देश के उत्तरी, मध्य एवं पश्चिमी हिस्से में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï के
कारण मार्च के पहले पखवाड़े में रबी के रकबे पर काफी बुरा असर पड़ा है।
खासतौर पर गेहूं का रकबा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसका सीधा मतलब है कि
करीब 65,000 करोड़ रुपये की गेहूं की फसल बरबाद हो सकती है।
सरकार के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक 1.8-1.82 करोड़ हेक्टेयर रबी की फसलें इससे प्रभावित होंगी। यानी देश में कुल 6.2 करोड़ हेक्टेयर में होने वाली फसल की बुआई का करीब 30 फीसदी हिस्सा प्रभावित हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि करीब 1.21 करोड़ हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल पर इस बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï का सीधा असर हुआ है। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014-15 में गेहूं की बुआई 3.063 करोड़ हेक्टेयर में की गई थी, इसमें से करीब 40 फीसदी रकबा प्रभावित हुआ है।
गेहूं की औसत खुदरा कीमत करीब 17 रुपये प्रति किलोग्राम है, इस लिहाज से जोखिम में आई फसल की कीमत करीब 65,000 करोड़ रुपये है। इस अनुमान के लिए यह माना गया कि वर्ष 2014-15 में उत्पादन केंद्र के दूसरे अग्रिम अनुमान 9.576 करोड़ टन के मुताबिक ही रहेगा। उत्पादन पर कुदरत के इस कहर के असर की वास्तविकता तो अगले महीने शुरू हो रही कटाई के बाद ही पता चलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल का उत्पादन दूसरे अग्रिम अनुमान से करीब 30 फीसदी कम रह सकता है।
किसान जागृति मंच के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश योजना आयोग के सदस्य सुधीर पंवार कहते हैं, 'संभव है कि नुकसान और इसके असर से जुड़े अनुमान सच हों लेकिन मेरा विश्लेषण यह कहता है कि पूरे देश में गेहूं की करीब आधी फसल बरबाद हो गई है। खुदरा महंगाई पर पडऩे वाले असर का अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि गेहूं एक वैश्विक जिंस है और सरकार के पास भरपूर भंडार भी उपलब्ध है।'
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में खाद्य वस्तुओं का भारांश करीब 45 फीसदी है। सीपीआई आधारित महंगाई की दर जनवरी के 5.19 फीसदी से बढ़कर फरवरी 5.37 फीसदी हो गई। राष्टï्रीय राजधानी और अन्यत्र प्रमुख थोक बाजारों में हरी सब्जियों और अंगूर जैसे फलों की कीमतें 20-30 फीसदी तक चढ़ गईं।
पंवार ने कहा कि सरकार को तत्काल प्रभावित हुए किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा करनी चाहिए और उन्हें नकद मुआवजा भी देना चाहिए। पिछले हफ्ते कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने अपने अन्य अधिकारियों के साथ बेमौसम बारिश से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। एक निजी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बेमौसम हुई बारिश का असर खाद्यान्नों की कीमत पर पड़ सकता है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस महीने के पहले पंद्रह दिनों के दौरान देश में करीब 49.2 मिलीमीटर बारिश हुई है जो औसत से तीन गुना ज्यादा है। (BS Hindi)
सरकार के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक 1.8-1.82 करोड़ हेक्टेयर रबी की फसलें इससे प्रभावित होंगी। यानी देश में कुल 6.2 करोड़ हेक्टेयर में होने वाली फसल की बुआई का करीब 30 फीसदी हिस्सा प्रभावित हो सकता है। अधिकारियों का कहना है कि करीब 1.21 करोड़ हेक्टेयर में खड़ी गेहूं की फसल पर इस बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï का सीधा असर हुआ है। अनुमान के मुताबिक वर्ष 2014-15 में गेहूं की बुआई 3.063 करोड़ हेक्टेयर में की गई थी, इसमें से करीब 40 फीसदी रकबा प्रभावित हुआ है।
गेहूं की औसत खुदरा कीमत करीब 17 रुपये प्रति किलोग्राम है, इस लिहाज से जोखिम में आई फसल की कीमत करीब 65,000 करोड़ रुपये है। इस अनुमान के लिए यह माना गया कि वर्ष 2014-15 में उत्पादन केंद्र के दूसरे अग्रिम अनुमान 9.576 करोड़ टन के मुताबिक ही रहेगा। उत्पादन पर कुदरत के इस कहर के असर की वास्तविकता तो अगले महीने शुरू हो रही कटाई के बाद ही पता चलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल का उत्पादन दूसरे अग्रिम अनुमान से करीब 30 फीसदी कम रह सकता है।
किसान जागृति मंच के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश योजना आयोग के सदस्य सुधीर पंवार कहते हैं, 'संभव है कि नुकसान और इसके असर से जुड़े अनुमान सच हों लेकिन मेरा विश्लेषण यह कहता है कि पूरे देश में गेहूं की करीब आधी फसल बरबाद हो गई है। खुदरा महंगाई पर पडऩे वाले असर का अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि गेहूं एक वैश्विक जिंस है और सरकार के पास भरपूर भंडार भी उपलब्ध है।'
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में खाद्य वस्तुओं का भारांश करीब 45 फीसदी है। सीपीआई आधारित महंगाई की दर जनवरी के 5.19 फीसदी से बढ़कर फरवरी 5.37 फीसदी हो गई। राष्टï्रीय राजधानी और अन्यत्र प्रमुख थोक बाजारों में हरी सब्जियों और अंगूर जैसे फलों की कीमतें 20-30 फीसदी तक चढ़ गईं।
पंवार ने कहा कि सरकार को तत्काल प्रभावित हुए किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा करनी चाहिए और उन्हें नकद मुआवजा भी देना चाहिए। पिछले हफ्ते कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने अपने अन्य अधिकारियों के साथ बेमौसम बारिश से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। एक निजी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बेमौसम हुई बारिश का असर खाद्यान्नों की कीमत पर पड़ सकता है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस महीने के पहले पंद्रह दिनों के दौरान देश में करीब 49.2 मिलीमीटर बारिश हुई है जो औसत से तीन गुना ज्यादा है। (BS Hindi)
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