महाराष्ट्र के कई हिस्सों में रुक-रुक कर हो रही बारिश और ओलावृष्टि ने रबी
की फसल तबाह कर दी है। राज्य के सातारा, सांगली और नासिक में ओलों की मार
से अंगूर की खेती करने वाले किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। फसल खराब होने
से उत्पादन घटेगा। हालांकि अभी नुकसान का सही आकलन नहीं हुआ है। उत्पादन कम
होने से निर्यात आधा रहने की आशंका जताई जा रही है।
बारिश का सबसे ज्यादा असर नासिक इलाके में अंगूर की खेती पर पडऩे की बात कही जा रही है। इसका असर अभी से कीमतों और आवक पर दिखाई देने लगा है। अंगूर की सबसे बड़ी मंडी मे आवक घटकर 30 टन रह गई है, जबकि इस महीने की शुरुआत में दैनिक आवक 50-60 टन थी। मंडी में अंगूर की औसत कीमत बढ़कर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है, जबकि महीने की शुरुआत में औसत कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल थी। नासिक मंडी के अंगूर कारोबारियों ने कहा कि इस समय आ रहा अंगूर ओलों से प्रभावित है, जिसे रोका नहीं जा सकता है और यह निर्यात करने लायक भी नहीं है।
फसल खराब होने और सरकारी मदद मिलने मेंं हो रही देरी से नाराज नासिक इलाके के किसान अब आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। सोमवार को नासिक में किसानों ने रास्ता जाम किया। किसान नेता मोहनपाटिल कहते हैं कि अभी तो यह संकेत है। लेकिन सरकार के किसानों की मांग नहीं सुनने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में किसानों को हुए नुकसान की गूंज सत्ता के गलियारों में भी सुनाई दे रही है। विपक्षी दल किसानों को तुरंत मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। असमय बारिश से फसल खराब होने पर बयान देते हुए कृषि मंत्री एकनाथ खड़से ने कहा कि फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसका आकलन किया जा रहा है। आकलन होने के बाद पैकेज की घोषणा की जाएगी।
महाराष्ट्र में अंगूर की खेती मुख्यतया सांगली, सातारा और नासिक जिले में होती है। विदेशों में अंगूर का निर्यात इन्हीं इलाकों से होता है। अंगूर निर्यातकों ने कहा कि फसल खराब होने से वह निर्यात मांग पूरी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि फरवरी से लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश और आंधी ने फसल को बहुत ज्यादा खराब कर दिया था और रही सही कसर पिछले दो दिन से हो रही ओलावृष्टि ने पूरी कर दी है। दो दिन तक पहले तक कारोबारियों का अनुमान था कि इस साल निर्यात 30 फीसदी कम रहेगा, लेकिन अब तो निर्यात में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट होने की आशंका बढ़ गई है। पिछले साल अंगूर के 5,000 कंटेनर यूरोप भेजे गए थे। बारिश से फसल खराब होने के बाद भी उम्मीद थी कि इस बार 3,500 कंटेनर तक निर्यात हो जाएगा, लेकिन ओलावृष्टि होने के बाद अब निर्यात 2,500 कंटेनर रहना भी मुश्किल नजर आ रहा है। अंगूर कारोबारी सुदेश सावंत का कहना है सच्चाई तो यह है कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है कि फसल कितनी खराब हुई है और हम निर्यात कितना कर पाएंगे क्योंकि बारिश और ओलों की मार हर दूसरे दिन पड़ रही है। इससे नुकसान का आकलन करना मुश्किल हो रहा है, इसलिए नए ऑर्डर नहीं लिए जा रहे हैं। एक बार पूरी तस्वीर साफ होने के बाद आपूर्ति के बारे में विचार किया जाएगा।
ओले गिरने से सब्जियां खराब
जयपुर सहित राजस्थान के अधिकांश जिलों में हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं। वहीं, जयपुर और आसपास सब्जियां खराब हो गई हैं। शहर की मंडियों में सब्जियों की आवक घटकर आधी रह गई है, जिससे इनके दाम दुगने से अधिक हो गए हैं। जयपुर में आसपास के गांवों से और दूसरे राज्यों से सब्जियों की आवक घटने से दाम बढ़े हैं। सब्जी मंडी में टमाटर बेचने आए किसान रामरतन सैनी का कहना है कि जमीन के ऊपर लगने वाली सब्जियां ओलों की मार नहीं झेल पाईं। टमाटर, मिर्च, गोभी, लौकी जैसी सब्जियां खराब हो गई हैं। लेकिन जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, जमींकंद, प्याज, गाजर और मूली पर इसका खास प्रभाव नहीं पड़ा। (BS Hindi)
बारिश का सबसे ज्यादा असर नासिक इलाके में अंगूर की खेती पर पडऩे की बात कही जा रही है। इसका असर अभी से कीमतों और आवक पर दिखाई देने लगा है। अंगूर की सबसे बड़ी मंडी मे आवक घटकर 30 टन रह गई है, जबकि इस महीने की शुरुआत में दैनिक आवक 50-60 टन थी। मंडी में अंगूर की औसत कीमत बढ़कर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है, जबकि महीने की शुरुआत में औसत कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल थी। नासिक मंडी के अंगूर कारोबारियों ने कहा कि इस समय आ रहा अंगूर ओलों से प्रभावित है, जिसे रोका नहीं जा सकता है और यह निर्यात करने लायक भी नहीं है।
फसल खराब होने और सरकारी मदद मिलने मेंं हो रही देरी से नाराज नासिक इलाके के किसान अब आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। सोमवार को नासिक में किसानों ने रास्ता जाम किया। किसान नेता मोहनपाटिल कहते हैं कि अभी तो यह संकेत है। लेकिन सरकार के किसानों की मांग नहीं सुनने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में किसानों को हुए नुकसान की गूंज सत्ता के गलियारों में भी सुनाई दे रही है। विपक्षी दल किसानों को तुरंत मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। असमय बारिश से फसल खराब होने पर बयान देते हुए कृषि मंत्री एकनाथ खड़से ने कहा कि फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसका आकलन किया जा रहा है। आकलन होने के बाद पैकेज की घोषणा की जाएगी।
महाराष्ट्र में अंगूर की खेती मुख्यतया सांगली, सातारा और नासिक जिले में होती है। विदेशों में अंगूर का निर्यात इन्हीं इलाकों से होता है। अंगूर निर्यातकों ने कहा कि फसल खराब होने से वह निर्यात मांग पूरी नहीं कर पाएंगे, क्योंकि फरवरी से लगातार रुक-रुक कर हो रही बारिश और आंधी ने फसल को बहुत ज्यादा खराब कर दिया था और रही सही कसर पिछले दो दिन से हो रही ओलावृष्टि ने पूरी कर दी है। दो दिन तक पहले तक कारोबारियों का अनुमान था कि इस साल निर्यात 30 फीसदी कम रहेगा, लेकिन अब तो निर्यात में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट होने की आशंका बढ़ गई है। पिछले साल अंगूर के 5,000 कंटेनर यूरोप भेजे गए थे। बारिश से फसल खराब होने के बाद भी उम्मीद थी कि इस बार 3,500 कंटेनर तक निर्यात हो जाएगा, लेकिन ओलावृष्टि होने के बाद अब निर्यात 2,500 कंटेनर रहना भी मुश्किल नजर आ रहा है। अंगूर कारोबारी सुदेश सावंत का कहना है सच्चाई तो यह है कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है कि फसल कितनी खराब हुई है और हम निर्यात कितना कर पाएंगे क्योंकि बारिश और ओलों की मार हर दूसरे दिन पड़ रही है। इससे नुकसान का आकलन करना मुश्किल हो रहा है, इसलिए नए ऑर्डर नहीं लिए जा रहे हैं। एक बार पूरी तस्वीर साफ होने के बाद आपूर्ति के बारे में विचार किया जाएगा।
ओले गिरने से सब्जियां खराब
जयपुर सहित राजस्थान के अधिकांश जिलों में हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं। वहीं, जयपुर और आसपास सब्जियां खराब हो गई हैं। शहर की मंडियों में सब्जियों की आवक घटकर आधी रह गई है, जिससे इनके दाम दुगने से अधिक हो गए हैं। जयपुर में आसपास के गांवों से और दूसरे राज्यों से सब्जियों की आवक घटने से दाम बढ़े हैं। सब्जी मंडी में टमाटर बेचने आए किसान रामरतन सैनी का कहना है कि जमीन के ऊपर लगने वाली सब्जियां ओलों की मार नहीं झेल पाईं। टमाटर, मिर्च, गोभी, लौकी जैसी सब्जियां खराब हो गई हैं। लेकिन जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, जमींकंद, प्याज, गाजर और मूली पर इसका खास प्रभाव नहीं पड़ा। (BS Hindi)
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