दूध की कीमतों में पिछली बढ़ोतरी को करीब 9 महीने हो चुके हैं। हाल के
वर्षों में संभवतया यह सबसे लंबी अवधि होगी, जिसमें देश में तरल दूध की
कीमतें स्थिर रही हैं। वहीं जल्द इसकी कीमतों में बढ़ोतरी होने के आसार भी
नहीं हैं। गर्मी के महीनों में उत्पादन घटने की संभावना है। इसके बावजूद इस
बार गर्मियों में दूध की कीमतें बढऩे के आसार नहीं हैं, क्योंकि कम
निर्यात के चलते इस समय देश में दूध पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त स्टॉक है।
स्टर्लिंग एग्रो के प्रबंध निदेशक कुलदीप सलूजा ने कहा, 'भारत में हर साल करीब 1 लाख टन दूध पाउडर का उत्पादन होता है। इस वित्त वर्ष में निर्यात 30,000 टन से ज्यादा नहीं रहा, इसलिए देश में पर्याप्त स्टॉक है। गर्मियों में जब उत्पादन घटेगा, तब इसकी बिक्री की जाएगी।' स्टर्लिंग एग्रो खुद दूध पाउडर की एक बड़ी निर्यातक है।
सलूजा ने कहा कि न्यूजीलैंड में पिछली कुछ नीलामियों में दूध पाउडर की कीमतें बढऩे लगी थीं, लेकिन इस महीने के अंत से यूरोप से नई आपूर्ति शुरू होने की संभावना है। उन्होंने कहा, 'इस महीने के अंत से यूरोपीय संघ दूध कोटा (या डेयरी उत्पाद कोटा) खत्म कर देगा, जिससे वैश्विक डेयरी बाजार में नई आपूर्ति बढ़ेगी। यहां तक की अमेरिका भी निर्यात और आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।'
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने कहा, 'न्यूजीलैंड में पिछली तीन नीलामियों में होल मिल्क पाउडर (बिना फैट निकाला हुआ) के दाम 45 फीसदी बढ़े हैं, जबकि एसएमपी की कीमतें करीब 18 फीसदी बढ़ी हैं।' जीएमएमएफ अमूल ब्रांड के तहत दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री करती है और यह देश की सबसे बड़ी सहकारी डेयरी है। सोढी ने कहा कि घरेलू बाजार में एसएमपी की कीमतें इस समय करीब 200 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। ये आने वाले महीनों में 275 रुपये प्रति किलोग्राम होने की संभावना है। इस समय एसएमपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 180-190 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। इसके नतीजतन निर्यात कम रहने के आसार हैं।
हैटसन एग्रो के प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोगन ने कहा कि अगर एसएमपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ीं तो निर्यात संभावनाओं में सुधार आ सकता है। उन्होंने कहा, 'गर्मियों में उत्पादन घटने से कीमतों में कुछ बदलाव आ सकता है। हालांकि अभी यह अनिश्चित है।' उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने नाम न प्रकाशित करने का आग्रह करते हुए कहा कि मई-जून के दौरान कीमतें स्थिर रहने की संभावना है। (BS Hindi)
स्टर्लिंग एग्रो के प्रबंध निदेशक कुलदीप सलूजा ने कहा, 'भारत में हर साल करीब 1 लाख टन दूध पाउडर का उत्पादन होता है। इस वित्त वर्ष में निर्यात 30,000 टन से ज्यादा नहीं रहा, इसलिए देश में पर्याप्त स्टॉक है। गर्मियों में जब उत्पादन घटेगा, तब इसकी बिक्री की जाएगी।' स्टर्लिंग एग्रो खुद दूध पाउडर की एक बड़ी निर्यातक है।
सलूजा ने कहा कि न्यूजीलैंड में पिछली कुछ नीलामियों में दूध पाउडर की कीमतें बढऩे लगी थीं, लेकिन इस महीने के अंत से यूरोप से नई आपूर्ति शुरू होने की संभावना है। उन्होंने कहा, 'इस महीने के अंत से यूरोपीय संघ दूध कोटा (या डेयरी उत्पाद कोटा) खत्म कर देगा, जिससे वैश्विक डेयरी बाजार में नई आपूर्ति बढ़ेगी। यहां तक की अमेरिका भी निर्यात और आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है।'
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढी ने कहा, 'न्यूजीलैंड में पिछली तीन नीलामियों में होल मिल्क पाउडर (बिना फैट निकाला हुआ) के दाम 45 फीसदी बढ़े हैं, जबकि एसएमपी की कीमतें करीब 18 फीसदी बढ़ी हैं।' जीएमएमएफ अमूल ब्रांड के तहत दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री करती है और यह देश की सबसे बड़ी सहकारी डेयरी है। सोढी ने कहा कि घरेलू बाजार में एसएमपी की कीमतें इस समय करीब 200 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। ये आने वाले महीनों में 275 रुपये प्रति किलोग्राम होने की संभावना है। इस समय एसएमपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 180-190 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। इसके नतीजतन निर्यात कम रहने के आसार हैं।
हैटसन एग्रो के प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोगन ने कहा कि अगर एसएमपी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ीं तो निर्यात संभावनाओं में सुधार आ सकता है। उन्होंने कहा, 'गर्मियों में उत्पादन घटने से कीमतों में कुछ बदलाव आ सकता है। हालांकि अभी यह अनिश्चित है।' उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने नाम न प्रकाशित करने का आग्रह करते हुए कहा कि मई-जून के दौरान कीमतें स्थिर रहने की संभावना है। (BS Hindi)
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