आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेष, राजस्थान और मध्य प्रदेष में पिछले 24 घंटे में हुई बारिष और तेज हवां चलने से रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की फसल को नुकसान होने की आषंका है। इससे इन फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में तो कमी आयेगी ही, साथ ही कटाई के लिए तैयार फसलों की क्वालिटी भी प्रभावित होगी। प्रतिकूल मौसम से गेहूं की रिकार्ड पैदावार अनुमान की उम्मीद को भी झटका लगा है।
गेहूं अनुसंधान निदेषालय (डीडब्ल्यूआर) की प्रोजेक्ट डायरेक्टर इंदू षर्मा ने मार्किट टाईम्स को बताया कि गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेष, राजस्थान और मध्य प्रदेष में बारिष के साथ ही तेज हवा चलने से फसल गिर गई है। जिन खेतों में पानी खड़ा हुआ है और फसल गिर गई है उन खेतों में ज्यादा नुकसान होगा। नुकसान कम हो इसके लिए किसानों को खेतों का पानी निकाल देना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरसों की फसल को भी इस बारिष से नुकसान होगा, क्योंकि सरसों की फसल कटाई के तैयार हो चुकी है।
भारतीय कृशि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के डॉ. जे पी डबास ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में बारिष होने के साथ-साथ तेज भी चल रही थी जिससे गेहूं की फसल गिर गई है, इसके अलावा सरसों और चना और जौ की फसल को भी नुकसान होने की आषंका है। उन्होंने बताया कि इससे रबी फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में तो कमी आयेगी ही, साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित होगी। उन्होंने इस बारिष से फसलों को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है।
चालू रबी में गेहूं के साथ ही चना और सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है, साथ ही मौसम की मार भी फसलों पर पड़ी है। केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक तय मानकों बफर से ज्यादा है जबकि खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होने से घरेलू मार्किट में स्टॉक ज्यादा है। ऐसे में इन फसलों की कीमतें तो ज्यादा प्रभावित नहीं होंगी, लेकिन दलहन की कीमतों में तेजी बनने की संभावना है।
कृशि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई 306.5 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 315.32 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। चने की बुवाई पिछले साल के 99.3 लाख हैक्टेयर से घटकर 83.9 लाख हैक्टेयर में और सरसों की बुवाई पिछले साल के 71.1 लाख हैक्टेयर से घटकर 65.2 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। .....आर एस राणा
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