमएसएस) के तहत पुराने गेहूं की कीमतों में 240 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का फैसला किया है, जिससे उत्पादक राज्यों के साथ ही दिल्ली में गेहूं की कीमतों पर गिरावट आई है। ओएमएसएस के तहत पुराने गेहूं के भाव 2,080 रुपये से घटाकर 1,840 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया गया है, तथा जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी हो हो जायेगी।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी भरकम स्टॉक है, जबकि ओमएसएस के तहत बिक्री नाममात्र की हो रही है, इसलिए सरकार ने भाव में कटौती करने का फैसला किया है। रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरनेशन ने भी हाल ही में गेहूं के भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का केंद्र सरकार को सुझाव दिया था। गेहूं की कीमतें में कटौती का असर गेहूं के भाव पर पड़ा है। दिल्ली में गेहूं का भाव घटकर 1,900 रुपये और उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश की मंडियों में 1,750 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। माना जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद इसकी कीमतों में और भी 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आयेगा।
केंद्रीय पूल में एक जुलाई को गेहूं का स्टॉक 558.25 लाख टन का है, जबकि तय मानकों बफर के अनुसार केंद्रीय पूल का 245 लाख टन गेहूं का स्टॉक पहली जून को होना चाहिए। चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड खरीद 390 लाख टन की हुई है जबकि उत्तर प्रदेश से खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण उत्तर प्रदेश में बकाया स्टॉक ज्यादा माना जा रहा है। इसलिए गेहूं की कीमतों में आगे भी तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी नवंबर तक केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएजीसेएवाई) के तहत 81.09 करोड़ गरीबों को नवंबर तक पांच किलो गेहूं या फिर चावल फ्री में देगी। इस योजना में पहले तीन महीनों में 1 करोड़ 20 लाख टन अनाज बांटा गया था तथा आने वाले 5 महीनों में 2 करोड़ 3 लाख टन अनाज बांटने का लक्ष्य है। .................. आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना के तहत (ओएमएसएस) के तहत पुराने गेहूं की कीमतों में 240 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का फैसला किया है, जिससे उत्पादक राज्यों के साथ ही दिल्ली में गेहूं की कीमतों पर गिरावट आई है। ओएमएसएस के तहत पुराने गेहूं के भाव 2,080 रुपये से घटाकर 1,840 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया गया है, तथा जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी हो हो जायेगी।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी भरकम स्टॉक है, जबकि ओमएसएस के तहत बिक्री नाममात्र की हो रही है, इसलिए सरकार ने भाव में कटौती करने का फैसला किया है। रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरनेशन ने भी हाल ही में गेहूं के भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का केंद्र सरकार को सुझाव दिया था। गेहूं की कीमतें में कटौती का असर गेहूं के भाव पर पड़ा है। दिल्ली में गेहूं का भाव घटकर 1,900 रुपये और उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश की मंडियों में 1,750 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। माना जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद इसकी कीमतों में और भी 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आयेगा।
केंद्रीय पूल में एक जुलाई को गेहूं का स्टॉक 558.25 लाख टन का है, जबकि तय मानकों बफर के अनुसार केंद्रीय पूल का 245 लाख टन गेहूं का स्टॉक पहली जून को होना चाहिए। चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड खरीद 390 लाख टन की हुई है जबकि उत्तर प्रदेश से खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण उत्तर प्रदेश में बकाया स्टॉक ज्यादा माना जा रहा है। इसलिए गेहूं की कीमतों में आगे भी तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी नवंबर तक केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएजीसेएवाई) के तहत 81.09 करोड़ गरीबों को नवंबर तक पांच किलो गेहूं या फिर चावल फ्री में देगी। इस योजना में पहले तीन महीनों में 1 करोड़ 20 लाख टन अनाज बांटा गया था तथा आने वाले 5 महीनों में 2 करोड़ 3 लाख टन अनाज बांटने का लक्ष्य है। .................. आर एस राणा
18 जुलाई 2020
मलेशियाई पाम तेल इस हफ्ते करीब 9 फीसदी तेज रहा, आगे भी भाव तेज रहने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादन में कमी के अनुमान के साथ इंडोनेशिया, मलेशिया और चीन में भारी बारिश से स्टॉक और सप्लाई की चिंताओं के बीच मलेशियाई पाम तेल में करीब 4 फीसदी की तेजी आई है। इस बढ़त के साथ पाम तेल का दाम इस हफ्ते करीब 9 फीसदी तेज हो चुका है।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल का अक्टूबर वायदा 96 रिंगिट या 3.8 फीसदी की तेजी के साथ 2,616 रिंगिट प्रति टन पर पर बंद हुआ। जो पिछले पांच महीने का ऊपरी स्तर है। कारोबारियों के मुताबिक इस बार पाम तेल की कीमतों को मौसम का साथ मिला है। दरअसल इंडोनेशिया औप मलेशिया जैसे ग्लोबल पाम तेल निर्यातक समेत दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे बड़े खरीदार चीन में भारी बारिश हो रही है। ऐसे में यहां पिछले 30 साल की सबसे भीषण बाढ़ की आशंका जताई जा रही है।
मलेशिया के मौसम विभाग के मुताबिक वहां तेज बारिश और बाढ़ की स्थिति इस महीने के अंत तक खींच सकती है। ऐसे में एहतियातन सैकड़ों गांवों को खाली कराना पड़ा सकता है। दुनिया में पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश इंडोनेशिया में बारिश और बाढ़ से 30 लोगों की जान चली गई है। वहीं चीन और वहां के वुहान शहर में आज बारिश का रेड अलर्ट जारी हुआ है। यहां पहले से हो रही बारिश से नदियां उफान पर हैं और कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। इस दौराऩ घरेलू बाजार में भी तेजी देखी गई। एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल का जुलाई वायदा 1.2 फीसदी की तेजी के साथ 708.4 रुपए पर बंद हुआ। हफ्ते के दौरान इसमें करीब 4.5 फीसदी की तेजी रही।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादन में कमी के अनुमान के साथ इंडोनेशिया, मलेशिया और चीन में भारी बारिश से स्टॉक और सप्लाई की चिंताओं के बीच मलेशियाई पाम तेल में करीब 4 फीसदी की तेजी आई है। इस बढ़त के साथ पाम तेल का दाम इस हफ्ते करीब 9 फीसदी तेज हो चुका है।
बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल का अक्टूबर वायदा 96 रिंगिट या 3.8 फीसदी की तेजी के साथ 2,616 रिंगिट प्रति टन पर पर बंद हुआ। जो पिछले पांच महीने का ऊपरी स्तर है। कारोबारियों के मुताबिक इस बार पाम तेल की कीमतों को मौसम का साथ मिला है। दरअसल इंडोनेशिया औप मलेशिया जैसे ग्लोबल पाम तेल निर्यातक समेत दुनिया में पाम तेल का दूसरा सबसे बड़े खरीदार चीन में भारी बारिश हो रही है। ऐसे में यहां पिछले 30 साल की सबसे भीषण बाढ़ की आशंका जताई जा रही है।
मलेशिया के मौसम विभाग के मुताबिक वहां तेज बारिश और बाढ़ की स्थिति इस महीने के अंत तक खींच सकती है। ऐसे में एहतियातन सैकड़ों गांवों को खाली कराना पड़ा सकता है। दुनिया में पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश इंडोनेशिया में बारिश और बाढ़ से 30 लोगों की जान चली गई है। वहीं चीन और वहां के वुहान शहर में आज बारिश का रेड अलर्ट जारी हुआ है। यहां पहले से हो रही बारिश से नदियां उफान पर हैं और कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। इस दौराऩ घरेलू बाजार में भी तेजी देखी गई। एमसीएक्स पर क्रूड पाम तेल का जुलाई वायदा 1.2 फीसदी की तेजी के साथ 708.4 रुपए पर बंद हुआ। हफ्ते के दौरान इसमें करीब 4.5 फीसदी की तेजी रही।............... आर एस राणा
खरीफ फसलों की बुआई 691 लाख हेक्टेयर के पार, पिछले साल के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में फसलों की बुआई 21.20 फीसदी बढ़कर 692 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। अधिकांश राज्यों में मानसूनी पूर्व के साथ ही मानसूनी बारिश अच्छी होने से खरीफ फसलों की बुआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस साल मानसून के मेहरबान रहने और पूरे देश में अच्छी बारिश होने से किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई में बड़ी मदद मिली है और सभी प्रमुख खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल से अधिक हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में अब तक 691.86 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है, जोकि पिछले साल की समान अविध के 570.86 लाख हेक्टेयर से 21.20 फीसदी अधिक है।
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान, दलहन और तिलहन समेत मोटे अनाजों की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। दलहन फसलों में अरहर की बुआई पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 37.74 फीसदी बढ़कर 30.84 लाख हेक्टेयर हो गई है। वहीं उड़द की बुआई 25.43 लाख हेक्टेयर और मूंग का बुवाई क्षेत्र 20.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ दलहनी फसलों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 61.70 फीसदी बढ़कर 81.66 लाख हेक्टेयर हो गया है। जबकि तिलहनों फसलों की बुआई 40.75 फीसदी बढ़कर 154.95 लाख हेक्टेयर हो गई है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 168.47 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 18.59 फीसदी अधिक है। मोटे अनाजों का रकबा पिछले साल से 12.23 फीसदी बढ़कर 115.60 लाख हेक्टेयर हो गया है। चालू मानसून सीजन में 17 जुलाई तक देशभर में 345.3 मिलीमीटर बारिश हुई जोकि औसत से 8 फीसदी अधिक है। मध्य भारत के राज्यों में जहां औसत से 17 फीसदी अधिक बारिश हुई है, वहीं उत्तर भारत के राज्यों मेें औसत से 17 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। ........... आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में फसलों की बुआई 21.20 फीसदी बढ़कर 692 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। अधिकांश राज्यों में मानसूनी पूर्व के साथ ही मानसूनी बारिश अच्छी होने से खरीफ फसलों की बुआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस साल मानसून के मेहरबान रहने और पूरे देश में अच्छी बारिश होने से किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई में बड़ी मदद मिली है और सभी प्रमुख खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल से अधिक हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में अब तक 691.86 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है, जोकि पिछले साल की समान अविध के 570.86 लाख हेक्टेयर से 21.20 फीसदी अधिक है।
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान, दलहन और तिलहन समेत मोटे अनाजों की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। दलहन फसलों में अरहर की बुआई पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 37.74 फीसदी बढ़कर 30.84 लाख हेक्टेयर हो गई है। वहीं उड़द की बुआई 25.43 लाख हेक्टेयर और मूंग का बुवाई क्षेत्र 20.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ दलहनी फसलों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 61.70 फीसदी बढ़कर 81.66 लाख हेक्टेयर हो गया है। जबकि तिलहनों फसलों की बुआई 40.75 फीसदी बढ़कर 154.95 लाख हेक्टेयर हो गई है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 168.47 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 18.59 फीसदी अधिक है। मोटे अनाजों का रकबा पिछले साल से 12.23 फीसदी बढ़कर 115.60 लाख हेक्टेयर हो गया है। चालू मानसून सीजन में 17 जुलाई तक देशभर में 345.3 मिलीमीटर बारिश हुई जोकि औसत से 8 फीसदी अधिक है। मध्य भारत के राज्यों में जहां औसत से 17 फीसदी अधिक बारिश हुई है, वहीं उत्तर भारत के राज्यों मेें औसत से 17 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। ........... आर एस राणा
17 जुलाई 2020
सीसीआई के पास कपास का बंपर स्टॉक, बुआई में हुई बढ़ोतरी से भी कीमतों पर दबाव
आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीनों से कपास की खपत में आई कमी के साथ ही कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के बंपर स्टॉक एवं बुआई में हुई बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर पड़ रहा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा मौजूदा कीमतों हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए फसल सीजन में करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में भी राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी खरीद की है, अत: उनके पास भी स्टॉक है। उन्होंने बताया कि सीसीआई बंगलादेश, चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया को निर्यात की संभावना तलाश रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के विश्व बाजार में कपास की मांग कम हुई है जिस कारण निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। निगम घरेलू बाजार में कपास की बिकवाली भाव घटाकर कर रहा है तथा पहली अक्टूबर से नया सीजन शुरू हो जायेगा, ऐसे में माना जा रहा है कि निगम के पास बकाया स्टॉक ज्यादा बेचगा।
अहमदाबाद के कपास कारोबारी ने बताया कि लॉकडाउन के समय में यार्न मिलें बंद होने के कारण कपास की खपत में कमी आई थी। इस समय लॉकडाउन तो समाप्त गया है, लेकिन मांग में कमी के साथ ही प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण मिलें 40 से 60 फीसदी की क्षमता से ही कार्य कर पा रही है, जिस कारण इस समय भी कपास की खपत सामान्य से कम हो रही है। वैसे भी चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल के 312 लाख गांठ से बढ़कर 330 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं है। आयातित कपास के भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी है, ऐसे में विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इसकी बुआई 38.03 लाख हेक्टेयर में, गुजरात में 18.25 लाख हेक्टेयर में, तेलंगाना 18.22 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान 6.51, पंजाब 5.01, मध्य प्रदेश 5.87 और हरियाणा में 7.37 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना में बुआई पिछले साल की तुलना में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि गुजरात में पिछले साल के लगभग बराबर ही है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण पिछले तीन-चार महीनों से कपास की खपत में आई कमी के साथ ही कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के बंपर स्टॉक एवं बुआई में हुई बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर पड़ रहा है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं तथा मौजूदा कीमतों हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।
सीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए फसल सीजन में करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद की है, इसके अलावा महाराष्ट्र में भी राज्य सरकार की एजेंसियों ने भी खरीद की है, अत: उनके पास भी स्टॉक है। उन्होंने बताया कि सीसीआई बंगलादेश, चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया को निर्यात की संभावना तलाश रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के विश्व बाजार में कपास की मांग कम हुई है जिस कारण निर्यात सौदे भी सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। निगम घरेलू बाजार में कपास की बिकवाली भाव घटाकर कर रहा है तथा पहली अक्टूबर से नया सीजन शुरू हो जायेगा, ऐसे में माना जा रहा है कि निगम के पास बकाया स्टॉक ज्यादा बेचगा।
अहमदाबाद के कपास कारोबारी ने बताया कि लॉकडाउन के समय में यार्न मिलें बंद होने के कारण कपास की खपत में कमी आई थी। इस समय लॉकडाउन तो समाप्त गया है, लेकिन मांग में कमी के साथ ही प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण मिलें 40 से 60 फीसदी की क्षमता से ही कार्य कर पा रही है, जिस कारण इस समय भी कपास की खपत सामान्य से कम हो रही है। वैसे भी चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल के 312 लाख गांठ से बढ़कर 330 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसलिए कपास की कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं है। आयातित कपास के भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी है, ऐसे में विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इसकी बुआई 38.03 लाख हेक्टेयर में, गुजरात में 18.25 लाख हेक्टेयर में, तेलंगाना 18.22 लाख हेक्टेयर में, राजस्थान 6.51, पंजाब 5.01, मध्य प्रदेश 5.87 और हरियाणा में 7.37 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। महाराष्ट्र के साथ ही तेलंगाना में बुआई पिछले साल की तुलना में भारी बढ़ोतरी हुई है जबकि गुजरात में पिछले साल के लगभग बराबर ही है।............... आर एस राणा
मध्य प्रदेश में निजीकरण के खिलाफ बंद रही 259 मंडियाँ, ज्ञापन सौंपकर एक्ट वापस लेने की मांग
आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद मॉडल एक्ट (कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य) लागू किए जाने का प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। किसानों और व्यापारियों के बाद अब राज्य के मंडियों में कार्यरत कर्मचारी भी इस फैसले के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। प्रदेशभर के मंडी कर्मचारियों ने गुरुवार (16 जुलाई) को इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के समस्त जिलों में कलेक्टरों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस एक्ट को वापस लेने की मांग की।
सरकार तक अपनी बात रखने के लिए कर्मचारियों द्वारा गठित संयुक्त संघर्ष मंडी बोर्ड ने अपने ज्ञापन में कहा है कि कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 1 मई 2020 को मॉडल एक्ट लागू करने के अध्यादेश जारी किए गए हैं किंतु उसके विस्तृत दिशा निर्देश अब तक जारी नहीं हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 से कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश जारी किया है लेकिन प्रदेश सरकार ने अब तक उक्त आदेश को अधिकृत करने संबंधी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। अपितु शासन स्तर पर गठित समिति में सुझाव हेतु प्रभावित लोगों को शामिल नहीं किया जिससे असंतोष की स्थिति निर्मित हो गई है।
विरोध कर रहे मंडी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की नीतियों से सरकारी मंडियां खत्म हो जाएगी जिससे मंडी से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि मॉडल एक्ट के संबंध में भारत सरकार के अध्यादेश एवं मंडी अधिनियम 1972 में विरोधाभास होने के कारण कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित प्रभावित हो रहे हैं। मंडी की आय उपज पर मिलने वाले टैक्स पर निर्भर है और इसी से मंडी कर्मियों का वेतन भुगतान होता है। यदि टैक्स नहीं वसूला जाएगा तो हमारे परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगा।
ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सीएम शिवराज से मांग की है कि सरकार या तो मंडी का संचालन पूर्वानुसार करे या फिर मंडी में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित शासकीय कर्मचारियों के रूप में सम्मिलित करे ताकि उनके वेतन/पेंशन की जिम्मेदारी शासन पर हो। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 3 दिनों के अंदर इन मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तो राज्य के किसान, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी, एवं मंडी बोर्ड/समिति के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा 21 जून को विधानसभा का घेराव किया जाएगा जिसका उत्तरदायित्व राज्य सरकार का होगा।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद मॉडल एक्ट (कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य) लागू किए जाने का प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। किसानों और व्यापारियों के बाद अब राज्य के मंडियों में कार्यरत कर्मचारी भी इस फैसले के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। प्रदेशभर के मंडी कर्मचारियों ने गुरुवार (16 जुलाई) को इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के समस्त जिलों में कलेक्टरों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस एक्ट को वापस लेने की मांग की।
सरकार तक अपनी बात रखने के लिए कर्मचारियों द्वारा गठित संयुक्त संघर्ष मंडी बोर्ड ने अपने ज्ञापन में कहा है कि कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 1 मई 2020 को मॉडल एक्ट लागू करने के अध्यादेश जारी किए गए हैं किंतु उसके विस्तृत दिशा निर्देश अब तक जारी नहीं हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 से कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश जारी किया है लेकिन प्रदेश सरकार ने अब तक उक्त आदेश को अधिकृत करने संबंधी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। अपितु शासन स्तर पर गठित समिति में सुझाव हेतु प्रभावित लोगों को शामिल नहीं किया जिससे असंतोष की स्थिति निर्मित हो गई है।
विरोध कर रहे मंडी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की नीतियों से सरकारी मंडियां खत्म हो जाएगी जिससे मंडी से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि मॉडल एक्ट के संबंध में भारत सरकार के अध्यादेश एवं मंडी अधिनियम 1972 में विरोधाभास होने के कारण कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित प्रभावित हो रहे हैं। मंडी की आय उपज पर मिलने वाले टैक्स पर निर्भर है और इसी से मंडी कर्मियों का वेतन भुगतान होता है। यदि टैक्स नहीं वसूला जाएगा तो हमारे परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगा।
ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सीएम शिवराज से मांग की है कि सरकार या तो मंडी का संचालन पूर्वानुसार करे या फिर मंडी में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित शासकीय कर्मचारियों के रूप में सम्मिलित करे ताकि उनके वेतन/पेंशन की जिम्मेदारी शासन पर हो। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 3 दिनों के अंदर इन मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तो राज्य के किसान, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी, एवं मंडी बोर्ड/समिति के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा 21 जून को विधानसभा का घेराव किया जाएगा जिसका उत्तरदायित्व राज्य सरकार का होगा।............... आर एस राणा
खाद्य तेलों के आयात में कमी करने के लिए तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर - तोमर
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 92वें स्थापना दिवस पर कहा कि देश में दलहन और तिलहन फसलों की पैदावार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने देश के कृषि वैज्ञानिकों से दलहन और तिलहन फसलों की ऐसी किस्में ईजाद करने की अपील की, जिससे दाल व तेल के आयात पर निर्भरता समाप्त हो और खाद्यान्नों की तरह इन दोनों में भी देश आत्मनिर्भर बन सके।
तोमर ने कहा कि दलहन उत्पाादन में हम आत्मनिर्भरता के निकट पहुंचे हैं और विश्वास है कि तिलहन के मामले में भी हम ऐसी ही कामयाबी हासिल करेंगे और खाद्य तेलों के आयात पर होने वाले खर्च में कमी ला पाएंगे। देश को खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में देश के किसानों के साथ-साथ आईसीआर और इससे जुड़े संस्थानों के वैज्ञानिकों के योगदान का उल्लेख करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि स्थापना दिवस पर आईसीएआर परिवार इस दसवें दशक में संकल्प करे कि शताब्दी वर्ष आने तक रोडमैप बनाकर पूसा संस्थान को राष्ट्रीय संस्थान से बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बना देंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि आप सब इसमें निश्चित ही सफल होंगे। तोमर ने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों के प्रयासों से संस्था 90 साल से अधिक समय से देश को कृषि के क्षेत्र में आगे ले जाने में उलेखनीय योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने नए-नए अनुसंधान किए, उन अनुसंधानों को किसानों के पास गांवों में पहुंचाने का सफलतम प्रयत्न किया, किसानों ने भी यह जानते हुए भी कठिन परिश्रम किया कि यह घाटे का काम है। नई पद्धतियों का क्रियान्वयन खेत में हो, इस मामले में किसानों का योगदान अविस्मरणीय है। वैज्ञानिकों का अनुसंधान व किसानों का परिश्रम, इसी का परिणाम है कि आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं, अधिशेष राष्ट्र है।
तोमर ने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी भारत में कृषि क्षेत्र में सारा काम चल रहा था जिसके लिए किसान बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने विकल्प खोजें व पैदावार को क्षति नहीं होने दी। भारत सरकार ने भी ध्यान दिया, जिसके कारण उनके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध रहे और बंपर पैदावार हुई, समर्थन मूल्य पर खरीद का भी रिकार्ड बना। इसी का परिणाम है कि कोरोनावायरस संकट के दौर में आठ महीने तक देश के लगभग 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक काम सरकार कर पा रही है। समारोह में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि आईसीएआर ने फसलों की अनूठी किस्में विकसित कर भारत का नाम रोशन किया है। भारत को सभी क्षेत्रों में अग्रणी करने में आईसीएआर को और योगदान देना चाहिए।
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सतत काम करने की जरूरत है। इस अवसर पर आठ नए उत्पादों का लोकार्पण और 10 प्रकाशनों का विमोचन किया गया। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने परिषद की उपलब्धियां और आगामी योजनाएं बताईं। आईसीएआर की स्थापना 16 जुलाई, 1929 को हुई थी। देशभर के 102 संस्थान व राज्यों के 71 कृषि विश्वविद्यालय इससे जुड़े हुए हैं।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 92वें स्थापना दिवस पर कहा कि देश में दलहन और तिलहन फसलों की पैदावार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने देश के कृषि वैज्ञानिकों से दलहन और तिलहन फसलों की ऐसी किस्में ईजाद करने की अपील की, जिससे दाल व तेल के आयात पर निर्भरता समाप्त हो और खाद्यान्नों की तरह इन दोनों में भी देश आत्मनिर्भर बन सके।
तोमर ने कहा कि दलहन उत्पाादन में हम आत्मनिर्भरता के निकट पहुंचे हैं और विश्वास है कि तिलहन के मामले में भी हम ऐसी ही कामयाबी हासिल करेंगे और खाद्य तेलों के आयात पर होने वाले खर्च में कमी ला पाएंगे। देश को खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में देश के किसानों के साथ-साथ आईसीआर और इससे जुड़े संस्थानों के वैज्ञानिकों के योगदान का उल्लेख करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि स्थापना दिवस पर आईसीएआर परिवार इस दसवें दशक में संकल्प करे कि शताब्दी वर्ष आने तक रोडमैप बनाकर पूसा संस्थान को राष्ट्रीय संस्थान से बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बना देंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि आप सब इसमें निश्चित ही सफल होंगे। तोमर ने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों के प्रयासों से संस्था 90 साल से अधिक समय से देश को कृषि के क्षेत्र में आगे ले जाने में उलेखनीय योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने नए-नए अनुसंधान किए, उन अनुसंधानों को किसानों के पास गांवों में पहुंचाने का सफलतम प्रयत्न किया, किसानों ने भी यह जानते हुए भी कठिन परिश्रम किया कि यह घाटे का काम है। नई पद्धतियों का क्रियान्वयन खेत में हो, इस मामले में किसानों का योगदान अविस्मरणीय है। वैज्ञानिकों का अनुसंधान व किसानों का परिश्रम, इसी का परिणाम है कि आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं, अधिशेष राष्ट्र है।
तोमर ने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान भी भारत में कृषि क्षेत्र में सारा काम चल रहा था जिसके लिए किसान बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने विकल्प खोजें व पैदावार को क्षति नहीं होने दी। भारत सरकार ने भी ध्यान दिया, जिसके कारण उनके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध रहे और बंपर पैदावार हुई, समर्थन मूल्य पर खरीद का भी रिकार्ड बना। इसी का परिणाम है कि कोरोनावायरस संकट के दौर में आठ महीने तक देश के लगभग 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक काम सरकार कर पा रही है। समारोह में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि आईसीएआर ने फसलों की अनूठी किस्में विकसित कर भारत का नाम रोशन किया है। भारत को सभी क्षेत्रों में अग्रणी करने में आईसीएआर को और योगदान देना चाहिए।
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में सतत काम करने की जरूरत है। इस अवसर पर आठ नए उत्पादों का लोकार्पण और 10 प्रकाशनों का विमोचन किया गया। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने परिषद की उपलब्धियां और आगामी योजनाएं बताईं। आईसीएआर की स्थापना 16 जुलाई, 1929 को हुई थी। देशभर के 102 संस्थान व राज्यों के 71 कृषि विश्वविद्यालय इससे जुड़े हुए हैं।............... आर एस राणा
16 जुलाई 2020
चालू पेराई सीजन में 52 लाख टन चीनी के हुए निर्यात सौदे, 48 लाख टन की शिपमेंट
आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 में मध्य जुलाई तक करीब 52 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके है जिसमें से 48 लाख टन की शिपमेंट भी हो चुकी है। जानकारों के अनुसार सितंबर अंत तक करीब तीन लाख टन चीनी के और निर्यात हो जायेंगे, जिससे कुल निर्यात 55 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी हुई है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार भारत से चीन एक लाख टन से ज्यादा चीन खरीद चुका है, जबकि पूरे सीजन में दो से तीन लाख टन चीनी का निर्यात चीन को होने की उम्मीद है। चीन पहले मुख्य रूप से ब्राजील से ही चीनी खरीदता था, मगर अब वह भारत से खरीद कर रहा है। नाकइनवरे के अनुसार चीन के लिए भारत से चीनी खरीदना आसान होता है और वह इस साल भारत से चीनी खरीद रहा है, इसलिए दो से तीन लाख टन चीनी चीन को बेचने का अभी मौका है।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक ने कहा कि इससे पहले 2007-08 में भारत ने रिकॉर्ड 49 लाख चीनी निर्यात किया था जो रिकार्ड पहले ही टूट चुका है क्योंकि 52 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे अभी तक हो चुके हैं। चीनी के निर्यात पर केंद्र सरकार सरकार चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी भी दे रही है।
उद्योग संगठन के अनुसार देश से अब तक 48 लाख टन चीनी की शिपमेंट हो चुकी हैं, जिसमें 55 फीसदी रॉ-शुगर है जबकि 45 फीसदी व्हाईट चीनी है। भारत ने अब तक सबसे ज्यादा चीनी ईरान को निर्यात की है। जानकारी के अनुसार, ईरान को 10 लाख टन से ज्यादा चीनी का निर्यात हुआ है जबकि सोमालिया को पांच लाख टन से अधिक। भारत ने इसके अलावा, इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, रूस, सुडान, बांग्लादेश और चीन समेत कई देशों को चालू पेराई सीजन में चीनी निर्यात किया है। चीन को 1.23 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, चालू सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 272 लाख टन है जबकि आगामी सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 300 लाख टन होने का अनुमान है।................. आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 में मध्य जुलाई तक करीब 52 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे हो चुके है जिसमें से 48 लाख टन की शिपमेंट भी हो चुकी है। जानकारों के अनुसार सितंबर अंत तक करीब तीन लाख टन चीनी के और निर्यात हो जायेंगे, जिससे कुल निर्यात 55 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी हुई है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार भारत से चीन एक लाख टन से ज्यादा चीन खरीद चुका है, जबकि पूरे सीजन में दो से तीन लाख टन चीनी का निर्यात चीन को होने की उम्मीद है। चीन पहले मुख्य रूप से ब्राजील से ही चीनी खरीदता था, मगर अब वह भारत से खरीद कर रहा है। नाकइनवरे के अनुसार चीन के लिए भारत से चीनी खरीदना आसान होता है और वह इस साल भारत से चीनी खरीद रहा है, इसलिए दो से तीन लाख टन चीनी चीन को बेचने का अभी मौका है।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक ने कहा कि इससे पहले 2007-08 में भारत ने रिकॉर्ड 49 लाख चीनी निर्यात किया था जो रिकार्ड पहले ही टूट चुका है क्योंकि 52 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे अभी तक हो चुके हैं। चीनी के निर्यात पर केंद्र सरकार सरकार चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी भी दे रही है।
उद्योग संगठन के अनुसार देश से अब तक 48 लाख टन चीनी की शिपमेंट हो चुकी हैं, जिसमें 55 फीसदी रॉ-शुगर है जबकि 45 फीसदी व्हाईट चीनी है। भारत ने अब तक सबसे ज्यादा चीनी ईरान को निर्यात की है। जानकारी के अनुसार, ईरान को 10 लाख टन से ज्यादा चीनी का निर्यात हुआ है जबकि सोमालिया को पांच लाख टन से अधिक। भारत ने इसके अलावा, इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, रूस, सुडान, बांग्लादेश और चीन समेत कई देशों को चालू पेराई सीजन में चीनी निर्यात किया है। चीन को 1.23 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, चालू सीजन 2019-20 में देश में चीनी का उत्पादन 272 लाख टन है जबकि आगामी सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में 300 लाख टन होने का अनुमान है।................. आर एस राणा
एफएओ का दावा, विश्व स्तर पर एग्री जिंसों में अभी रहेगा गिरावट का दौर
आर एस राणा
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि विश्व स्तर पर मंदी के माहौल में सप्लाई के आगे मांग कम नहीं होने के कारण विश्व बाजार में एग्री जिंसों में गिरावट का रुख जारी रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार कोविड -19 महामारी से उपजे आर्थिक सुस्ती के माहौल में कृषि जिंसों की कीमतों में गिरावट का और भी खतरा है, माना जा रहा है कि एग्री जिंसों की मांग इस साल प्रभावित ही रहेगी। दोनों एजेंसियों का मानना है कि कोरोनो वायरस महामारी के कारण आर्थिक मंदी में एग्री जिंसों की मांग प्रभावित रहेगी जिसका असर कीमतों में गिरावट के रुप में देखने को मिल सकता है। एजेंसियों के अनुसार खाद्य एवं अखाद्य तेलों के साथ ही पशुआहर से संबंधित कृषि उत्पादों की मांग प्रमुख फसलों गेहूं और चावल की तुलना में कम रहेगी।
कोरोना वायर के कारण पहले एग्री जिसों की कीमतों में विश्व स्तर पर गिरावट देखी जा रही है। मक्का के साथ ही डीओसी, जौ, बाजरा आदि की कीमतें पहले ही काफी नीचे आ चुकी हैं। माना जा रहा कि कोरोना वायरस का जिस तेजी से असर बढ़ रहा है, उसके कारण कई देशों में लॉकडाउन, सामाजिक समारोह आदि पर प्रतिबंध अभी जारी ही रहने का अनुमान है। हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों के लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद पिछले दिनों कुछ समय में कुछेक एग्री कमोडिटी की कीमतों में हल्का सुधार आया है, लेकिन अभी भी अनिश्चतता का माहौल बना हुआ है। खाद्यान्नों के उत्पादन बढ़ने के अनुपात में मांग कम होने से कीमतों पर दबाव जारी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में स्वाइन फ्लू जैसे महामारियों के डर से आगे मांस और खास करके सूअर के मांस की मांग और इसकी कीमतों में तेज गिरावट आने का अनुमान है। .............. आर एस राणा
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि विश्व स्तर पर मंदी के माहौल में सप्लाई के आगे मांग कम नहीं होने के कारण विश्व बाजार में एग्री जिंसों में गिरावट का रुख जारी रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार कोविड -19 महामारी से उपजे आर्थिक सुस्ती के माहौल में कृषि जिंसों की कीमतों में गिरावट का और भी खतरा है, माना जा रहा है कि एग्री जिंसों की मांग इस साल प्रभावित ही रहेगी। दोनों एजेंसियों का मानना है कि कोरोनो वायरस महामारी के कारण आर्थिक मंदी में एग्री जिंसों की मांग प्रभावित रहेगी जिसका असर कीमतों में गिरावट के रुप में देखने को मिल सकता है। एजेंसियों के अनुसार खाद्य एवं अखाद्य तेलों के साथ ही पशुआहर से संबंधित कृषि उत्पादों की मांग प्रमुख फसलों गेहूं और चावल की तुलना में कम रहेगी।
कोरोना वायर के कारण पहले एग्री जिसों की कीमतों में विश्व स्तर पर गिरावट देखी जा रही है। मक्का के साथ ही डीओसी, जौ, बाजरा आदि की कीमतें पहले ही काफी नीचे आ चुकी हैं। माना जा रहा कि कोरोना वायरस का जिस तेजी से असर बढ़ रहा है, उसके कारण कई देशों में लॉकडाउन, सामाजिक समारोह आदि पर प्रतिबंध अभी जारी ही रहने का अनुमान है। हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों के लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद पिछले दिनों कुछ समय में कुछेक एग्री कमोडिटी की कीमतों में हल्का सुधार आया है, लेकिन अभी भी अनिश्चतता का माहौल बना हुआ है। खाद्यान्नों के उत्पादन बढ़ने के अनुपात में मांग कम होने से कीमतों पर दबाव जारी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में स्वाइन फ्लू जैसे महामारियों के डर से आगे मांस और खास करके सूअर के मांस की मांग और इसकी कीमतों में तेज गिरावट आने का अनुमान है। .............. आर एस राणा
घरेलू बाजार में चांदी के भाव सात साल की उंचाई पर, आगे तेजी की ही संभावना
आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के समय बढ़ते बीच औद्योगिक गतिविधियों के दोबारा पटरी पर लौटने से चांदी की चमक बढ़ गई है। घरेलू वायदा बाजार में चांदी का भाव गुरुवार को सात साल की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से सोने के मुकाबले चांदी में बढ़त देखी गई।
घरेलू बाजार में चांदी का भाव 2013 के बाद 53,000 रुपये प्रति किलो के उपर चल रहा है जबकि सोने का भाव इस समय 49,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के उपर चल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी 19 डॉलर प्रति औंस के ऊपर है जबकि सोना 1,800 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चल रहा है। जानकारों के अनुसार सोना और चांदी के भाव का अनुपात फिर घटता जा रहा है जो इस बात का संकेत है कि सोने के बजाय चांदी की तरफ निवेशकों का रुझान बढ़ा है।
घरेलू बाजार के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आई है और अब दुनियाभर में धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलने से औद्योगिक गतिविधियों के दोबारा पटरी पर लौटने से चांदी की चमक सोने के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में गुरुवार को पिछले सत्र से 181 रुपये की नरमी के साथ 52,877 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 53,199 रुपये प्रति किलो तक उछला, जोकि सितंबर 2013 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर। सोने में अगस्त अनुबंध में पिछले सत्र से 69 रुपये की कमजोरी के साथ 49,090 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 49,245 रुपये तक उछला। एमसीएक्स पर सोने का भाव आठ जुलाई 2020 को 49,348 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला था जोकि रिकॉर्ड है। हाजिर बाजार में एक दिन पहले 24 कैरट शुद्धता का सोना 49,250 रुपये प्रति 10 ग्राम चल रहा था। जबकि चांदी का भाव 52,195 रुपये प्रति किलो चल रहा था। इन भाव में जीएसटी शामिल नहीं है।
इंडिया बुलियन एवं ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार चांदी औद्योगिक धातु है और लॉकडाउन खुलने से उद्योग में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीदों से कीमतों में तेजी दखी जा रही है। हालांकि सोने का भाव ऊंचाई से थोड़ा टूटा है जो क्षणिक गिरावट है मगर आगे तेजी का रुख बना हुआ है। कमोडिटी विश्लेषक अनुज गुप्ता कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक मांग के साथ-साथ देश में आभूषण में भी चांदी की मांग इस बार तेज रह सकती है क्योंकि मानसून अच्छा है जिससे अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में आभूषणों की मांग को सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब कभी सोना महंगा होता है तो ग्रामीण इलाके में चांदी के आभूषणों की मांग बढ़ जाती है।...................... आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के समय बढ़ते बीच औद्योगिक गतिविधियों के दोबारा पटरी पर लौटने से चांदी की चमक बढ़ गई है। घरेलू वायदा बाजार में चांदी का भाव गुरुवार को सात साल की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। औद्योगिक मांग बढ़ने की उम्मीदों से सोने के मुकाबले चांदी में बढ़त देखी गई।
घरेलू बाजार में चांदी का भाव 2013 के बाद 53,000 रुपये प्रति किलो के उपर चल रहा है जबकि सोने का भाव इस समय 49,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के उपर चल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चांदी 19 डॉलर प्रति औंस के ऊपर है जबकि सोना 1,800 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चल रहा है। जानकारों के अनुसार सोना और चांदी के भाव का अनुपात फिर घटता जा रहा है जो इस बात का संकेत है कि सोने के बजाय चांदी की तरफ निवेशकों का रुझान बढ़ा है।
घरेलू बाजार के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमतों में तेजी आई है और अब दुनियाभर में धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलने से औद्योगिक गतिविधियों के दोबारा पटरी पर लौटने से चांदी की चमक सोने के मुकाबले ज्यादा बढ़ गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर चांदी के सितंबर वायदा अनुबंध में गुरुवार को पिछले सत्र से 181 रुपये की नरमी के साथ 52,877 रुपये प्रति किलो पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 53,199 रुपये प्रति किलो तक उछला, जोकि सितंबर 2013 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर। सोने में अगस्त अनुबंध में पिछले सत्र से 69 रुपये की कमजोरी के साथ 49,090 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 49,245 रुपये तक उछला। एमसीएक्स पर सोने का भाव आठ जुलाई 2020 को 49,348 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला था जोकि रिकॉर्ड है। हाजिर बाजार में एक दिन पहले 24 कैरट शुद्धता का सोना 49,250 रुपये प्रति 10 ग्राम चल रहा था। जबकि चांदी का भाव 52,195 रुपये प्रति किलो चल रहा था। इन भाव में जीएसटी शामिल नहीं है।
इंडिया बुलियन एवं ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार चांदी औद्योगिक धातु है और लॉकडाउन खुलने से उद्योग में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीदों से कीमतों में तेजी दखी जा रही है। हालांकि सोने का भाव ऊंचाई से थोड़ा टूटा है जो क्षणिक गिरावट है मगर आगे तेजी का रुख बना हुआ है। कमोडिटी विश्लेषक अनुज गुप्ता कहते हैं कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक मांग के साथ-साथ देश में आभूषण में भी चांदी की मांग इस बार तेज रह सकती है क्योंकि मानसून अच्छा है जिससे अच्छी पैदावार की उम्मीद की जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में आभूषणों की मांग को सपोर्ट मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब कभी सोना महंगा होता है तो ग्रामीण इलाके में चांदी के आभूषणों की मांग बढ़ जाती है।...................... आर एस राणा
वित्त वर्ष 2019-20 में कंजूमर पैक में खाद्य तेलों का निर्यात बढ़ा, 80,765 टन पर पहुचा
आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश से खाद्य तेलों का निर्यात बढ़कर 80,765 टन का हुआ है जोकि मूल्य के हिसाब से 955.51 करोड़ रुपये का है। इसके पिछले वित्त वर्ष में इनका निर्यात 52,490 टन का 627.11 करोड़ रुपये का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार केंद्र सरकार ने कंजूमर पैक में पांच किलो तक की पैकिंग में खाद्य तेलों के निर्यात को अनुमति दी हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश से सबसे ज्यादा मूंगफली तेल का निर्यात हुआ है, इसके अलावा राइस ब्रान, शीसम, सनफ्लॉवर और सरसों तेल का निर्यात हुआ है। एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कंजूमर पैक में 38,225 मूंगफली तेल का निर्यात हुआ है जोकि मूल्य के हिसाब से 390.28 करोड़ रुपये का है, तथा इसका निर्यात सबसे ज्यादा चीन को 33,606 टन का हुआ है। इसके अलावा सरसों तेल का निया्रत 3,681 टन का करीब 46.97 करोड़ रुपये का हुआ है। सोया रिफाइंड तेल का निर्यात 9,822 टन का करीब 86.23 रुपये का हुआ है। ................. आर एस राणा
नई दिल्ली। उद्योग के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश से खाद्य तेलों का निर्यात बढ़कर 80,765 टन का हुआ है जोकि मूल्य के हिसाब से 955.51 करोड़ रुपये का है। इसके पिछले वित्त वर्ष में इनका निर्यात 52,490 टन का 627.11 करोड़ रुपये का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार केंद्र सरकार ने कंजूमर पैक में पांच किलो तक की पैकिंग में खाद्य तेलों के निर्यात को अनुमति दी हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश से सबसे ज्यादा मूंगफली तेल का निर्यात हुआ है, इसके अलावा राइस ब्रान, शीसम, सनफ्लॉवर और सरसों तेल का निर्यात हुआ है। एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कंजूमर पैक में 38,225 मूंगफली तेल का निर्यात हुआ है जोकि मूल्य के हिसाब से 390.28 करोड़ रुपये का है, तथा इसका निर्यात सबसे ज्यादा चीन को 33,606 टन का हुआ है। इसके अलावा सरसों तेल का निया्रत 3,681 टन का करीब 46.97 करोड़ रुपये का हुआ है। सोया रिफाइंड तेल का निर्यात 9,822 टन का करीब 86.23 रुपये का हुआ है। ................. आर एस राणा
उद्योग का सुझाव, सरकार 500 रुपये सस्ता गेहूं बेच कर 9,000 करोड़ रुपये बचा सकती है
आर एस राणा
नई दिल्ली। आटा मिल मालिकों ने केंद्र सरकार से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक ग्राहकों को बेचे जाने वाले गेहूं के बिक्री भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का सुझाव दिया है। उद्योग का तर्क है कि इस कदम से केंद्रीय पूल से 60 लाख टन गेहूं की बिक्री हो जायेगी, जिससे रख रखाव के खर्च करीब 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
भारतीय रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन (आरएफएमएफ) ने कहा कि अगर सरकार कीमतों में कटौती करती है तो इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। उपभोक्ताओं को रोलर फ्लोर मिलें सस्ता आटा, मैदा एवं सूजी बेचेंगी। उन्होंने गेहूं के पोषक तत्वों से समृद्ध किये गये आटे के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में भी छूट दिये जाने की भी मांग की है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पहली जून को 558.25 लाख टन गेहूं का भारी भरकम स्टॉक जमा है जोकि तय मानकों से काफी ज्यादा है। बाजार में कीमत कम होने के कारण ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव नहीं के बराबर हो रहा है, इसलिए मिलों ने भाव में कटौती का प्रस्ताव सरकार को दिया है।
आरएफएमएफ के अध्यक्ष, संजय पुरी ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ओएमएसएस के तहत दी जाने वाली गेहूं की कीमतें, खुले बाजार की कीमतों और यहां तक कि आयातित गेहूं की दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं। यदि ओएमएसएस के तहत बिक्री दर 500 रुपये प्रति क्विंटल घटाकर 1,635 रुपये कर दी जाए, तो आटा मिलें, लगभग 60 लाख टन गेहूं का एफसीआई से उठाव करेंगी। इस समय ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 2,080 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि दिल्ली के लारेंस रोड़ पर गेहूं का भाव 1,950 से 1,970 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं का भाव 1,750 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल है। ................ आर एस राणा
नई दिल्ली। आटा मिल मालिकों ने केंद्र सरकार से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक ग्राहकों को बेचे जाने वाले गेहूं के बिक्री भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने का सुझाव दिया है। उद्योग का तर्क है कि इस कदम से केंद्रीय पूल से 60 लाख टन गेहूं की बिक्री हो जायेगी, जिससे रख रखाव के खर्च करीब 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
भारतीय रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन (आरएफएमएफ) ने कहा कि अगर सरकार कीमतों में कटौती करती है तो इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। उपभोक्ताओं को रोलर फ्लोर मिलें सस्ता आटा, मैदा एवं सूजी बेचेंगी। उन्होंने गेहूं के पोषक तत्वों से समृद्ध किये गये आटे के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में भी छूट दिये जाने की भी मांग की है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पहली जून को 558.25 लाख टन गेहूं का भारी भरकम स्टॉक जमा है जोकि तय मानकों से काफी ज्यादा है। बाजार में कीमत कम होने के कारण ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव नहीं के बराबर हो रहा है, इसलिए मिलों ने भाव में कटौती का प्रस्ताव सरकार को दिया है।
आरएफएमएफ के अध्यक्ष, संजय पुरी ने एक डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ओएमएसएस के तहत दी जाने वाली गेहूं की कीमतें, खुले बाजार की कीमतों और यहां तक कि आयातित गेहूं की दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं। यदि ओएमएसएस के तहत बिक्री दर 500 रुपये प्रति क्विंटल घटाकर 1,635 रुपये कर दी जाए, तो आटा मिलें, लगभग 60 लाख टन गेहूं का एफसीआई से उठाव करेंगी। इस समय ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 2,080 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि दिल्ली के लारेंस रोड़ पर गेहूं का भाव 1,950 से 1,970 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूं का भाव 1,750 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल है। ................ आर एस राणा
चीन में गेहूं का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन में इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 13 करोड़ 16 लाख 80 हजार टन होने का अनुमान है, जो कि गत वर्ष से 0.6 फीसदी ज्यादा है। चीन में वर्ष 2020 में ग्रीष्म अनाज का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 15 जुलाई को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में चीन के ग्रीष्म अनाज का कुल उत्पादन 14 करोड़ 28 लाख 10 हजार टन है, जो वर्ष 2019 से 0.9 फीसदी बढ़कर 12 लाख 8 हजार टन से अधिक है। गेहूं की पैदावार 13 करोड़ 16 लाख 80 हजार टन है, जो बीते वर्ष से 0.6 फीसदी अधिकहै। इस साल चीन के ग्रीष्म अनाज की बुआई का क्षेत्रफल 26,172 हजार हेक्टर है, जो गतवर्ष से 181 हजार 600 हेक्टेयर कम हुआ। गेहूं की बुआई का क्षेत्रफल 22,711 हजार हेक्टेयर है, जो गतवर्ष से 273 हजार 500 हेक्टेयर कम हुआ था।
चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो के विभाग के निदेशक ली सोछ्यांग ने बताया कि ग्रीष्म अनाज की बुआई का क्षेत्रफल कम होने का मुख्य कारण कृषि सप्लाई पक्ष में ढांचागत सुधार है, जिस से शरद और सर्दी में रोपण के ढांचे का समायोजन हुआ। बाजार की मांग और आर्थिक लाभ जैसे तत्वों से कुछ क्षेत्रों में सब्जी, तिलहन जैसी आर्थिक फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाया गया है।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन में इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 13 करोड़ 16 लाख 80 हजार टन होने का अनुमान है, जो कि गत वर्ष से 0.6 फीसदी ज्यादा है। चीन में वर्ष 2020 में ग्रीष्म अनाज का रिकार्ड उत्पादन हुआ है।
चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 15 जुलाई को जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में चीन के ग्रीष्म अनाज का कुल उत्पादन 14 करोड़ 28 लाख 10 हजार टन है, जो वर्ष 2019 से 0.9 फीसदी बढ़कर 12 लाख 8 हजार टन से अधिक है। गेहूं की पैदावार 13 करोड़ 16 लाख 80 हजार टन है, जो बीते वर्ष से 0.6 फीसदी अधिकहै। इस साल चीन के ग्रीष्म अनाज की बुआई का क्षेत्रफल 26,172 हजार हेक्टर है, जो गतवर्ष से 181 हजार 600 हेक्टेयर कम हुआ। गेहूं की बुआई का क्षेत्रफल 22,711 हजार हेक्टेयर है, जो गतवर्ष से 273 हजार 500 हेक्टेयर कम हुआ था।
चीनी राजकीय सांख्यिकी ब्यूरो के विभाग के निदेशक ली सोछ्यांग ने बताया कि ग्रीष्म अनाज की बुआई का क्षेत्रफल कम होने का मुख्य कारण कृषि सप्लाई पक्ष में ढांचागत सुधार है, जिस से शरद और सर्दी में रोपण के ढांचे का समायोजन हुआ। बाजार की मांग और आर्थिक लाभ जैसे तत्वों से कुछ क्षेत्रों में सब्जी, तिलहन जैसी आर्थिक फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाया गया है।............ आर एस राणा
15 जुलाई 2020
मंत्रियों के समूह ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को दी मंजूरी
आर एस राणा
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह ने बुधवार को चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव (एमएसपी) में 200 रुपये की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों के बकाया करीब, 20,000 करोड़ रुपये के भूगतान के लिए मंत्रियों के समूह ने चीनी के एमएसपी को 3,100 रुपये से बढ़ाकर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल करने की खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय की सिफारिश को मान लिया है।
बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2019-20 का चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 20,000 करोड़ रुपये अभी भी बकाया बचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार गन्ना के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए और भी कदम उठाने पर विचार कर रही है। नीति आयोग ने भी चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव में बढ़ोतरी करने की सिफारिश की थी।
पिछले साल भी केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 2,900 रुपये से बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गन्ना पेराई सीजन 2019-20 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान मिलों ने किसानों से लगभग 72,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है, जिसमें से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का बकाया चीनी मिलों पर बकाया है, तथा बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है। ............... आर एस राणा
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह ने बुधवार को चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव (एमएसपी) में 200 रुपये की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों के बकाया करीब, 20,000 करोड़ रुपये के भूगतान के लिए मंत्रियों के समूह ने चीनी के एमएसपी को 3,100 रुपये से बढ़ाकर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल करने की खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय की सिफारिश को मान लिया है।
बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2019-20 का चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 20,000 करोड़ रुपये अभी भी बकाया बचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार गन्ना के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए और भी कदम उठाने पर विचार कर रही है। नीति आयोग ने भी चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव में बढ़ोतरी करने की सिफारिश की थी।
पिछले साल भी केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 2,900 रुपये से बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, गन्ना पेराई सीजन 2019-20 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान मिलों ने किसानों से लगभग 72,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है, जिसमें से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का बकाया चीनी मिलों पर बकाया है, तथा बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है। ............... आर एस राणा
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में डीओसी का निर्यात 15 फीसदी घटा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के निर्यात में 15 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 5.79 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 6.84 लाख टन का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जून में डीओसी का निर्यात 2.29 लाख टन का हुआ है जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के 2.28 लाख टन के लगभग बराबर ही है। एसई के अनुसार घरेलू बाजार में कीमतें उंची होने के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में डीओसी के निर्यात में गिरावट आई है।
सोया डीओसी का निर्यात मई के मुकाबले जून में बढ़ा है। जून में सोया डीओसी का निर्यात 56,638 टन का हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात केवल 46,614 टन का ही हुआ था। हालांकि सरसों डीओसी का निर्यात जून में घटकर 1,22,573 टन का ही हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात 1,44,244 टन का हुआ था। जून में राइसब्रान डीओसी का निर्यात 28,892 टन का और केस्टर डीओसी का निर्यात 21,127 टन का हुआ है।
जून में सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर 442 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि मई में इसके भाव 444 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से सरसों डीओसी के भाव मई के 220 डॉलर के मुकाबले जून में घटकर 214 डॉलर प्रति टन रह गए। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में दक्षिण कोरिया, थाइलैंड और यूएसए को डीओसी के निर्यात में कमी आई है जबकि वियतनाम और ताइवान को निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के निर्यात में 15 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 5.79 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 6.84 लाख टन का हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार जून में डीओसी का निर्यात 2.29 लाख टन का हुआ है जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के 2.28 लाख टन के लगभग बराबर ही है। एसई के अनुसार घरेलू बाजार में कीमतें उंची होने के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में डीओसी के निर्यात में गिरावट आई है।
सोया डीओसी का निर्यात मई के मुकाबले जून में बढ़ा है। जून में सोया डीओसी का निर्यात 56,638 टन का हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात केवल 46,614 टन का ही हुआ था। हालांकि सरसों डीओसी का निर्यात जून में घटकर 1,22,573 टन का ही हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात 1,44,244 टन का हुआ था। जून में राइसब्रान डीओसी का निर्यात 28,892 टन का और केस्टर डीओसी का निर्यात 21,127 टन का हुआ है।
जून में सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर 442 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि मई में इसके भाव 444 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से सरसों डीओसी के भाव मई के 220 डॉलर के मुकाबले जून में घटकर 214 डॉलर प्रति टन रह गए। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में दक्षिण कोरिया, थाइलैंड और यूएसए को डीओसी के निर्यात में कमी आई है जबकि वियतनाम और ताइवान को निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ............. आर एस राणा
14 जुलाई 2020
मुफ्त वितरण के लिए चने की कमी नहीं, दालों का भी पर्याप्त भंडार - नेफेड
नई दिल्ली। देश में कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा सहकारी विपणन संगठन-नेफेड के पास चना समेत तमाम दलहनों का पर्याप्त भंडार है और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत मुफ्त वितरण के लिए चने की कोई कमी नहीं है।
नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा के अनुसार एजेंसी के पास इस समय दलहनों का 45 लाख टन का भंडार है, जिसमें चना सबसे ज्यादा करीब 30-32 लाख टन है। चड्ढा ने कहा कि मुफ्त वितरण योजना के लिए करीब 10-12 लाख टन चने की जरूरत होगी जबकि भंडार काफी अधिक है और नेफेड चने का पुराना स्टॉक खुले बाजार में बेच रही है। उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में करीब 23 लाख टन चना नेफेड ने किसानों से खरीदा है और अभी खरीद चल रही रही है। हालांकि खरीद आखिरी चरण में है।
उनका कहना है कि नेफेड कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी चना किसानों से खरीदती है। हालांकि यह आंकड़ा इस समय कम है क्योंकि तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 के दौरान चने का उत्पादन करीब 109 लाख टन है। चड्ढा ने कहा, हमने चने का पुराना स्टॉक बेचना भी शुरू कर दिया है। करीब दो साल पुराना करीब 1.5 लाख टन चना बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि इस समय बिक्री की दर थोड़ी सुस्त है।
उन्होंने कहा कि नेफेड के पास दालों का स्टॉक इस समय करीब 45 लाख टन है, जिसमें चना 30-32 लाख, तुअर करीब आठ लाख टन, उड़द करीब दो-तीन लाख टन और बांकी मूंग का स्टॉक है। चड्ढा ने कहा कि दहलनों का इस समय पर्याप्त स्टॉक है। कोरोना काल में देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज और दाल मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई योजना (पीएमजीकेएवाई) के पहले चरण में अप्रैल से जून तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रत्येक लाभार्थी के लिए पांच किलो अनाज (गेहू/चावल) और राशन कार्डधारक प्रत्येक परिवार के लिए एक किलो दाल देने का प्रावधान सरकार ने किया है।
इस योजना की अवधि पांच महीने बढ़ाकर नवंबर तक कर दी गई है और योजना के दूसरे चरण में प्रत्येक परिवार को दाल की जगह साबूत चना देने का प्रावधान है, जिसके लिए जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों के लिए 9.70 लाख टन चने की जरूरत होगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी 39,000 टन साबूत चने के मुफ्त वितरण का प्रावधान किया गया है। पीएमजीकेएवाई-1 के तहत 5.88 लाख टन दाल के मुफ्त वितरण किया गया था।
नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा के अनुसार एजेंसी के पास इस समय दलहनों का 45 लाख टन का भंडार है, जिसमें चना सबसे ज्यादा करीब 30-32 लाख टन है। चड्ढा ने कहा कि मुफ्त वितरण योजना के लिए करीब 10-12 लाख टन चने की जरूरत होगी जबकि भंडार काफी अधिक है और नेफेड चने का पुराना स्टॉक खुले बाजार में बेच रही है। उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में करीब 23 लाख टन चना नेफेड ने किसानों से खरीदा है और अभी खरीद चल रही रही है। हालांकि खरीद आखिरी चरण में है।
उनका कहना है कि नेफेड कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी चना किसानों से खरीदती है। हालांकि यह आंकड़ा इस समय कम है क्योंकि तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 के दौरान चने का उत्पादन करीब 109 लाख टन है। चड्ढा ने कहा, हमने चने का पुराना स्टॉक बेचना भी शुरू कर दिया है। करीब दो साल पुराना करीब 1.5 लाख टन चना बेचने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि इस समय बिक्री की दर थोड़ी सुस्त है।
उन्होंने कहा कि नेफेड के पास दालों का स्टॉक इस समय करीब 45 लाख टन है, जिसमें चना 30-32 लाख, तुअर करीब आठ लाख टन, उड़द करीब दो-तीन लाख टन और बांकी मूंग का स्टॉक है। चड्ढा ने कहा कि दहलनों का इस समय पर्याप्त स्टॉक है। कोरोना काल में देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज और दाल मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई योजना (पीएमजीकेएवाई) के पहले चरण में अप्रैल से जून तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के प्रत्येक लाभार्थी के लिए पांच किलो अनाज (गेहू/चावल) और राशन कार्डधारक प्रत्येक परिवार के लिए एक किलो दाल देने का प्रावधान सरकार ने किया है।
इस योजना की अवधि पांच महीने बढ़ाकर नवंबर तक कर दी गई है और योजना के दूसरे चरण में प्रत्येक परिवार को दाल की जगह साबूत चना देने का प्रावधान है, जिसके लिए जुलाई से नवंबर तक पांच महीनों के लिए 9.70 लाख टन चने की जरूरत होगी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी 39,000 टन साबूत चने के मुफ्त वितरण का प्रावधान किया गया है। पीएमजीकेएवाई-1 के तहत 5.88 लाख टन दाल के मुफ्त वितरण किया गया था।
दालों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं, मोठ की बुआई घटने की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली।
कोरोना वायरस के कारण दालों की खपत में आई कमी के साथ ही घरेलू बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने के साथ-साथ खरीफ में बुआई बढ़ने की संभावना है। इसलिए दालों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है, हालांकि मोठ की बुआई राजस्थान में तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका है। ......................पूरी खबर के लिए एग्री कमोडिटी की दैनिक खबरों के लिए संपर्क करें : आर एस राणा, 07678684719 या 9811470207 पर या फिर ई मेल करें : rsrana2001@gmail.com rsrana2017@yahoo.co.in
नई दिल्ली।
कोरोना वायरस के कारण दालों की खपत में आई कमी के साथ ही घरेलू बाजार में उपलब्धता ज्यादा होने के साथ-साथ खरीफ में बुआई बढ़ने की संभावना है। इसलिए दालों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है, हालांकि मोठ की बुआई राजस्थान में तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका है। ......................पूरी खबर के लिए एग्री कमोडिटी की दैनिक खबरों के लिए संपर्क करें : आर एस राणा, 07678684719 या 9811470207 पर या फिर ई मेल करें : rsrana2001@gmail.com rsrana2017@yahoo.co.in
जून थोक महंगाई दर बढ़ी, मई के -3.21% बढ़कर -1.81% रही
आर एस राणा
नई दिल्ली। जून में महीने दर महीने आधार पर थोक महंगाई दर ( डब्ल्यूपीआई) बढ़ी है। जून में थोक महंगाई दर मई के -3.21% बढ़कर -1.81% रही है। जून में डब्ल्यूपीआई के -2.4 फीसदी रहने का अनुमान था। जून में खाद्य महंगाई मई के 2.31 फीसदी से बढ़कर 3.05 फीसदी हो गई है। जून में प्राइमरी आर्टिकल डब्ल्यूपीआई मई के -2.92 फीसदी से बढ़कर -1.21 फीसदी रही है।
जून में फ्यूल & पावर डब्ल्यूपीआई मई के -19.83 फीसदी से बढ़कर -13.60 फीसदी, सब्जियों की डब्ल्यूपीआई मई के -12.48 फीसदी से बढ़कर -9.21 फीसदी, आलू की डब्ल्यूपीआई मई के 52.25 फीसदी से बढ़कर 56.20 फीसदी, प्याज की डब्ल्यूपीआई मई के 6.26 फीसदी से घटकर -15.27 फीसदी, दूध की डब्ल्यूपीआई मई के 5.44 फीसदी से घटकर 4.05 फीसदी और अंडे, मीट, मछली की डब्ल्यूपीआई मई के 1.94 फीसदी से बढ़कर 4.45 फीसदी रही है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। जून में महीने दर महीने आधार पर थोक महंगाई दर ( डब्ल्यूपीआई) बढ़ी है। जून में थोक महंगाई दर मई के -3.21% बढ़कर -1.81% रही है। जून में डब्ल्यूपीआई के -2.4 फीसदी रहने का अनुमान था। जून में खाद्य महंगाई मई के 2.31 फीसदी से बढ़कर 3.05 फीसदी हो गई है। जून में प्राइमरी आर्टिकल डब्ल्यूपीआई मई के -2.92 फीसदी से बढ़कर -1.21 फीसदी रही है।
जून में फ्यूल & पावर डब्ल्यूपीआई मई के -19.83 फीसदी से बढ़कर -13.60 फीसदी, सब्जियों की डब्ल्यूपीआई मई के -12.48 फीसदी से बढ़कर -9.21 फीसदी, आलू की डब्ल्यूपीआई मई के 52.25 फीसदी से बढ़कर 56.20 फीसदी, प्याज की डब्ल्यूपीआई मई के 6.26 फीसदी से घटकर -15.27 फीसदी, दूध की डब्ल्यूपीआई मई के 5.44 फीसदी से घटकर 4.05 फीसदी और अंडे, मीट, मछली की डब्ल्यूपीआई मई के 1.94 फीसदी से बढ़कर 4.45 फीसदी रही है।............... आर एस राणा
फसल बीमा योजना के प्रीमियम पर सब्सिडी समय से जारी करें राज्य - सीतारमण
आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के प्रीमियम की सब्सिडी समय पर जारी करने पर बल दिया ताकि इसके तहत दावों का निपटान समय पर सुनिश्चित हो सके। वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए वित्त मंत्री ने जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत पर बल दिया। इससे किसानों को योजना के बारे में जानकारी मिल सकेगी जो अब सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार सीतारमण ने सुझाव दिया कि जिन राज्यों में सब्सिडी लंबित है, वहां पर इस पर लगातार नजर रखी जाए और जरूरी कदम उठाये जाएं। उन्होंने खासकर उन राज्यों पर ध्यान देने को कहा जिन्होंने योजना को खरीफ मौसम 2020 में क्रियान्वित नहीं किया ताकि किसानों के सभी लंबित बकाये का भुगतान यथाशीघ्र हो जाए। इस मौके पर कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने फसल बीमा योजना की 2016 से शुरूआत और चुनौतियों के बार में जानकारी दी। ............ आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के प्रीमियम की सब्सिडी समय पर जारी करने पर बल दिया ताकि इसके तहत दावों का निपटान समय पर सुनिश्चित हो सके। वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए वित्त मंत्री ने जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत पर बल दिया। इससे किसानों को योजना के बारे में जानकारी मिल सकेगी जो अब सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार सीतारमण ने सुझाव दिया कि जिन राज्यों में सब्सिडी लंबित है, वहां पर इस पर लगातार नजर रखी जाए और जरूरी कदम उठाये जाएं। उन्होंने खासकर उन राज्यों पर ध्यान देने को कहा जिन्होंने योजना को खरीफ मौसम 2020 में क्रियान्वित नहीं किया ताकि किसानों के सभी लंबित बकाये का भुगतान यथाशीघ्र हो जाए। इस मौके पर कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने फसल बीमा योजना की 2016 से शुरूआत और चुनौतियों के बार में जानकारी दी। ............ आर एस राणा
13 जुलाई 2020
राजस्थान में कपास की बुआई 106 फीसदी, मूंगफली और सोयाबीन की 90 और 86 फीसदी
आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून पूर्व की बारिश अच्छी होने से राजस्थान में कपास, मूंगफली और सोयाबीन की बुआई में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कपास की बुआई राज्य में तय लक्ष्य के 106 फीसदी 6.56 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि राज्य के कृषि निदेशालय ने 6.20 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया था। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में मानसून पूर्व की अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन पहली जून से 12 जुलाई के दौरान राज्य में सामान्य से 15 फीसदी कम बारिश हुई है।
मूूंगफली की बुआई भी चालू खरीफ में राज्य में 6.02 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 9.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि चालू खरीफ के लिए इनकी बुआई का लक्ष्य क्रमश: 6.70 और 10.50 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया हुआ है। पिछले साल इनकी बुआई राज्य में इस समय तक क्रमश: 4.87 और 8.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
राज्य में मक्का की बुआई तय लक्ष्य की 73 फीसदी यानि 6.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि बुआई का लक्ष्य 9 लाख हेक्टेयर में तय किया हुआ है। पिछले साल इस समय तक राज्य में मक्का की बुआई 8.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। बाजरा की बुआई चालू सीजन में 18.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि बुआई का लक्ष्य 43 लाख हेक्टेयर है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 16.24 लाख हेक्टेयर में बाजरा की बुआई हो चुकी थी। ज्वार की बुआई 2.82 लाख हेक्टयेर में हुई है।
दालों की बुआई राज्य में 10.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.50 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है। मूूंग की बुआई चालू खरीफ में 8.07 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 1.76 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 32 हजार हेक्टेयर में हुई है। मूंग की बुआई का लक्ष्य 22 लाख हेक्टेयर, उड़द की बुआई का 6 लाख हेक्टेयर तथा मोठ की बुआई का लक्ष्य 10.80 लाख हेक्टेयर तय किया है।
ग्वार सीड की बुआई राज्य में 4.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.08 लाख हेक्टेयर से पिछे चल रही है। ग्वार सीड की बुआई लक्ष्य 30 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। ........... आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून पूर्व की बारिश अच्छी होने से राजस्थान में कपास, मूंगफली और सोयाबीन की बुआई में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कपास की बुआई राज्य में तय लक्ष्य के 106 फीसदी 6.56 हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि राज्य के कृषि निदेशालय ने 6.20 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया था। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में मानसून पूर्व की अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन पहली जून से 12 जुलाई के दौरान राज्य में सामान्य से 15 फीसदी कम बारिश हुई है।
मूूंगफली की बुआई भी चालू खरीफ में राज्य में 6.02 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 9.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि चालू खरीफ के लिए इनकी बुआई का लक्ष्य क्रमश: 6.70 और 10.50 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया हुआ है। पिछले साल इनकी बुआई राज्य में इस समय तक क्रमश: 4.87 और 8.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
राज्य में मक्का की बुआई तय लक्ष्य की 73 फीसदी यानि 6.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि बुआई का लक्ष्य 9 लाख हेक्टेयर में तय किया हुआ है। पिछले साल इस समय तक राज्य में मक्का की बुआई 8.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। बाजरा की बुआई चालू सीजन में 18.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि बुआई का लक्ष्य 43 लाख हेक्टेयर है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 16.24 लाख हेक्टेयर में बाजरा की बुआई हो चुकी थी। ज्वार की बुआई 2.82 लाख हेक्टयेर में हुई है।
दालों की बुआई राज्य में 10.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.50 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है। मूूंग की बुआई चालू खरीफ में 8.07 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 1.76 लाख हेक्टेयर में और मोठ की 32 हजार हेक्टेयर में हुई है। मूंग की बुआई का लक्ष्य 22 लाख हेक्टेयर, उड़द की बुआई का 6 लाख हेक्टेयर तथा मोठ की बुआई का लक्ष्य 10.80 लाख हेक्टेयर तय किया है।
ग्वार सीड की बुआई राज्य में 4.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.08 लाख हेक्टेयर से पिछे चल रही है। ग्वार सीड की बुआई लक्ष्य 30 लाख हेक्टेयर तय किया गया है। ........... आर एस राणा
मलेशिया में पॉम तेल की कीमतों में आया सुधार, घरेलू बाजार में बनी रहेगी मांग
आर एस राणा
नई दिल्ली। दोपहर तक के सत्र में बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल सितंबर वायदा 32 रिंगिट यानि 1.33 फीसदी की तेजी के साथ 2,444 रिंगिट प्रति टन पर कारोबार कर रहा है जो पिछले 3 हफ्ते का ऊपरी स्तर है। हालांकि शुरुआती कारोबार में इसमें करीब 1.2 फीसदी की गिरावट आई थी।
कारोबारियों के मुताबिक भारत में कुछ राज्य में दोबारा लॉकडाउन का खतरा मडरा रहा है, वहीं दूसरे फंडामेंटल भी खास सपोर्टिव नहीं है। महज कुछ बड़ें खरीदारों के आने से बाजार में तेजी आई है। दरअसल शेयर बाजार में आई तेजी से कमोडिटी मार्केट के भी सेंटीमेंट थोड़ा बदला है। मलेशिया पाम तेल बोर्ड के मुताबिक जून के दौरान पाम तेल के भंडार में 6.3 फीसदी की गिरावट आई है, इस दौरान इसका उत्पादन करीब 14.2 फीसदी बढ़ गया है।
चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल वायदा में 0.28 फीसदी की तेजी आई है। वहीं पाम तेल का दाम 0.6 फीसदी बढ़ गया है। जबकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर 0.07 फसीदी की मामूली मजबूती के साथ कारोबार हुआ। घरेलू बाजार में खपत का सीजन चल रहा है, इसलिए खाद्य तेलों में मांग बनी रहने का अनुमान है। ........ आर एस राणा
नई दिल्ली। दोपहर तक के सत्र में बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव पर क्रूड पाम तेल सितंबर वायदा 32 रिंगिट यानि 1.33 फीसदी की तेजी के साथ 2,444 रिंगिट प्रति टन पर कारोबार कर रहा है जो पिछले 3 हफ्ते का ऊपरी स्तर है। हालांकि शुरुआती कारोबार में इसमें करीब 1.2 फीसदी की गिरावट आई थी।
कारोबारियों के मुताबिक भारत में कुछ राज्य में दोबारा लॉकडाउन का खतरा मडरा रहा है, वहीं दूसरे फंडामेंटल भी खास सपोर्टिव नहीं है। महज कुछ बड़ें खरीदारों के आने से बाजार में तेजी आई है। दरअसल शेयर बाजार में आई तेजी से कमोडिटी मार्केट के भी सेंटीमेंट थोड़ा बदला है। मलेशिया पाम तेल बोर्ड के मुताबिक जून के दौरान पाम तेल के भंडार में 6.3 फीसदी की गिरावट आई है, इस दौरान इसका उत्पादन करीब 14.2 फीसदी बढ़ गया है।
चीन के डलियन एक्सचेंज पर सोया तेल वायदा में 0.28 फीसदी की तेजी आई है। वहीं पाम तेल का दाम 0.6 फीसदी बढ़ गया है। जबकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर 0.07 फसीदी की मामूली मजबूती के साथ कारोबार हुआ। घरेलू बाजार में खपत का सीजन चल रहा है, इसलिए खाद्य तेलों में मांग बनी रहने का अनुमान है। ........ आर एस राणा
11 जुलाई 2020
टेक्सटाइल उद्योग के लिए प्रोत्साहन का ऐलान कर सकती है सरकार
आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मार झेल रहे टेक्सटाइल उद्योग को गति देने के लिए केंद्र सरकार प्रोत्साहन दे सकती है। टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड के तहत 30 करोड़ तक की सब्सिडी के साथ विशेष टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाने और दूसरे वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना हैं। साथ ही सभी बंदरहागों पर टेक्सटाइल निर्यात के लिए गोदाम बनाने के साथ सरकारी विभागों में टेक्निकल टेक्सटाइल (पीपीई में प्रयोग होने वाले) के इस्तेमाल को जरूरी किए जाने की भी योजना है।
भारत सरकार ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत के तहत मैन्युफैक्चरिंग एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 12 सेक्टरों का चुनाव किया है। जिसमें टेक्सटाइल उद्योग भी शामिल हैं। इसके तहत केंद्र सरकार अब चीन की तरह भारत में काफी बड़े स्तर पर ही एक ही जगह पर टेक्सटाइल की पूरी चेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार के इस कदम से उत्पाद की लागत कम हो सकेगी जिससे सस्ते निर्यात के लिए बड़े ऑर्डर लिए जा सकेंगे। इसके तहत मेगा टेक्सटाइल पार्क के निर्माण की भी योजना है। यही नहीं वोकल फॉर लोकल और ग्लोबल मार्केट में ब्रांड इंडिया को सफल बनाने के लिए भारत सरकार उच्च स्तरीय तकनीकी और गुणवत्ता वाले उत्पादन पर फोकस करने जा रही है। हालांकि लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुशल कारीगर और उच्च प्रशिक्षित टेक्सटाइल कर्मियों की जरूरत पड़ेगी, इसीलिए इसके लिए टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही खाका तैयार
सूत्रों के अनुसार सरकार टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन देशों के साथ व्यापार करार का भी खाका तैयार कर रही है जहां अभी भारत टेक्सटाइल उत्पाद नहीं बेच पा रहा है। इसके तहत यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार करार (एफटीए) सरकार की प्राथमिकता होगी। माना जा रहा है कि नीतिगत मदद नहीं होने से भारत को यूरोप के कपड़ा बाजार में बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसका असर भारत के कपास और टेक्सटाइल निर्यात पर पड़ रहा है।
उत्पादक मंडियों में कपास के दाम समर्थन मूल्य से नीचे, सितंबर में आयेगी नई फसल
भारत दुनिया में कॉटन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इस समय कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया के पास करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलो) कपास का स्टॉक है, जबकि अगले दो महीने बाद कपास की नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। चालू खरीफ में कपास की बुआई भी 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। कपास के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं तथा आगामी खरीफ के लिए केंद्र सरकार ने कपास के एमएसपी में बढ़ोतरी भी की है। ऐसे में सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर निर्यात बढ़ाना चाहती है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार आ सके। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मार झेल रहे टेक्सटाइल उद्योग को गति देने के लिए केंद्र सरकार प्रोत्साहन दे सकती है। टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड के तहत 30 करोड़ तक की सब्सिडी के साथ विशेष टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाने और दूसरे वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना हैं। साथ ही सभी बंदरहागों पर टेक्सटाइल निर्यात के लिए गोदाम बनाने के साथ सरकारी विभागों में टेक्निकल टेक्सटाइल (पीपीई में प्रयोग होने वाले) के इस्तेमाल को जरूरी किए जाने की भी योजना है।
भारत सरकार ने हाल ही में आत्मनिर्भर भारत के तहत मैन्युफैक्चरिंग एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 12 सेक्टरों का चुनाव किया है। जिसमें टेक्सटाइल उद्योग भी शामिल हैं। इसके तहत केंद्र सरकार अब चीन की तरह भारत में काफी बड़े स्तर पर ही एक ही जगह पर टेक्सटाइल की पूरी चेन बनाने की योजना पर काम कर रही है। सरकार के इस कदम से उत्पाद की लागत कम हो सकेगी जिससे सस्ते निर्यात के लिए बड़े ऑर्डर लिए जा सकेंगे। इसके तहत मेगा टेक्सटाइल पार्क के निर्माण की भी योजना है। यही नहीं वोकल फॉर लोकल और ग्लोबल मार्केट में ब्रांड इंडिया को सफल बनाने के लिए भारत सरकार उच्च स्तरीय तकनीकी और गुणवत्ता वाले उत्पादन पर फोकस करने जा रही है। हालांकि लक्ष्य को हासिल करने के लिए कुशल कारीगर और उच्च प्रशिक्षित टेक्सटाइल कर्मियों की जरूरत पड़ेगी, इसीलिए इसके लिए टेक्सटाइल विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही खाका तैयार
सूत्रों के अनुसार सरकार टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन देशों के साथ व्यापार करार का भी खाका तैयार कर रही है जहां अभी भारत टेक्सटाइल उत्पाद नहीं बेच पा रहा है। इसके तहत यूरोपीय यूनियन के साथ मुक्त व्यापार करार (एफटीए) सरकार की प्राथमिकता होगी। माना जा रहा है कि नीतिगत मदद नहीं होने से भारत को यूरोप के कपड़ा बाजार में बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसका असर भारत के कपास और टेक्सटाइल निर्यात पर पड़ रहा है।
उत्पादक मंडियों में कपास के दाम समर्थन मूल्य से नीचे, सितंबर में आयेगी नई फसल
भारत दुनिया में कॉटन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इस समय कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया के पास करीब 100 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलो) कपास का स्टॉक है, जबकि अगले दो महीने बाद कपास की नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। चालू खरीफ में कपास की बुआई भी 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। कपास के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं तथा आगामी खरीफ के लिए केंद्र सरकार ने कपास के एमएसपी में बढ़ोतरी भी की है। ऐसे में सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर निर्यात बढ़ाना चाहती है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार आ सके। ............. आर एस राणा
गुजरात के साथ ही राजस्थान में मूंगफली की बुआई ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात के साथ ही राजस्थान में चालू खरीफ में मूंगफली की बुआई में भारी बढ़ोतरी हुई है। गुजरात में इसकी बुआई जहां सामान्य के मुकाबले 118 फीसदी से ज्यादा क्षेत्रफल में हो चुकी है वहीं राजस्थान में तय लक्ष्य के 90 फीसदी क्षेत्रफल में बुआई का कार्य पूरा हो चुका है।
गुजरात कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में मूंगफली की बुआई बढ़कर 18.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.85 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। चालू खरीफ में राज्य के कृषि निदेशालय ने 15.40 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य तय किया था।
राजस्थान कृषि मंत्रालय के अनुसार राज्य में मूंगफली की बुआई बढ़कर 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 4.84 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में राज्य में मूंगफली की बुआई का लक्ष्य 6.70 लाख हेक्टेयर का तय किया है।
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2019—20 के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 6.64 लाख टन का हुआ था जबकि इसके पिछले साल केवल 4.89 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2019—20 में मूंगफली का निर्यात 5,096 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि इसके वित्त वर्ष में केवल 3,297 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था।
व्यापारियों के अनुसार सौराष्ट्र में मूंगफली का भाव शनिवार को क्रेसिंग क्वालिटी का 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि मूंगफली रिफाइंड तेल का भाव 1,270 रुपये प्रति 10 किलो रहा। मूंगफली खल का भाव 3,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जानकारों के अनुसार कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण इस समय मूंगफली के साथ ही तेल और खल में मांग कमजोर है। ............. आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात के साथ ही राजस्थान में चालू खरीफ में मूंगफली की बुआई में भारी बढ़ोतरी हुई है। गुजरात में इसकी बुआई जहां सामान्य के मुकाबले 118 फीसदी से ज्यादा क्षेत्रफल में हो चुकी है वहीं राजस्थान में तय लक्ष्य के 90 फीसदी क्षेत्रफल में बुआई का कार्य पूरा हो चुका है।
गुजरात कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में मूंगफली की बुआई बढ़कर 18.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.85 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। चालू खरीफ में राज्य के कृषि निदेशालय ने 15.40 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य तय किया था।
राजस्थान कृषि मंत्रालय के अनुसार राज्य में मूंगफली की बुआई बढ़कर 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 4.84 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में राज्य में मूंगफली की बुआई का लक्ष्य 6.70 लाख हेक्टेयर का तय किया है।
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2019—20 के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 6.64 लाख टन का हुआ था जबकि इसके पिछले साल केवल 4.89 लाख टन का ही निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2019—20 में मूंगफली का निर्यात 5,096 करोड़ रुपये का हुआ, जबकि इसके वित्त वर्ष में केवल 3,297 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था।
व्यापारियों के अनुसार सौराष्ट्र में मूंगफली का भाव शनिवार को क्रेसिंग क्वालिटी का 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि मूंगफली रिफाइंड तेल का भाव 1,270 रुपये प्रति 10 किलो रहा। मूंगफली खल का भाव 3,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जानकारों के अनुसार कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण इस समय मूंगफली के साथ ही तेल और खल में मांग कमजोर है। ............. आर एस राणा
एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाज और मसालों की खबरों के लिए सपंर्क करे
एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेश में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में दी जायेगी।
---------------------खरीफ फसलों की बुआई कैसी रहेगी, किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा। बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी कें लिए हमसे जुड़े। खबरें केवल ई-मेल के माध्यम से।
अधिक जानकारी के लिए फोन नं. 07678684719, 09811470207 पर संपर्क करे या मेल करें।
आर एस राणा
rsrana2001@gmail.com, rsrana2017@yahoo.co.in
07678684719, 9811470207
---------------------खरीफ फसलों की बुआई कैसी रहेगी, किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा। बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी कें लिए हमसे जुड़े। खबरें केवल ई-मेल के माध्यम से।
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आर एस राणा
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यूएसडीए का अनुमान भारत में कपास का बंपर बकाया स्टॉक, भारतीय उद्योग ने जताई आपत्ति
आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा भारत में कपास के बकाया स्टॉक का जो अनुमान जारी किया गया है उस पर कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सवाल उठाया है। भारतीय कॉटन उद्योग के अनुसार, यूएसडीए ने कपास के कैरीओवर स्टॉक का जो अनुमान लगाया है वह काफी ज्यादा है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय कपास की कीमतों पर असर पड़ा है।
कॉटन एसोसिएशन ने बताया कि यूएसडीए द्वारा 31 जुलाई, 2020 को जारी की गई रिपोर्ट में भारत में कैरीओवर स्टॉक 190 लाख गांठ (अमेरिकी गांठ) बताया गया है, जोकि भारतीय गांठ के हिसाब से 240 किलो गांठ (एक गांठ—170 किलो) बैठता है। उद्योग संगठन के अनुसार अगस्त और सितंबर के दो महीनों की घरेलू मिलों की खपत को इस स्टॉक से निकाल दें तो सीजन के आखिर में 30 सितंबर 2020 को बकाया स्टॉक 200 लाख गांठ बचेगा। जबकि ऐसा है नहीं? क्योंकि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का अनुमान है कि सीजन के आखिर में 50 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक देश में बचेगा, जबकि कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुमान के अनुसार 30 सितंबर, 2020 को देश में कपास का बकाया स्टॉक 48.41 लाख गांठ बचने का अनुमान है।
यूएसडीए को बकाया स्टॉक के आंकड़ों में सुधार करने के लिए उद्योग ने लिखा पत्र
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने यूएसडीए को इसमें सुधार करने के लिए गुरुवार को एक पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि यूएसडीए का अनुमान बहुत अधिक है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक धारणा बन रही है कि भारत में कपास का काफी बड़ा भंडार है और इस कारण से खरीदार गुमराह हो रहे हैं जिससे भारतीय कपास के दाम पर असर पड़ा है और इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर जहां भारतीय कपास प्रीमियम पर चल रहा था वहां अब इसमें भारी डिस्काउंट पर कारोबार हो रहा है।
विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
कॉटन एसोसिएशन के अनुसार, बीते साल जहां भारतीय कपास का दाम 45,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) था और आयातित कपास का भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी था, वहीं इस साल भारतीय कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहा है, जबकि आयातित कपास 42,000 रुपये प्रति कैंडी, जिससे भारतीय कपास का भाव 7,000 रुपये प्रति कैंडी के डिस्काउंट पर आ गया है। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।............... आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा भारत में कपास के बकाया स्टॉक का जो अनुमान जारी किया गया है उस पर कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सवाल उठाया है। भारतीय कॉटन उद्योग के अनुसार, यूएसडीए ने कपास के कैरीओवर स्टॉक का जो अनुमान लगाया है वह काफी ज्यादा है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय कपास की कीमतों पर असर पड़ा है।
कॉटन एसोसिएशन ने बताया कि यूएसडीए द्वारा 31 जुलाई, 2020 को जारी की गई रिपोर्ट में भारत में कैरीओवर स्टॉक 190 लाख गांठ (अमेरिकी गांठ) बताया गया है, जोकि भारतीय गांठ के हिसाब से 240 किलो गांठ (एक गांठ—170 किलो) बैठता है। उद्योग संगठन के अनुसार अगस्त और सितंबर के दो महीनों की घरेलू मिलों की खपत को इस स्टॉक से निकाल दें तो सीजन के आखिर में 30 सितंबर 2020 को बकाया स्टॉक 200 लाख गांठ बचेगा। जबकि ऐसा है नहीं? क्योंकि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) का अनुमान है कि सीजन के आखिर में 50 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक देश में बचेगा, जबकि कॉटन एडवायजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुमान के अनुसार 30 सितंबर, 2020 को देश में कपास का बकाया स्टॉक 48.41 लाख गांठ बचने का अनुमान है।
यूएसडीए को बकाया स्टॉक के आंकड़ों में सुधार करने के लिए उद्योग ने लिखा पत्र
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने यूएसडीए को इसमें सुधार करने के लिए गुरुवार को एक पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि यूएसडीए का अनुमान बहुत अधिक है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक धारणा बन रही है कि भारत में कपास का काफी बड़ा भंडार है और इस कारण से खरीदार गुमराह हो रहे हैं जिससे भारतीय कपास के दाम पर असर पड़ा है और इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर जहां भारतीय कपास प्रीमियम पर चल रहा था वहां अब इसमें भारी डिस्काउंट पर कारोबार हो रहा है।
विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती
कॉटन एसोसिएशन के अनुसार, बीते साल जहां भारतीय कपास का दाम 45,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) था और आयातित कपास का भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी था, वहीं इस साल भारतीय कपास का भाव 34,000 से 35,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहा है, जबकि आयातित कपास 42,000 रुपये प्रति कैंडी, जिससे भारतीय कपास का भाव 7,000 रुपये प्रति कैंडी के डिस्काउंट पर आ गया है। विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है।............... आर एस राणा
10 जुलाई 2020
कृषि में नए निवेश से छोटी जोत के किसानों को होगा फायदा - तोमर
आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की शुक्रवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में नए निवेश से छोटी जोत वाले किसानों को ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने कहा कि देश में अधिकांश किसानों के पास छोटी जोत की जमीन है और एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड से इस क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित होंगे जिसका किसानों को लाभ मिलेगा। .............. आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की शुक्रवार को कहा कि कृषि क्षेत्र में नए निवेश से छोटी जोत वाले किसानों को ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने कहा कि देश में अधिकांश किसानों के पास छोटी जोत की जमीन है और एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड से इस क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित होंगे जिसका किसानों को लाभ मिलेगा। .............. आर एस राणा
जून अंत तक सोया डीओसी का निर्यात 70 फीसदी से ज्यादा घटा, सोयाबीन का बकाया स्टॉक ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। पिछले साल सोयाबीन का उत्पादन भले ही कम हुआ हो, लेकिन कोरोना वायरस के कारण पेराई में कमी के साथ ही सोया डीओसी में निर्यात मांग कम होने के कारण उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक ज्यादा भी ज्यादा बचा हुआ है। चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई ज्यादा हुई है, इसलिए घरेलू मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में जून अंत तक 5.73 लाख टन सोया डीओसी का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के मुकाबले 70 फीसदी से ज्यादा घटा है। पिछले फसल सीजन में इस दौरान 19.57 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ था।
जून अंत तक उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक 27.81 लाख टन
सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में 93.06 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 109.33 लाख टन से कम था। पिछले साल नई फसल की आवक के बकाया बचे 1.70 लाख टन और तीन लाख टन आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता सोयाबीन की 97.76 लाख टन की बैठी थी जोकि पिछले साल के 112.63 लाख टन से कम है। पहली अक्टूबर 2019 से चालू फसल सीजन में सोयाबीन की आवक मंडियों में जून अंत तक 67.45 लाख टन की हुई है जबकि क्रेसिंग 55.70 लाख टन ही हुई है। पिछले साल जून अंत तक सोयाबीन की आवक 89.25 लाख टन की और क्रेसिंग 75 लाख टन की हुई थी। उद्योग के अनुसार जून अंत तक उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक 27.81 लाख टन का है जोकि पिछले साल जून 2019 के 20.74 लाख टन से ज्यादा है।
सोयाबीन की बुआई बढ़कर 101.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 101.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 51.66 लाख हेकटेयर से 96.40 फीसदी ज्यादा है। उत्पादक मंडियों में सोयाबीन के भाव 3,650 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि सोया डीओसी के भाव प्लांट में 31,000 से 32,000 रुपये प्रति टन है। सोयाबीन बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि नई फसल की बुआई बढ़ रही है इसलिए अभी सोयाबीन की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। ............... आर एस राणा
नई दिल्ली। पिछले साल सोयाबीन का उत्पादन भले ही कम हुआ हो, लेकिन कोरोना वायरस के कारण पेराई में कमी के साथ ही सोया डीओसी में निर्यात मांग कम होने के कारण उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक ज्यादा भी ज्यादा बचा हुआ है। चालू खरीफ में सोयाबीन की बुआई ज्यादा हुई है, इसलिए घरेलू मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में जून अंत तक 5.73 लाख टन सोया डीओसी का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के मुकाबले 70 फीसदी से ज्यादा घटा है। पिछले फसल सीजन में इस दौरान 19.57 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ था।
जून अंत तक उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक 27.81 लाख टन
सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में 93.06 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 109.33 लाख टन से कम था। पिछले साल नई फसल की आवक के बकाया बचे 1.70 लाख टन और तीन लाख टन आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता सोयाबीन की 97.76 लाख टन की बैठी थी जोकि पिछले साल के 112.63 लाख टन से कम है। पहली अक्टूबर 2019 से चालू फसल सीजन में सोयाबीन की आवक मंडियों में जून अंत तक 67.45 लाख टन की हुई है जबकि क्रेसिंग 55.70 लाख टन ही हुई है। पिछले साल जून अंत तक सोयाबीन की आवक 89.25 लाख टन की और क्रेसिंग 75 लाख टन की हुई थी। उद्योग के अनुसार जून अंत तक उत्पादक राज्यों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक 27.81 लाख टन का है जोकि पिछले साल जून 2019 के 20.74 लाख टन से ज्यादा है।
सोयाबीन की बुआई बढ़कर 101.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुआई बढ़कर 101.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 51.66 लाख हेकटेयर से 96.40 फीसदी ज्यादा है। उत्पादक मंडियों में सोयाबीन के भाव 3,650 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि सोया डीओसी के भाव प्लांट में 31,000 से 32,000 रुपये प्रति टन है। सोयाबीन बकाया स्टॉक ज्यादा है, जबकि नई फसल की बुआई बढ़ रही है इसलिए अभी सोयाबीन की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। ............... आर एस राणा
खरीफ फसलों की बुआई का आकड़ा 580 लाख हेक्टेयर के पार, धान एवं दलहन-तिलहन की बुआई ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में दस जुलाई तक फसलों की बुआई बढ़कर 580 लाख हेक्टेयर को पार कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुफ फसल धान की रोपाई से लेकर दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है।
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 162 फीसदी बढ़कर 64.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 199 फीसदी बढ़कर 26.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 19.79 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 15.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
धान, मोटे अनाज और तिलहन की बुआई ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 26.16 फीसदी बढ़कर 120.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 95.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 29.57 फीसदी बढ़कर 93.24 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 71.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 85.16 फीसदी बढ़कर 139.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 75.27 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
कपास की बुआई में 34.89 फीसदी की बढ़ोतरी
गन्ने की बुआई चालू सीजन में 50.89 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 50.59 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। ........... आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में दस जुलाई तक फसलों की बुआई बढ़कर 580 लाख हेक्टेयर को पार कर चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुफ फसल धान की रोपाई से लेकर दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुआई आगे चल रही है।
दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में 162 फीसदी बढ़कर 64.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 199 फीसदी बढ़कर 26.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। इसी तरह से उड़द की बुआई बढ़कर 19.79 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 15.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
धान, मोटे अनाज और तिलहन की बुआई ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 26.16 फीसदी बढ़कर 120.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 95.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में 29.57 फीसदी बढ़कर 93.24 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 71.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 85.16 फीसदी बढ़कर 139.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 75.27 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
कपास की बुआई में 34.89 फीसदी की बढ़ोतरी
गन्ने की बुआई चालू सीजन में 50.89 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 50.59 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। कपास की बुआई चालू खरीफ में 34.89 फीसदी बढ़कर 104.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 77.71 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। ........... आर एस राणा
जनवरी तक वन नेशन वन राशन कार्ड से जुड़ जाएंगे सभी राज्य - पासवान
आर एस राणा
नई दिल्ली। वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से जनवरी तक देश के सभी राज्य जुड़ जाएंगे, जिससे राशन कार्ड धारक किसी भी राज्य से अपने हिससे का अनाज ले सकेगा। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन वन राशन कार्ड पूरे देश में लागू होने की निर्धारित समय-सीमा 31 मार्च है।
पासवान ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि 20 राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिलने लगा है और बाकी राज्यों को भी जल्द इसमें शामिल करने की दिशा में प्रयास चल रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कनेक्टिविटी की समस्या है जिसको दूर करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्रालय को लिखा गया है और इस समस्या के दूर होने के बाद बाकी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश भी जनवरी तक इस योजना से जुड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस योजना के लागू होने पर खासतौर से प्रवासी मजदूरों को लाभ मिलेगा क्योंकि वे अपने राशन कार्ड पर देश में कहीं भी अपने हिस्से का राशन ले पाएंगे। उन्होंने बताया कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली समेत जो राज्य इस योजना से अब तक नहीं जुड़ पाएं हैं वहां कार्य प्रगति पर है। ......... आर एस राणा
नई दिल्ली। वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से जनवरी तक देश के सभी राज्य जुड़ जाएंगे, जिससे राशन कार्ड धारक किसी भी राज्य से अपने हिससे का अनाज ले सकेगा। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि वन नेशन वन राशन कार्ड पूरे देश में लागू होने की निर्धारित समय-सीमा 31 मार्च है।
पासवान ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि 20 राज्यों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिलने लगा है और बाकी राज्यों को भी जल्द इसमें शामिल करने की दिशा में प्रयास चल रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में कनेक्टिविटी की समस्या है जिसको दूर करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्रालय को लिखा गया है और इस समस्या के दूर होने के बाद बाकी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश भी जनवरी तक इस योजना से जुड़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस योजना के लागू होने पर खासतौर से प्रवासी मजदूरों को लाभ मिलेगा क्योंकि वे अपने राशन कार्ड पर देश में कहीं भी अपने हिस्से का राशन ले पाएंगे। उन्होंने बताया कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली समेत जो राज्य इस योजना से अब तक नहीं जुड़ पाएं हैं वहां कार्य प्रगति पर है। ......... आर एस राणा
गेहूं की रिकार्ड 389.45 लाख टन की खरीद, उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 9 फीसदी
आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं की सरकारी खरीद चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में रिकार्ड 389.45 लाख टन की हुई है, जिसमें सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 9.19 फीसदी ही है। सरकार खरीद में कमी आने के कारण ही अभी भी उत्पादक मंडियों में गेहूं 1,750 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है जबकि केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
उत्तर प्रदेश में चालू रबी में 363 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है जबकि खरीद हो पाई है, मात्र 35.76 लाख टन की, जबकि खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी सीजन में भी राज्य से 55 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन खरीद हुई थी केवल 37 लाख टन की। उत्तर प्रदेश से दक्षिण भारत को बड़ी मात्रा में गेहूं जाता है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाव सस्ता होने के कारण दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर प्रदेश से कम खरीद कर रही है, जिस कारण उत्तर प्रदेश में बकाया स्टॉक ज्यादा है। इसीलिए गेहूं की कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है। दिल्ली में गेहूं के भाव शुक्रवार को 1,970 से 1,980 रुपये प्रति क्विंटल रहे, तथा सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया है।
गेहूं उत्पादों में मांग सामान्य से करीब 35 से 40 फीसदी कम, तेजी की उम्मीद नहीं
बंगलुरु के एक फ्लोर मिलर्स के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश का गेहूं बंगलुरु पहुंच 2,110 से 2,130 रुपये प्रति क्विंटल है तथा गेहूं उत्पादों में मांग कमजोर है इसलिए मिलर्स भी सीमित मात्रा में ही खरीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से कोरोना वायरस के केस देश में लगातार बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए गेहूं उत्पादों में अभी मांग सामान्य से करीब 35 से 40 फीसदी कम ही रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में स्टॉक ज्यादा है। इसलिए गेहूं की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी केंद्रीय पूल में पहली जून को 558.25 लाख टन गेहूं का बंपर स्टॉक था, साथ ही केंद्र सरकार गरीबों को नवंबर तक पांच किलो गेहूं-चावल भी फ्री में देगी।
मध्य प्रदेश और राजस्थान से खरीद तय लक्ष्य से भी ज्यादा हुई
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में 389.45 लाख टन गेहूं की रिकार्ड खरीद हो चुकी है तथा खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में मध्य प्रदेश से 129.35 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 21.62 लाख टन गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन और हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। इन राज्यों से गेहूं की खरीद का लक्ष्य क्रमश: 135 एवं 95 लाख टन का तय था।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
अन्य राज्यों में गुजरात से 57 हजार टन, उत्तराखंड से 38 हजार टन, चंडीगढ़ से 11 हजार टन तथा बिहार से पांच हजार और हिमाचल प्रदेश से तीन हजार टन गेहूं की खरीद हुई है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। ............ आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं की सरकारी खरीद चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में रिकार्ड 389.45 लाख टन की हुई है, जिसमें सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 9.19 फीसदी ही है। सरकार खरीद में कमी आने के कारण ही अभी भी उत्पादक मंडियों में गेहूं 1,750 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है जबकि केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
उत्तर प्रदेश में चालू रबी में 363 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है जबकि खरीद हो पाई है, मात्र 35.76 लाख टन की, जबकि खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी सीजन में भी राज्य से 55 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन खरीद हुई थी केवल 37 लाख टन की। उत्तर प्रदेश से दक्षिण भारत को बड़ी मात्रा में गेहूं जाता है, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाव सस्ता होने के कारण दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर प्रदेश से कम खरीद कर रही है, जिस कारण उत्तर प्रदेश में बकाया स्टॉक ज्यादा है। इसीलिए गेहूं की कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है। दिल्ली में गेहूं के भाव शुक्रवार को 1,970 से 1,980 रुपये प्रति क्विंटल रहे, तथा सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया है।
गेहूं उत्पादों में मांग सामान्य से करीब 35 से 40 फीसदी कम, तेजी की उम्मीद नहीं
बंगलुरु के एक फ्लोर मिलर्स के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश का गेहूं बंगलुरु पहुंच 2,110 से 2,130 रुपये प्रति क्विंटल है तथा गेहूं उत्पादों में मांग कमजोर है इसलिए मिलर्स भी सीमित मात्रा में ही खरीद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से कोरोना वायरस के केस देश में लगातार बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए गेहूं उत्पादों में अभी मांग सामान्य से करीब 35 से 40 फीसदी कम ही रहेगी, जबकि उत्पादक राज्यों में स्टॉक ज्यादा है। इसलिए गेहूं की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। वैसे भी केंद्रीय पूल में पहली जून को 558.25 लाख टन गेहूं का बंपर स्टॉक था, साथ ही केंद्र सरकार गरीबों को नवंबर तक पांच किलो गेहूं-चावल भी फ्री में देगी।
मध्य प्रदेश और राजस्थान से खरीद तय लक्ष्य से भी ज्यादा हुई
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में 389.45 लाख टन गेहूं की रिकार्ड खरीद हो चुकी है तथा खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में मध्य प्रदेश से 129.35 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 21.62 लाख टन गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन और हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। इन राज्यों से गेहूं की खरीद का लक्ष्य क्रमश: 135 एवं 95 लाख टन का तय था।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
अन्य राज्यों में गुजरात से 57 हजार टन, उत्तराखंड से 38 हजार टन, चंडीगढ़ से 11 हजार टन तथा बिहार से पांच हजार और हिमाचल प्रदेश से तीन हजार टन गेहूं की खरीद हुई है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। ............ आर एस राणा
09 जुलाई 2020
मुजफ्फरनगर मंडी के व्यापारी 4 दिन की हड़ताल पर, गुड़ में मांग बनी रहने का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर के साथ ही उत्तर प्रदेश के व्यापारी केंद्र सरकार द्वारा कृषि में लाए गए अधिनियम के विरोध में चार दिनों, 12 जुलाई तक हड़ताल पर चले गए हैं। चालू सीजन में उत्तर प्रदेश में गुड़ का स्टॉक कम माना जा रहा है जबकि महाराष्ट्र में प्रवासी कामगारों के अपने घर चले जाने से उत्पादन कम हो रहा है। मध्य जुलाई से गुड़ की मांग बढ़ेगी, इसलिए गुड़ की कीमतों में आगे और सुधार आने का अनुमान है।
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि केंद्र सरकार के नए अध्यादेश से किसान मंडी के बाहर अपना उत्पाद बेच सकेंगे। उन्होंने बताया कि मंडी में 2.50 फीसदी मंडी टैक्स लगता है जबकि बाहर यह शून्य हो जो जायेगा। इसलिए कोई भी किसान मंडी के अंदर उत्पाद नहीं बेचेगा, इसका असर व्यापार पर पड़ेगा। इसी के विरोधस्वरूप ही पूरे राज्य की मंडियों में व्यापारियों ने चार दिनों की हड़ताल का आह्वान किया है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ का स्टॉक पिछले साल के 13 लाख कट्टों (एक कट्टा—40 किलो) के बजाए 11.50 लाख टन का ही हुआ है जबकि पूरे राज्य में केवल 30 लाख कट्टो का ही स्टॉक है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में जुलाई में गुड़ का उत्पादन शुरू हो जाता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए, जिस कारण महाराष्ट्र में उत्पादन शुरू तो हुआ लेकिन सीमित मात्रा में। इसीलिए गुड़ में मांग लगातार बनी हुई है। उन्होंने बताया कि आगे त्यौहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण जुलाई मध्य के बाद गुड़ में मांग और बढ़ेगी, जिससे इसकी कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है। मुजफ्फरनगर मंडी गुड़ चाकू के भाव 3,350 से 3,500 रुपये और गुड़ लड्डू के भाव 3,650 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। ............ आर एस राणा
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी गुड़ मंडी मुजफ्फरनगर के साथ ही उत्तर प्रदेश के व्यापारी केंद्र सरकार द्वारा कृषि में लाए गए अधिनियम के विरोध में चार दिनों, 12 जुलाई तक हड़ताल पर चले गए हैं। चालू सीजन में उत्तर प्रदेश में गुड़ का स्टॉक कम माना जा रहा है जबकि महाराष्ट्र में प्रवासी कामगारों के अपने घर चले जाने से उत्पादन कम हो रहा है। मध्य जुलाई से गुड़ की मांग बढ़ेगी, इसलिए गुड़ की कीमतों में आगे और सुधार आने का अनुमान है।
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बताया कि केंद्र सरकार के नए अध्यादेश से किसान मंडी के बाहर अपना उत्पाद बेच सकेंगे। उन्होंने बताया कि मंडी में 2.50 फीसदी मंडी टैक्स लगता है जबकि बाहर यह शून्य हो जो जायेगा। इसलिए कोई भी किसान मंडी के अंदर उत्पाद नहीं बेचेगा, इसका असर व्यापार पर पड़ेगा। इसी के विरोधस्वरूप ही पूरे राज्य की मंडियों में व्यापारियों ने चार दिनों की हड़ताल का आह्वान किया है।
उन्होंने बताया कि चालू सीजन में मुजफ्फरनगर मंडी में गुड़ का स्टॉक पिछले साल के 13 लाख कट्टों (एक कट्टा—40 किलो) के बजाए 11.50 लाख टन का ही हुआ है जबकि पूरे राज्य में केवल 30 लाख कट्टो का ही स्टॉक है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में जुलाई में गुड़ का उत्पादन शुरू हो जाता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए, जिस कारण महाराष्ट्र में उत्पादन शुरू तो हुआ लेकिन सीमित मात्रा में। इसीलिए गुड़ में मांग लगातार बनी हुई है। उन्होंने बताया कि आगे त्यौहारी सीजन शुरू होगा, जिस कारण जुलाई मध्य के बाद गुड़ में मांग और बढ़ेगी, जिससे इसकी कीमतों में हल्का सुधार और भी बन सकता है। मुजफ्फरनगर मंडी गुड़ चाकू के भाव 3,350 से 3,500 रुपये और गुड़ लड्डू के भाव 3,650 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। ............ आर एस राणा
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