अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपने आर्थिक और महंगाई के अनुमानों में कमी करते
हुए ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया तो कारोबारियों ने राहत की सांस ली और
अपनी शॉर्ट पॉजिशन में कटौती के लिए इसेे उपयुक्त माना। कल फेडरल रिजर्व
के बयान के बाद सोना मजबूत हुआ और आज एमसीएक्स में भी सुधार देखा गया।
एमसीएक्स में कीमतें एक फीसदी बढ़कर 25,884 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच
गईं। मुंबई के जवेरी बाजार में सोना 190 रुपये चढ़कर 26,140 रुपये प्रति 10
ग्राम पर बंद हुआ।
अमेरिका ने अभी ब्याज दरें नहीं बढ़ाई हैं, इसलिए लंदन मेटल एक्सचेंज पर धातुओं की कीमतों में 1-2 फीसदी तेजी रही। एमसीएक्स पर तांबा और अन्य धातुओं के वायदा अनुबंधों की कीमतों में 1 से 2 फीसदी तेजी दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि अब आगे उसकी नजर नौकरी बाजार पर होगी। फेड ने महंगाई 2 फीसदी और बेरोजगारी 5.2 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है। कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के प्रमुख ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'इसलिए आगे सराफा कारोबारी आर्थिक आंकड़ों पर पूरी नजर रखेंगे, क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इन आंकड़ों और फेड के फैसले पर निर्भर करेगी।' उनके अनुसार आज सोने की कीमतों में बढ़ोतरी शॉर्ट कवरिंग की वजह से हुई है, क्योंकि मंदडिय़ों ने मुनाफावसूली की है। वह 1,145 डॉलर को मजबूत समर्थन स्तर मानते हैं, जहां से कल सोना चढ़ा था और वह 1,200 डॉलर पर प्रतिरोध स्तर मानते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में दरों में बढ़ोतरी लगभग घोषित है और इसलिए सोने की कीमतों में सुधार के साथ ऊंचे स्तरों पर बिकवाली होगी और डॉलर मजबूत होगा। चांदी की कीमतों में भी बढ़ोतरी रही। मुंबई में इसके दाम 650 रुपये चढ़कर 36,300 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुए। एलएमई में धातुओं में बढ़ोतरी से संकेत लेते हुए एक समय एमसीएक्स पर तांबा 2.24 फीसदी, एल्युमीनियम 1.3 फीसदी और निकल 1.5 फीसदी तक चढ़ गया। बाद में तांबा बुधवार के बंद स्तर 5,621.50 डॉलर से 1.3 फीसदी चढ़कर 5,745 डॉलर पर बंद हुआ।
रोचक बात यह है कि फेडरल रिजर्व के बयान के बाद कच्चे तेल में गिरावट थम गई। ब्रेंट क्रूड तेल 55 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो बुधवार को 53 डॉलर पर बंद हुआ था। वहीं वेस्ट टेक्सस इंटरमीडियट (डब्ल्यूटीआई) का कारोबार 43 डॉलर प्रति बैरल पर हुआ। नेटिक्सिज कमोडिटीज रिसर्च के अभिषेक देशपांडे ने कहा, 'फेड के फैसले से कच्चे तेल को अस्थायी ही सही, लेकिन कुछ मदद मिली है। लेकिन अत्यधिक आपूर्ति कीमतों पर दबाव बढ़ाएगी। अभी हमारा रुझान ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई को लेकर 15 जून तक कमजोर है।' इस बारे में उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि कच्चे तेल के बढ़ते स्टॉक से दूसरी तिमाही में ब्रेंट पर और दबाव बढ़ेगा और ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर किसी सकारात्मक फैसले से ब्रेंट सूचकांक और नीचे फिसलेगा।' (BS Hindi)
अमेरिका ने अभी ब्याज दरें नहीं बढ़ाई हैं, इसलिए लंदन मेटल एक्सचेंज पर धातुओं की कीमतों में 1-2 फीसदी तेजी रही। एमसीएक्स पर तांबा और अन्य धातुओं के वायदा अनुबंधों की कीमतों में 1 से 2 फीसदी तेजी दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि अब आगे उसकी नजर नौकरी बाजार पर होगी। फेड ने महंगाई 2 फीसदी और बेरोजगारी 5.2 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया है। कॉमट्रेंड्ज रिसर्च के प्रमुख ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'इसलिए आगे सराफा कारोबारी आर्थिक आंकड़ों पर पूरी नजर रखेंगे, क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी इन आंकड़ों और फेड के फैसले पर निर्भर करेगी।' उनके अनुसार आज सोने की कीमतों में बढ़ोतरी शॉर्ट कवरिंग की वजह से हुई है, क्योंकि मंदडिय़ों ने मुनाफावसूली की है। वह 1,145 डॉलर को मजबूत समर्थन स्तर मानते हैं, जहां से कल सोना चढ़ा था और वह 1,200 डॉलर पर प्रतिरोध स्तर मानते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में दरों में बढ़ोतरी लगभग घोषित है और इसलिए सोने की कीमतों में सुधार के साथ ऊंचे स्तरों पर बिकवाली होगी और डॉलर मजबूत होगा। चांदी की कीमतों में भी बढ़ोतरी रही। मुंबई में इसके दाम 650 रुपये चढ़कर 36,300 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुए। एलएमई में धातुओं में बढ़ोतरी से संकेत लेते हुए एक समय एमसीएक्स पर तांबा 2.24 फीसदी, एल्युमीनियम 1.3 फीसदी और निकल 1.5 फीसदी तक चढ़ गया। बाद में तांबा बुधवार के बंद स्तर 5,621.50 डॉलर से 1.3 फीसदी चढ़कर 5,745 डॉलर पर बंद हुआ।
रोचक बात यह है कि फेडरल रिजर्व के बयान के बाद कच्चे तेल में गिरावट थम गई। ब्रेंट क्रूड तेल 55 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो बुधवार को 53 डॉलर पर बंद हुआ था। वहीं वेस्ट टेक्सस इंटरमीडियट (डब्ल्यूटीआई) का कारोबार 43 डॉलर प्रति बैरल पर हुआ। नेटिक्सिज कमोडिटीज रिसर्च के अभिषेक देशपांडे ने कहा, 'फेड के फैसले से कच्चे तेल को अस्थायी ही सही, लेकिन कुछ मदद मिली है। लेकिन अत्यधिक आपूर्ति कीमतों पर दबाव बढ़ाएगी। अभी हमारा रुझान ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई को लेकर 15 जून तक कमजोर है।' इस बारे में उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि कच्चे तेल के बढ़ते स्टॉक से दूसरी तिमाही में ब्रेंट पर और दबाव बढ़ेगा और ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर किसी सकारात्मक फैसले से ब्रेंट सूचकांक और नीचे फिसलेगा।' (BS Hindi)
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