काजू उत्पादकों के चेहरे इन दिनों खिले हुए हैं। इसकी वजह यह है कि काजू की
कीमत गोवा और केरल के चुनिंदा बाजारों में 102 रुपये प्रति किग्रा तक
पहुंच चुकी है। कारोबारियों के मुताबिक भारत में काजू कारोबार के इतिहास
में यह सीजन शुरुआत की सर्वोच्च कीमतें हैं।
पिछले साल की समान अवधि में कच्चे काजू की कीमतें 95 रुपये प्रति किग्रा के करीब थीं और फिर गिरावट के बाद काजू की कीमतें 83 रुपये प्रति किग्रा पर आ गई थीं। इस साल कीमतों में आई इस तेजी की वजह आपूर्ति में कमी है। केरल में कीमतें 94-97 रुपये प्रति किग्रा के बीच हैं। भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद के उपाध्यक्ष और मंगलूर के निर्यातक जी गिरिधर प्रभु ने कहा, 'सामान्यतौर पर सीजन के शुरुआत में कीमतें उच्च स्तरों पर होगी और समय के साथ गिरावट आती है। हालांकि इस साल कीमतों में भारी गिरावट आने की संभावना कम ही है क्योंकि तंजानिया और पश्चिमी अफ्रीका के बाजारों में भी आपूर्ति की कमी है।'
तंजानिया से आने वाले काजू की कीमत इस साल 92 रुपये प्रति किग्रा रहीं। इस साल तंजानिया में पैदावार में गिरावट आई है जिसकी वजह से भारतीय आयातकों के लिए अधिक कीमतें चुकानी होती हैं। प्रभु के मुताबिक कीमतें प्रति किग्रा 10 रुपये तक कम होने की उम्मीद है। प्रसंस्करण इकाइयों की जरूरत के लिए भारत करीब 7,50,000 टन काजू का आयात करता है। देसी उत्पादन 4,00,000 से 5,50,000 टन के करीब रहता है। भारत हर साल करीब 1,20,000 टन काजू का निर्यात करता है।
प्रभु के मुताबिक पिछले साल नवंबर तक हुई बारिश की वजह से फसल की बुआई में देरी हुई। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से काजू के बागान में फूल निकलने और फल आने में भी देरी हुई और परिणामस्वरूप कई इलाकों में बुआई की शुरुआत होना बाकी है। एक महीने देर के साथ कर्नाटक, महाराष्टï्र और गोवा के कुछ हिस्सों में बुआई अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि पिछले हफ्ते हुई बेमौसम बारिश से कई उत्पादक क्षेत्र में फसल को फायदा होगा।
प्रभु ने कहा, 'वर्ष 2014 की फसल बरबाद होने की वजह से प्रसंस्करण इकाइयों के लिए कच्चे माल की कमी एक बड़ी समस्या है। पिछले चार सालों के दौरान बाकी बचा स्टॉक का प्रसंस्करण नहीं किया गया। इस साल हालांकि प्रसंस्करण इकाइयों के विस्तार और फसल की कमी के कारण उद्याग को मुसीबत का सामना करना पड़़ा।' उन्होंने कहा काजू की कीमतें पिछले सात-आठ सालों में दोगुनी हो गई है। वर्ष 2007-08 में काजू की कीमतें 45-50 रुपये प्रति किग्रा थी। प्रभु याद करते हुए बताते हैं, 'दरअसल पिछले 42 सालों में काजू की कीमतें 100 गुना तक बढ़ी हैं। 1972 में कच्चे काजू की कीमत 102 रुपये प्रति क्विंटल हुआ करती थीं।' कच्चे काजू की कीमत में आई तेजी के कारण प्रसंस्कृत काजू की कीमत खुदरा बाजार में फिलहाल 800-1,000 रुपये प्रति किग्रा तक हैं। (BS Hindi)
पिछले साल की समान अवधि में कच्चे काजू की कीमतें 95 रुपये प्रति किग्रा के करीब थीं और फिर गिरावट के बाद काजू की कीमतें 83 रुपये प्रति किग्रा पर आ गई थीं। इस साल कीमतों में आई इस तेजी की वजह आपूर्ति में कमी है। केरल में कीमतें 94-97 रुपये प्रति किग्रा के बीच हैं। भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद के उपाध्यक्ष और मंगलूर के निर्यातक जी गिरिधर प्रभु ने कहा, 'सामान्यतौर पर सीजन के शुरुआत में कीमतें उच्च स्तरों पर होगी और समय के साथ गिरावट आती है। हालांकि इस साल कीमतों में भारी गिरावट आने की संभावना कम ही है क्योंकि तंजानिया और पश्चिमी अफ्रीका के बाजारों में भी आपूर्ति की कमी है।'
तंजानिया से आने वाले काजू की कीमत इस साल 92 रुपये प्रति किग्रा रहीं। इस साल तंजानिया में पैदावार में गिरावट आई है जिसकी वजह से भारतीय आयातकों के लिए अधिक कीमतें चुकानी होती हैं। प्रभु के मुताबिक कीमतें प्रति किग्रा 10 रुपये तक कम होने की उम्मीद है। प्रसंस्करण इकाइयों की जरूरत के लिए भारत करीब 7,50,000 टन काजू का आयात करता है। देसी उत्पादन 4,00,000 से 5,50,000 टन के करीब रहता है। भारत हर साल करीब 1,20,000 टन काजू का निर्यात करता है।
प्रभु के मुताबिक पिछले साल नवंबर तक हुई बारिश की वजह से फसल की बुआई में देरी हुई। उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से काजू के बागान में फूल निकलने और फल आने में भी देरी हुई और परिणामस्वरूप कई इलाकों में बुआई की शुरुआत होना बाकी है। एक महीने देर के साथ कर्नाटक, महाराष्टï्र और गोवा के कुछ हिस्सों में बुआई अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि पिछले हफ्ते हुई बेमौसम बारिश से कई उत्पादक क्षेत्र में फसल को फायदा होगा।
प्रभु ने कहा, 'वर्ष 2014 की फसल बरबाद होने की वजह से प्रसंस्करण इकाइयों के लिए कच्चे माल की कमी एक बड़ी समस्या है। पिछले चार सालों के दौरान बाकी बचा स्टॉक का प्रसंस्करण नहीं किया गया। इस साल हालांकि प्रसंस्करण इकाइयों के विस्तार और फसल की कमी के कारण उद्याग को मुसीबत का सामना करना पड़़ा।' उन्होंने कहा काजू की कीमतें पिछले सात-आठ सालों में दोगुनी हो गई है। वर्ष 2007-08 में काजू की कीमतें 45-50 रुपये प्रति किग्रा थी। प्रभु याद करते हुए बताते हैं, 'दरअसल पिछले 42 सालों में काजू की कीमतें 100 गुना तक बढ़ी हैं। 1972 में कच्चे काजू की कीमत 102 रुपये प्रति क्विंटल हुआ करती थीं।' कच्चे काजू की कीमत में आई तेजी के कारण प्रसंस्कृत काजू की कीमत खुदरा बाजार में फिलहाल 800-1,000 रुपये प्रति किग्रा तक हैं। (BS Hindi)
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