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05 मार्च 2015

हरियाणा से गेहूं, चावल की सरकारी खरीद नहीं करेगा केंद्र


खाद्य सुरक्षा बिल में लाभार्थियों की संख्या में कटौती के पक्ष में नहीं है सरकार-रामविलास पासवान
आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा के किसान बैमौसम बारिष की मार से उबरे भी नहीं पाए थे कि केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गेहूं किसानों ने जख्मों पर नमक भी छिड़क दिया है। उन्होंने हरियाणा से गेहूं और चावल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद नहीं करने की घोशणा कर दी है। हालांकि राज्य सरकार की एजेंसियां गेहूं और चावल की सरकारी खरीद जारी रखेगी, लेकिन खाद्य मंत्रालय के अधिन आने वाली एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खरीद नहीं करेगी।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गुरूवार को नई दिल्ली में आयाजित एक संववादाता सम्मेलन में कहा कि सरकार एफसीआई के बारे में षान्ता कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की कुछ सिफारिषों को लागू करने जा रही है। उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिष की थी की एफसीआई को हरियाणा और पंजाब से गेहूं और चावल की सरकारी खरीद बंद कर देनी चाहिए। हरियाणा सरकार से बात हो गई है तथा रबी विपणन सीजन 2015-16 में हरियाणा से एफसीआई एमएसपी पर गेहूं की खरीद नहीं करेगी। उन्होंने कहां कि पंजाब सरकार ने एक साल की मोहल्लत मांगी है इसलिए पंजाब से खरीद अभी जारी रहेगी। हालांकि हरियाणा से राज्य सरकार की खरीद एजेंसियां गेहूं की एमएसपी पर खरीद करेंगी।
उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय समिति ने सिफारिषों की थी कि राश्ट्ीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत 67 फीसदी लाभार्थियों की संख्या को घटाकर 40 फीसदी कर दिया जाए, लेकिन खाद्य मंत्रालय इसके पक्ष में नहीं है, इसलिए मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिख दिया है।
उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी में कटौती करने के लिए उच्चस्तरीय समिति ने खाद्यान्न की खरीद, परिवहन और आवंटन को पूरी तरह से कम्पयूटीकरण करने की सिफारिष की थी, इसके लिए खाद्य मंत्रालय चंडीगढ़ और पांडीचेरी में पायलेट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है तथा इन राज्यों में सफलता मिलने के बाद अन्य राज्यों में भी इसे षुरू किया जायेगा। हालांकि इसमें कुछ षंकाए है जिनका खाद्य मंत्रालय समाधान चाहता है। उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिष की है कि लाभार्थियों को नगद राषि का आवंटन किया जाए इससे खाद्य सब्सिडी में करीब 35 से 40 हजार करोड़ रूपये की बचत का अनुमान है। लाभार्थियों का खाद्यान्न का आवंटन छह महीने के आधार पर करने की भी उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिष की है।......आर एस राणा

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