मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
(सेबी) से मेट्रोपोलिटन स्टॉक एक्सचेंज (एमएसई, पूर्व नाम एमसीएक्स स्टॉक
एक्सचेंज) में अपनी हिस्सेदारी 15 फीसदी तक बढ़ाने की अनुमति देने का
अनुरोध किया है। सबसे बड़े कमोडिटी बाजार की एमएसई में 5 फीसदी हिस्सेदारी
है और कोई कमोडिटी बाजार एक स्टॉक एक्सचेंज में अधिकतम 15 फीसदी हिस्सेदारी
रख सकता है।
सूत्रों ने कहा कि एमसीएक्स के पास एमएसई के वारंट हैं, जो तब जारी किए गए थे जब फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) ने एमसीएक्स के साथ अपनी हिस्सेदारी घटाई थी। एफटीआईएल और एमसीएक्स ने सेबी के दिशानिर्देशों पर अमल करने के लिए शेयरों को बिना वोटिंग अधिकारों वाले वारंटों में तब्दील कर लिया था। एफटीआईएल बाद में एमसीएक्स और एमएसई से निकल गई थी।
एमसीएक्स के पास 5 फीसदी हिस्सेदारी और वारंट हैं। उसने हाल में सेबी से वारंटों को इक्विटी में तब्दील करने की मंजूरी देने का अनुरोध किया था, जिससे कि एमएसई में एक्सचेंज की हिस्सेदारी 15 फीसदी हो जाए। उसने अतिरिक्त वारंट बेचने भी शुरू कर दिए हैं।
सेबी ने एमसीएक्स के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है। इस संबंध में भेजे गए कुछ सवालों पर एमसीएक्स की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कुछ विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक हाल में एमसीएक्स ने 2.50 रुपये प्रति शेयर के भाव पर आईएलऐंडएफएस को वारंट बेचे थे। इसके साथ ही आईएलऐंडएफएस की एमएसई में हिस्सेदारी अब 5 फीसदी हो जाएगी, जो किसी भी औद्योगिक इकाई के लिए अधिकतम इक्विटी सीमा है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि यदि एमसीएक्स को सेबी से हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति मिल जाती है तो वह एमएसई में सबसे बड़ी शेयरधारक हो जाएगी। इससे वह भविष्य में एमएसई की स्थिति को सुधारने में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर सकती है, जो पिछली कुछ तिमाहियों से अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है। (BS Hindi)
सूत्रों ने कहा कि एमसीएक्स के पास एमएसई के वारंट हैं, जो तब जारी किए गए थे जब फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिस (एफटीआईएल) ने एमसीएक्स के साथ अपनी हिस्सेदारी घटाई थी। एफटीआईएल और एमसीएक्स ने सेबी के दिशानिर्देशों पर अमल करने के लिए शेयरों को बिना वोटिंग अधिकारों वाले वारंटों में तब्दील कर लिया था। एफटीआईएल बाद में एमसीएक्स और एमएसई से निकल गई थी।
एमसीएक्स के पास 5 फीसदी हिस्सेदारी और वारंट हैं। उसने हाल में सेबी से वारंटों को इक्विटी में तब्दील करने की मंजूरी देने का अनुरोध किया था, जिससे कि एमएसई में एक्सचेंज की हिस्सेदारी 15 फीसदी हो जाए। उसने अतिरिक्त वारंट बेचने भी शुरू कर दिए हैं।
सेबी ने एमसीएक्स के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है। इस संबंध में भेजे गए कुछ सवालों पर एमसीएक्स की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कुछ विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक हाल में एमसीएक्स ने 2.50 रुपये प्रति शेयर के भाव पर आईएलऐंडएफएस को वारंट बेचे थे। इसके साथ ही आईएलऐंडएफएस की एमएसई में हिस्सेदारी अब 5 फीसदी हो जाएगी, जो किसी भी औद्योगिक इकाई के लिए अधिकतम इक्विटी सीमा है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि यदि एमसीएक्स को सेबी से हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति मिल जाती है तो वह एमएसई में सबसे बड़ी शेयरधारक हो जाएगी। इससे वह भविष्य में एमएसई की स्थिति को सुधारने में अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर सकती है, जो पिछली कुछ तिमाहियों से अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है। (BS Hindi)
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