वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में 1 लाख रुपये से ज्यादा के आभूषणों की
नकद खरीद के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) अनिवार्य कर दिया है। ज्वैलर
उनके इस फैसले के खिलाफ हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। जेटली ने नए
बजट में प्रस्ताव रखा है कि एक लाख रुपये से ज्यादा का सौदा करते समय पैन
जरूर लिया जाए। देश में आभूषण विक्रेताओं की एक शीर्ष संस्था ऑल इंडिया
जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के चेयरमैन हरेश सोनी ने कहा,
'इस समय कोई बात साफ नहीं है। हमने अपने सलाहकारों से कहा है कि वे इस मसले
पर सरकार का रुख पता करें। अगर यह हमारे ऊपर लागू होता है तो हम अपनी
चिंता बताने के लिए हड़ताल करेंगे।'
आयकर अधिनियम की धारा 114 (बी) के तहत 5 लाख रुपये से ज्यादा के आभूषण खरीदने के लिए पैन की जानकारी देना जरूरी है। पिछले साल सरकार ने ज्वैलरों के लिए यह अनिवार्य किया था कि वे दो लाख ज्यादा के सोने के सिक्के खरीदने वाले ग्राहकों से पैन का ब्योरा लें। लेकिन इस बजट में वित्त मंत्री ने आभूषण खरीदने के लिए सीमा महज 1 लाख रुपये कर दी।
सोनी ने कहा, 'सरकार ने अब तक 15-20 करोड़ पैन जारी किए हैं। शेष 100 करोड़ आबादी का क्या होगा, जिसमें देश के सुदूरवर्ती गांवों के किसान भी शामिल हैं? सभी आभूषण खरीदते हैं। परिवार में शादी के समय यहां तक की किसान भी 40 से 50 ग्राम सोने के आभूषण खरीदते हैं। इसका मतलब यह कि वे वर्तमान कीमतों पर 30 ग्राम से ज्यादा आभूषण नहीं खरीद सकते। यह अव्यावहारिक है।' इस बीच ज्वैलरों का मानना है कि इसे लागू करना मुश्किल होगा, क्योंकि सोना खरीदने के लिए बाजार में जाने वाले सभी खरीदारों के पास पैन कार्ड नहीं होता है।
मुंबई के एक प्रमुख ज्वैलर के मुताबिक वित्त मंत्री का प्रस्ताव लागू करना मुश्किल है। कल्याण ज्वैलर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक टी एस कल्याणरामन ने कहा, 'नकद सौदों को हतोत्साहित करने की सरकार की पहल ठीक है। हालांकि इस पर अमल चरणबद्ध तरीके से होना चाहिए, क्योंकि सोना और इससे बने आभूषणों के खरीदारों के वर्ग, विशेष रूप से ग्रामीण खरीदारों के पास पैन कार्ड नहीं हैं और अभी उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों के नेटवर्क से जोड़ा जाना है।'
स्वर्ण मुद्रीकरण नियम मई तक होंगे जारी
घरेलू सोने के लिए स्वर्ण खाते से संबंधित नियम मई तक जारी होने की संभावना है। यह योजना अभी जारी स्वर्ण जमा और स्वर्ण धातु ऋण योजना की जगह लेगी। वित्त मंत्री के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। वित्त सचिव राजीव महॢष ने संवाददाताओं से कहा, 'हम जितना जल्द हो सके, उतनी जल्दी दिशानिर्देश (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर) जारी करना चाहते हैं। इसमें कितना समय लगेगा, इसके बारे में मैं नहीं जानता।' जेटली ने कहा था, 'नई योजना में अपने धातु खाते में सोना जमा कराने वाले लोगों को इस पर ब्याज मिलेगा और ज्वैलर अपने धातु खाते से ऋण ले सकेंगे। बैंक और अन्य डीलर भी इस सोने को बेचकर नकदी हासिल कर सकेंगे।'
आईबीजेए को 'स्वर्ण परिषद' का दर्र्जा
देश में सराफा डीलरों की प्रमुख संस्था इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलरी एसोसिएशन (आईबीजेए) को जल्द ही वाणिज्य मंत्रालय से 'स्वर्ण परिषद' की मान्यता मिल सकती है। आईबीजेए को बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन (बीबीए) के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने 25 फरवरी को वाणिज्य मंत्रालय को सिफारिश भेजी थी, जिसमें आईबीजेए को 'स्वर्ण परिषद' के रूप में मान्यता देने और उसे सोने से संबंधित नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में शामिल करने पर विचार करने को कहा गया था। आईबीजेए 1,000 से ज्यादा डीलरों की संस्था है, जिसमें आयातक, बैंक, एनबीएफसी और वितरक शामिल हैं। ये संयुक्त रूप से हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपये के सोने का आयात करते हैं। इस समय सराफा डीलर ज्वैलरों के माध्यम से सरकार के सामने अपनी चिंताएं और परेशानियां रखते हैं। आईबीजेए के सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा, 'स्वर्ण परिषद के दर्जे से हमें सरकार के समक्ष अपनी दिक्कतें रखने और उनका निराकरण कराने में मदद मिलेगी।'
पीएमओ ने आईबीजेए के अध्यक्ष सुरेश जैन के आग्रह पर वाणिज्य मंत्रालय को अपनी सिफारिशें भेजी हैं। स्वर्ण परिषद का दर्जा मिलने से आईबीजेए देश में शीर्ष बेंचमार्क संघ बन जाएगा। पीएमओ ने यह भी कहा था कि उद्योग से संबंधित फैसलों में उसकी सिफारिशों को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी। रोजाना सोने की कीमतें भेजने के लिए आईबीजेए भारतीय रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त एकमात्र संस्था है। इस कीमत को आयात खेप के आकलन के लिए बेंचमार्क माना जाता है। (BS Hindi)
आयकर अधिनियम की धारा 114 (बी) के तहत 5 लाख रुपये से ज्यादा के आभूषण खरीदने के लिए पैन की जानकारी देना जरूरी है। पिछले साल सरकार ने ज्वैलरों के लिए यह अनिवार्य किया था कि वे दो लाख ज्यादा के सोने के सिक्के खरीदने वाले ग्राहकों से पैन का ब्योरा लें। लेकिन इस बजट में वित्त मंत्री ने आभूषण खरीदने के लिए सीमा महज 1 लाख रुपये कर दी।
सोनी ने कहा, 'सरकार ने अब तक 15-20 करोड़ पैन जारी किए हैं। शेष 100 करोड़ आबादी का क्या होगा, जिसमें देश के सुदूरवर्ती गांवों के किसान भी शामिल हैं? सभी आभूषण खरीदते हैं। परिवार में शादी के समय यहां तक की किसान भी 40 से 50 ग्राम सोने के आभूषण खरीदते हैं। इसका मतलब यह कि वे वर्तमान कीमतों पर 30 ग्राम से ज्यादा आभूषण नहीं खरीद सकते। यह अव्यावहारिक है।' इस बीच ज्वैलरों का मानना है कि इसे लागू करना मुश्किल होगा, क्योंकि सोना खरीदने के लिए बाजार में जाने वाले सभी खरीदारों के पास पैन कार्ड नहीं होता है।
मुंबई के एक प्रमुख ज्वैलर के मुताबिक वित्त मंत्री का प्रस्ताव लागू करना मुश्किल है। कल्याण ज्वैलर्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक टी एस कल्याणरामन ने कहा, 'नकद सौदों को हतोत्साहित करने की सरकार की पहल ठीक है। हालांकि इस पर अमल चरणबद्ध तरीके से होना चाहिए, क्योंकि सोना और इससे बने आभूषणों के खरीदारों के वर्ग, विशेष रूप से ग्रामीण खरीदारों के पास पैन कार्ड नहीं हैं और अभी उन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों के नेटवर्क से जोड़ा जाना है।'
स्वर्ण मुद्रीकरण नियम मई तक होंगे जारी
घरेलू सोने के लिए स्वर्ण खाते से संबंधित नियम मई तक जारी होने की संभावना है। यह योजना अभी जारी स्वर्ण जमा और स्वर्ण धातु ऋण योजना की जगह लेगी। वित्त मंत्री के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। वित्त सचिव राजीव महॢष ने संवाददाताओं से कहा, 'हम जितना जल्द हो सके, उतनी जल्दी दिशानिर्देश (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना पर) जारी करना चाहते हैं। इसमें कितना समय लगेगा, इसके बारे में मैं नहीं जानता।' जेटली ने कहा था, 'नई योजना में अपने धातु खाते में सोना जमा कराने वाले लोगों को इस पर ब्याज मिलेगा और ज्वैलर अपने धातु खाते से ऋण ले सकेंगे। बैंक और अन्य डीलर भी इस सोने को बेचकर नकदी हासिल कर सकेंगे।'
आईबीजेए को 'स्वर्ण परिषद' का दर्र्जा
देश में सराफा डीलरों की प्रमुख संस्था इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलरी एसोसिएशन (आईबीजेए) को जल्द ही वाणिज्य मंत्रालय से 'स्वर्ण परिषद' की मान्यता मिल सकती है। आईबीजेए को बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन (बीबीए) के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने 25 फरवरी को वाणिज्य मंत्रालय को सिफारिश भेजी थी, जिसमें आईबीजेए को 'स्वर्ण परिषद' के रूप में मान्यता देने और उसे सोने से संबंधित नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में शामिल करने पर विचार करने को कहा गया था। आईबीजेए 1,000 से ज्यादा डीलरों की संस्था है, जिसमें आयातक, बैंक, एनबीएफसी और वितरक शामिल हैं। ये संयुक्त रूप से हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपये के सोने का आयात करते हैं। इस समय सराफा डीलर ज्वैलरों के माध्यम से सरकार के सामने अपनी चिंताएं और परेशानियां रखते हैं। आईबीजेए के सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा, 'स्वर्ण परिषद के दर्जे से हमें सरकार के समक्ष अपनी दिक्कतें रखने और उनका निराकरण कराने में मदद मिलेगी।'
पीएमओ ने आईबीजेए के अध्यक्ष सुरेश जैन के आग्रह पर वाणिज्य मंत्रालय को अपनी सिफारिशें भेजी हैं। स्वर्ण परिषद का दर्जा मिलने से आईबीजेए देश में शीर्ष बेंचमार्क संघ बन जाएगा। पीएमओ ने यह भी कहा था कि उद्योग से संबंधित फैसलों में उसकी सिफारिशों को शीर्ष प्राथमिकता दी जाएगी। रोजाना सोने की कीमतें भेजने के लिए आईबीजेए भारतीय रिजर्व बैंक से मान्यता प्राप्त एकमात्र संस्था है। इस कीमत को आयात खेप के आकलन के लिए बेंचमार्क माना जाता है। (BS Hindi)
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