केंद्र सरकार की योजना है कि देश की हजारों मंडियों (एपीएमसी) को जोड़कर
कृषि उपजों का एक राष्ट्रीय साझा बाजार बनाए जाए। इसके लिए पहली पहल करते
हुए केंद्र ने राज्यों को लिखा है कि कृषि जिंसों की खरीद के लिए, जहां तक
संभव हो, ई-नीलामी को वरीयता दी जाए।
इस पहल की शुरुआत बजट के कुछ दिनों पहले की गई थी। यह कृषि जिंसों के लिए एक साझा बाजार बनाने की योजना का हिस्सा है, जिसमें कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा संचालित सभी थोक मंडियों को जोड़ा जाएगा। वर्ष 2014-15 के आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2,777 प्रमुख मंडियां हैं और इन मंडियों के नियंत्रण वाली उप-मंडियों की संख्या 4,843 है। केंद्र सरकार की योजना एक बाजार बनाने के लिए इन मंडियों को जोडऩे की है, क्योंकि इस समय किसान के लिए इन मंडियों को बिक्री करना जरूरी है और मंडियों द्वारा 10 से 14 फीसदी तक शुल्क वसूला जाता है।
इस परियोजना के लिए माना जा रहा है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी, क्योंकि राज्यों के एपीएमसी अधिनियम में संशोधन और निजी मंडियों और बाजारों की स्थापना की खातिर रास्ता साफ करने के लिए केंद्र और राज्यों में सहयोग आवश्यक होगा। कुछ राज्यों ने फलों एवं सब्जियों को एपीएमसी अधिनियम से बाहर कर दिया है। हालांकि यह काफी नहीं है और इसलिए राज्यों से ई-नीलामी को अपनाने का सुझाव दिया गया है। 6-7 राज्य पहले ही सार्वजनिक वितरण के लिए चीनी की खरीद एनसीडीईएक्स ई-मार्केट द्वारा मुहैया कराई गई ई-नीलामी सुविधाओं के जरिये करने लगे हैं। एनसीडीईएक्स ई-मार्केट प्रमुख कृषि केंद्रित एक्सचेंज एनसीडीईएक्स की सब्सिडियरी है।
केंद्र ने एनसीडीईएक्स के मंडी आधुनिकीकरण कार्यक्रम की प्रशंसा की है। इस कार्यक्रम के तहत कर्नाटक की सभी एपीएमसी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ दिया गया है और किसानों को इस साझा प्लेटफॉर्म पर कारोबार होने वाली जिंसों की एक राज्य कीमत मिलती है। किसान ज्यादा कीमत देने वाले को अपनी उपज बेच सकते हैं। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कर्नाटक में 155 मुख्य मंडियों में से 51 को और 354 उप-मंडियों को जोड़ दिया गया है। राज्य सरकार और एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज द्वारा बनाया गया एक संयुक्त उपक्रम राष्ट्रीय ई-मार्केट सर्विसेज लिमिटेड (आरईएमएस) स्वचालित नीलामी और इसके बाद की सुविधाएं (वजन, इनवॉइस बनाना, बाजार फीस संग्रहण, अकाउंटिंग) और बाजारो में जांच-परख सुविधाएं मुहैया कराता है। इसके अलावा यह गोदाम आधारित उपज की बिक्री, जिंसों के लिए वित्त पोषण और तकनीक के आधार कीमत मुहैया कराने में मदद करता है।
एनसीडीईएक्स मंडी आधुनिकीकरण कार्यक्रम (एमएमपी) और संयुक्त बाजार प्लेटफॉर्म को लागू करता है। एमएमपी कार्यक्रम मंडीवार लागू किया जाता है, जबकि यूएमपी के तहत एक कारोबार के लिए राज्य में सभी मंडियों को जोड़ा जाता है। हालांकि यूएमपी राज्य लाइसेंस के तहत लागू किया जाता है, लेकिन केंद्र सरकार की योजना देश में सभी एपीएमसी को संयुक्त करना है। एनसीडीईएक्स ने कर्नाटक के अलावा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मंडियों का एकीकरण करना शुरू कर दिया है और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित बहुत से प्रमुख राज्य एनसीडीईएक्स ई-मार्केट लिमिटेड (एनईएमएल) के साथ बातचीत कर रहे हैं।
एनसीडीईएक्स ने विभिन्न कृषि जिंसों में फॉरवर्ड ट्रेडिंग शुरू की है, जिनमें अरंडी, जीरा, मक्का और चीनी का कारोबार हो रहा है। (BS Hindi)
इस पहल की शुरुआत बजट के कुछ दिनों पहले की गई थी। यह कृषि जिंसों के लिए एक साझा बाजार बनाने की योजना का हिस्सा है, जिसमें कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा संचालित सभी थोक मंडियों को जोड़ा जाएगा। वर्ष 2014-15 के आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2,777 प्रमुख मंडियां हैं और इन मंडियों के नियंत्रण वाली उप-मंडियों की संख्या 4,843 है। केंद्र सरकार की योजना एक बाजार बनाने के लिए इन मंडियों को जोडऩे की है, क्योंकि इस समय किसान के लिए इन मंडियों को बिक्री करना जरूरी है और मंडियों द्वारा 10 से 14 फीसदी तक शुल्क वसूला जाता है।
इस परियोजना के लिए माना जा रहा है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी, क्योंकि राज्यों के एपीएमसी अधिनियम में संशोधन और निजी मंडियों और बाजारों की स्थापना की खातिर रास्ता साफ करने के लिए केंद्र और राज्यों में सहयोग आवश्यक होगा। कुछ राज्यों ने फलों एवं सब्जियों को एपीएमसी अधिनियम से बाहर कर दिया है। हालांकि यह काफी नहीं है और इसलिए राज्यों से ई-नीलामी को अपनाने का सुझाव दिया गया है। 6-7 राज्य पहले ही सार्वजनिक वितरण के लिए चीनी की खरीद एनसीडीईएक्स ई-मार्केट द्वारा मुहैया कराई गई ई-नीलामी सुविधाओं के जरिये करने लगे हैं। एनसीडीईएक्स ई-मार्केट प्रमुख कृषि केंद्रित एक्सचेंज एनसीडीईएक्स की सब्सिडियरी है।
केंद्र ने एनसीडीईएक्स के मंडी आधुनिकीकरण कार्यक्रम की प्रशंसा की है। इस कार्यक्रम के तहत कर्नाटक की सभी एपीएमसी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जोड़ दिया गया है और किसानों को इस साझा प्लेटफॉर्म पर कारोबार होने वाली जिंसों की एक राज्य कीमत मिलती है। किसान ज्यादा कीमत देने वाले को अपनी उपज बेच सकते हैं। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कर्नाटक में 155 मुख्य मंडियों में से 51 को और 354 उप-मंडियों को जोड़ दिया गया है। राज्य सरकार और एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज द्वारा बनाया गया एक संयुक्त उपक्रम राष्ट्रीय ई-मार्केट सर्विसेज लिमिटेड (आरईएमएस) स्वचालित नीलामी और इसके बाद की सुविधाएं (वजन, इनवॉइस बनाना, बाजार फीस संग्रहण, अकाउंटिंग) और बाजारो में जांच-परख सुविधाएं मुहैया कराता है। इसके अलावा यह गोदाम आधारित उपज की बिक्री, जिंसों के लिए वित्त पोषण और तकनीक के आधार कीमत मुहैया कराने में मदद करता है।
एनसीडीईएक्स मंडी आधुनिकीकरण कार्यक्रम (एमएमपी) और संयुक्त बाजार प्लेटफॉर्म को लागू करता है। एमएमपी कार्यक्रम मंडीवार लागू किया जाता है, जबकि यूएमपी के तहत एक कारोबार के लिए राज्य में सभी मंडियों को जोड़ा जाता है। हालांकि यूएमपी राज्य लाइसेंस के तहत लागू किया जाता है, लेकिन केंद्र सरकार की योजना देश में सभी एपीएमसी को संयुक्त करना है। एनसीडीईएक्स ने कर्नाटक के अलावा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मंडियों का एकीकरण करना शुरू कर दिया है और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित बहुत से प्रमुख राज्य एनसीडीईएक्स ई-मार्केट लिमिटेड (एनईएमएल) के साथ बातचीत कर रहे हैं।
एनसीडीईएक्स ने विभिन्न कृषि जिंसों में फॉरवर्ड ट्रेडिंग शुरू की है, जिनमें अरंडी, जीरा, मक्का और चीनी का कारोबार हो रहा है। (BS Hindi)
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