चालू तेल वर्ष (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान भारत का वनस्पति तेल आयात 8
फीसदी बढ़कर 127 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। इसकी
वजह तिलहन उत्पादक प्रमुख क्षेत्रों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह
से रबी सीजन में तिलहन उत्पादन में भारी गिरावट आने के आसार हैं।
नवंबर 2013 से अक्टूबर 2014 के दौरान देश का वनस्पति तेल आयात 116.2 लाख टन रहा था। इस साल नवंबर से फरवरी के दौरान वनस्पति तेल का आयात 23 फीसदी बढ़कर 41.9 लाख टन रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 34.2 लाख टन था। फसल के पकने के समय मार्च में कई बार बारिश और ओले गिरने से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में रेपसीड और सरसों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। फसल को नुकसान के वास्तविक अनुमान अभी नहीं आए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रबी सीजन में तिलहन का 10-12 उत्पादन घटेगा। गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री ने कहा, 'अभी सरसों की फसल का आकलन करना जल्दबाजी होगी।'
हालांकि मिस्त्री का अनुमान है कि भारत का वनस्पति तेल आयात 125 लाख टन रहेगा, जो इस क्षेत्र की शीर्ष संस्था सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के ताजा अनुमान से थोड़ा कम है। रबी सीजन में तिलहन उत्पादन के अपने अनुमान की घोषणा करते हुए कोएट ने कहा है कि अक्टूबर 2015 में समाप्त होने वाले चालू वर्ष में भारत का वनस्पति तेल आयात 127 लाख टन रहेगा, जिसमें 125 लाख टन खाद्य तेल और 2 लाख टन अखाद्य तेल शामिल है।
मूंगफली के उत्पादन में 28 फीसदी की भारी भरकम गिरावट से रबी सीजन में तिलहन का कुल उत्पादन इस साल 17 फीसदी गिरकर 76.7 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के इसी सीजन में 91.9 लाख टन था। कोएट के मुताबिक बुआई सीजन में मिट्टी में नमी कम होने से इस साल रकबा घटकर 84 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल 91.4 लाख हेक्टेयर था। कम रकबे के साथ ही कटाई सीजन में फसल खराब होने से तिलहन की उपलब्धता पर बुरा असर पडऩे की आशंका है, जिससे घरेलू स्तर पर वनस्पति तेल का उत्पादन कम रहेगा। इसके नतीजतन वर्ष 2014-15 में खरीफ एवं रबी सीजन की तिलहन फसलों से वनस्पति तेल की कुल उपलब्धता 76.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 83.8 लाख टन थी। इससे 9.11 फीसदी या 7.6 लाख टन की भारी गिरावट का पता चलता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, 'हम सरकार से आग्रह करते हैं कि तिलहनों पर आयात शुल्क वर्तमान 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाए, ताकि घरेलू पेराई बढ़ाई जा सके।' बढ़ती आबादी, कीमतों में नरमी के रुझान और औसत मध्यम वर्ग की तेजी से बढ़ती क्रय शक्ति के कारण देश में वनस्पति तेल की मांग हर साल 9 से 10 लाख टन बढ़ रही है। इसके अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया अपने यहां वनस्पति तेल के भारी स्टॉक को कम करने के लिए भारत को कम कीमतों पर बड़ी मात्रा में निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने वनस्पति तेल के निर्यात पर शुल्क घटाकर शून्य कर दिया है। इस साल आयातित वनस्पति तेल पर निर्भरता बढ़कर 62.5 फीसदी होने की संभावना है।' (BS Hindi)
नवंबर 2013 से अक्टूबर 2014 के दौरान देश का वनस्पति तेल आयात 116.2 लाख टन रहा था। इस साल नवंबर से फरवरी के दौरान वनस्पति तेल का आयात 23 फीसदी बढ़कर 41.9 लाख टन रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 34.2 लाख टन था। फसल के पकने के समय मार्च में कई बार बारिश और ओले गिरने से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में रेपसीड और सरसों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। फसल को नुकसान के वास्तविक अनुमान अभी नहीं आए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रबी सीजन में तिलहन का 10-12 उत्पादन घटेगा। गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री ने कहा, 'अभी सरसों की फसल का आकलन करना जल्दबाजी होगी।'
हालांकि मिस्त्री का अनुमान है कि भारत का वनस्पति तेल आयात 125 लाख टन रहेगा, जो इस क्षेत्र की शीर्ष संस्था सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (कोएट) के ताजा अनुमान से थोड़ा कम है। रबी सीजन में तिलहन उत्पादन के अपने अनुमान की घोषणा करते हुए कोएट ने कहा है कि अक्टूबर 2015 में समाप्त होने वाले चालू वर्ष में भारत का वनस्पति तेल आयात 127 लाख टन रहेगा, जिसमें 125 लाख टन खाद्य तेल और 2 लाख टन अखाद्य तेल शामिल है।
मूंगफली के उत्पादन में 28 फीसदी की भारी भरकम गिरावट से रबी सीजन में तिलहन का कुल उत्पादन इस साल 17 फीसदी गिरकर 76.7 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के इसी सीजन में 91.9 लाख टन था। कोएट के मुताबिक बुआई सीजन में मिट्टी में नमी कम होने से इस साल रकबा घटकर 84 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल 91.4 लाख हेक्टेयर था। कम रकबे के साथ ही कटाई सीजन में फसल खराब होने से तिलहन की उपलब्धता पर बुरा असर पडऩे की आशंका है, जिससे घरेलू स्तर पर वनस्पति तेल का उत्पादन कम रहेगा। इसके नतीजतन वर्ष 2014-15 में खरीफ एवं रबी सीजन की तिलहन फसलों से वनस्पति तेल की कुल उपलब्धता 76.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 83.8 लाख टन थी। इससे 9.11 फीसदी या 7.6 लाख टन की भारी गिरावट का पता चलता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा, 'हम सरकार से आग्रह करते हैं कि तिलहनों पर आयात शुल्क वर्तमान 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाए, ताकि घरेलू पेराई बढ़ाई जा सके।' बढ़ती आबादी, कीमतों में नरमी के रुझान और औसत मध्यम वर्ग की तेजी से बढ़ती क्रय शक्ति के कारण देश में वनस्पति तेल की मांग हर साल 9 से 10 लाख टन बढ़ रही है। इसके अलावा इंडोनेशिया और मलेशिया अपने यहां वनस्पति तेल के भारी स्टॉक को कम करने के लिए भारत को कम कीमतों पर बड़ी मात्रा में निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने वनस्पति तेल के निर्यात पर शुल्क घटाकर शून्य कर दिया है। इस साल आयातित वनस्पति तेल पर निर्भरता बढ़कर 62.5 फीसदी होने की संभावना है।' (BS Hindi)
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