बेमौसम बारिश से बहुत से राज्यों में फसलें खराब हुई हैं। यह न केवल
किसानों बल्कि सराफा कारोबारियों के लिए भी बुरी खबर है, जिनका कारोबार रबी
सीजन के उत्पादन पर निर्भर करता है। रबी सीजन में अच्छे उत्पादन से
ग्रामीण इलाकों में सोने की मांग बढ़ती है। मार्च तिमाही में मांग अच्छी
रहने के आसार हैं, लेकिन अप्रैल से शुरू होने वाली तिमाही में यह घट सकती
है।
जीएफएमएस के वरिष्ठ विश्लेषक (कीमती धातुएं) सुधीश नांबियथ ने कहा, 'दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) की मांग में रबी सीजन के उत्पादन की अहम भूमिका होगी। फसलों की कटाई से पहले बारिश के कारण इस समय उत्पादन को लेकर भारी अनिश्चितता बनी हुई है। आभूषण विनिर्माताओं की इस पर पूरी नजर है और वे अप्रैल-मई के लिए स्टॉक बनाने में सतर्कता बरतेंगे।' पिछले कुछ सप्ताह के दौरान हवाओं के साथ बेमौसम बारिश से विभिन्न फसलों जैसे तिलहन और गेहूं, फलों जैसे आम और मसालों जैसे जीरे की फसलों को नुकसान पहुंचा है। यह बेमौसम बारिश लगभग पूरे देश में हुई है। ज्यादा फसलों की उत्पादकता घटने के आसार हैं, जिससे किसानों की आमदनी भी कम होगी। अनुमानों में बेमौसम बारिश का एक और चक्र आने की संभावना जताई गई है।
सराफा कारोबारियों की केवल यही चिंता नहीं है कि इससे मांग कम आएगी बल्कि बहुत से छोटे किसान अल्पकालिक कृषि लागतों की खातिर ऋण लेने के लिए सोने का इस्तेमाल करते हैं और फसल बेचकर यह ऋण चुकाते हैं। अगर ऋण नहीं चुकाया जाता है तो सोने को गिरवी रखकर ऋण देने वाले संस्थान इसकी बिक्री कर देते हैं, जो बाजार में मुख्य रूप से आभूषणों के रूप में आता है। नांबियथ ने कहा, 'कमजोर फसल की स्थिति में अगले 6 से 10 महीनों के दौरान वित्तीय संस्थानों की ज्यादा आभूषण नीलामी देखने को मिलेगी।'
इस बीच चालू महीने में सोने का आयात पिछले तीन महीनों के औसत से दोगुना हो जाने की संभावना है और यह 90 टन के आसपास रह सकता है, क्योंकि ज्यादा आभूषण विनिर्माताओं के पास स्टॉक नहीं है। सोने के आयात के लिए सरकार के 80:20 का नियम हटाने के बाद दिसंबर से फरवरी तक के तीन महीनों में 135 टन सोने का आयात हुआ था। केंद्रीय बजट में सोने पर आयात शुल्क कम किए जाने की उम्मीद में ज्वैलरों ने आयात और खरीदारों ने खरीद टाली हुई थी। लेकिन बजट में ऐसी कोई घोषणा न होने से आयात में तेजी आई है। ज्वैलर वैवाहिक सीजन की मांग पूरी करने लायक स्टॉक करेंगे, इसलिए आयात में 2-3 सप्ताह और तेजी जारी रह सकती है। इस बीच हाजिर जवेरी बाजार में सोना 26,480 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। (BS Hindi)
जीएफएमएस के वरिष्ठ विश्लेषक (कीमती धातुएं) सुधीश नांबियथ ने कहा, 'दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) की मांग में रबी सीजन के उत्पादन की अहम भूमिका होगी। फसलों की कटाई से पहले बारिश के कारण इस समय उत्पादन को लेकर भारी अनिश्चितता बनी हुई है। आभूषण विनिर्माताओं की इस पर पूरी नजर है और वे अप्रैल-मई के लिए स्टॉक बनाने में सतर्कता बरतेंगे।' पिछले कुछ सप्ताह के दौरान हवाओं के साथ बेमौसम बारिश से विभिन्न फसलों जैसे तिलहन और गेहूं, फलों जैसे आम और मसालों जैसे जीरे की फसलों को नुकसान पहुंचा है। यह बेमौसम बारिश लगभग पूरे देश में हुई है। ज्यादा फसलों की उत्पादकता घटने के आसार हैं, जिससे किसानों की आमदनी भी कम होगी। अनुमानों में बेमौसम बारिश का एक और चक्र आने की संभावना जताई गई है।
सराफा कारोबारियों की केवल यही चिंता नहीं है कि इससे मांग कम आएगी बल्कि बहुत से छोटे किसान अल्पकालिक कृषि लागतों की खातिर ऋण लेने के लिए सोने का इस्तेमाल करते हैं और फसल बेचकर यह ऋण चुकाते हैं। अगर ऋण नहीं चुकाया जाता है तो सोने को गिरवी रखकर ऋण देने वाले संस्थान इसकी बिक्री कर देते हैं, जो बाजार में मुख्य रूप से आभूषणों के रूप में आता है। नांबियथ ने कहा, 'कमजोर फसल की स्थिति में अगले 6 से 10 महीनों के दौरान वित्तीय संस्थानों की ज्यादा आभूषण नीलामी देखने को मिलेगी।'
इस बीच चालू महीने में सोने का आयात पिछले तीन महीनों के औसत से दोगुना हो जाने की संभावना है और यह 90 टन के आसपास रह सकता है, क्योंकि ज्यादा आभूषण विनिर्माताओं के पास स्टॉक नहीं है। सोने के आयात के लिए सरकार के 80:20 का नियम हटाने के बाद दिसंबर से फरवरी तक के तीन महीनों में 135 टन सोने का आयात हुआ था। केंद्रीय बजट में सोने पर आयात शुल्क कम किए जाने की उम्मीद में ज्वैलरों ने आयात और खरीदारों ने खरीद टाली हुई थी। लेकिन बजट में ऐसी कोई घोषणा न होने से आयात में तेजी आई है। ज्वैलर वैवाहिक सीजन की मांग पूरी करने लायक स्टॉक करेंगे, इसलिए आयात में 2-3 सप्ताह और तेजी जारी रह सकती है। इस बीच हाजिर जवेरी बाजार में सोना 26,480 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें