आमतौर पर चांदी की चमक सोने की कीमतें गिरने के बाद भी बरकरार रहती हैं।
हालांकि पिछले दो सालों में चांदी की कीमत सोने के मुकाबले काफी तेजी से
गिरी है।
कारोबारियों ने इस अवसर का इस्तेमाल किया। 2014 में चांदी आयात 6,842 टन के उच्च स्तरों तक पहुंच गया। पिछले साल के मुकाबले इसमें 18 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। मूल्य के लिहाज से हालांकि आयात खर्च चांदी की कीमतों में आई गिरावट के कारण कम हो गया। वर्ष 2014 में चांदी आयात 4.04 अरब डॉलर का रहा जबकि पिछले साल 4.12 अरब डॉलर की चांदी आयात की गई थी। मुंबई में चांदी की कीमतें वर्ष 2013 में 24 फीसदी और 2014 में अतिरिक्त 15 फीसदी गिर गईं।
भारत का सोना आयात खर्च पिछले दो सालों के दौरान 30-35 अरब डॉलर रहा। कुल आयात 750-800 टन रहा। सोने के कारोबार पर वर्ष 2013-14 के दौरान नियंत्रण बढऩे के कारण कई कारोबारियों ने चांदी का रुख किया। पिछले चार साल के मुकाबले करीब आधी रह गई कीमतों के कारण इस जिंस की ओर निवेशकों का आकर्षण काफी तेजी से बढ़ा।
चांदी के आभूषणों की बढ़ती मांग भी आयात में बढ़ोतरी की एक वजह रही। मूल्यवान धातुओं की कीमतों का विश्लेषण करने वाली कंपनी जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स में वरिष्ठï विश्लेषक सुदीश नांबियात ने कहा, 'अधिक निवेश मांग और जोखिममुक्त प्रतिफल के कारण कारोबार में इजाफा हुआ है। कीमतें गिरने के कारण लोगों ने बड़ी मात्रा में चांदी की चीजों और आभूषणों की खरीदारी की और स्टॉक सुरक्षित कर लिया।'
आयात के साथ चांदी का कारोबार भी काफी बदल गया है, खासतौर पर समुद्री मार्ग से आने वाली चांदी का कारोबार मुख्य रूप से अहमदाबाद तक सीमित हो गया है। कुल चांदी आयात में समुद्री मार्ग की हिस्सेदारी 60 फीसदी है जबकि शेष 40 फीसदी चांदी हवाई मार्ग से आती है। वर्ष 2014 में समुद्री मार्ग से आने वाली कुल चांदी का करीब आधा हिस्सा अहमदाबाद ही आया। सूत्रों का कहना है कि बंदरगाह के जरिये कारोबार करने की आसानी की वजह से आयातित माल बंदरगाहों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मुंबई की मांग भी अहमदाबाद बंदरगाह के जरिये पूरी हो जाती है। दक्षिण भारत में सलेम और चेन्नई और उत्तर भारत में आगरा में चांदी कारोबार की गतिविधियों में तेजी देखने को मिल रही है।
जीएफएमएस आंकड़ों के मुताबिक भारत के लिए प्रमुख चांदी निर्यातक के तौर पर जर्मनी काफी तेजी से आगे आया है। चीन, हॉन्ग कॉन्ग और ताईवान, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस भारत को सबसे अधिक चांदी निर्यात करने वाले निर्यातक हैं। अहमदाबाद के आम्रपाली समूह के निदेशक मोनल ठक्कर ने कहा, 'चांदी की मांग में आई तेजी मुख्य रूप से निवेश के अवसर के तौर पर चांदी की उपयोगिता की वजह से है।' (BS Hindi)
कारोबारियों ने इस अवसर का इस्तेमाल किया। 2014 में चांदी आयात 6,842 टन के उच्च स्तरों तक पहुंच गया। पिछले साल के मुकाबले इसमें 18 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। मूल्य के लिहाज से हालांकि आयात खर्च चांदी की कीमतों में आई गिरावट के कारण कम हो गया। वर्ष 2014 में चांदी आयात 4.04 अरब डॉलर का रहा जबकि पिछले साल 4.12 अरब डॉलर की चांदी आयात की गई थी। मुंबई में चांदी की कीमतें वर्ष 2013 में 24 फीसदी और 2014 में अतिरिक्त 15 फीसदी गिर गईं।
भारत का सोना आयात खर्च पिछले दो सालों के दौरान 30-35 अरब डॉलर रहा। कुल आयात 750-800 टन रहा। सोने के कारोबार पर वर्ष 2013-14 के दौरान नियंत्रण बढऩे के कारण कई कारोबारियों ने चांदी का रुख किया। पिछले चार साल के मुकाबले करीब आधी रह गई कीमतों के कारण इस जिंस की ओर निवेशकों का आकर्षण काफी तेजी से बढ़ा।
चांदी के आभूषणों की बढ़ती मांग भी आयात में बढ़ोतरी की एक वजह रही। मूल्यवान धातुओं की कीमतों का विश्लेषण करने वाली कंपनी जीएफएमएस थॉमसन रॉयटर्स में वरिष्ठï विश्लेषक सुदीश नांबियात ने कहा, 'अधिक निवेश मांग और जोखिममुक्त प्रतिफल के कारण कारोबार में इजाफा हुआ है। कीमतें गिरने के कारण लोगों ने बड़ी मात्रा में चांदी की चीजों और आभूषणों की खरीदारी की और स्टॉक सुरक्षित कर लिया।'
आयात के साथ चांदी का कारोबार भी काफी बदल गया है, खासतौर पर समुद्री मार्ग से आने वाली चांदी का कारोबार मुख्य रूप से अहमदाबाद तक सीमित हो गया है। कुल चांदी आयात में समुद्री मार्ग की हिस्सेदारी 60 फीसदी है जबकि शेष 40 फीसदी चांदी हवाई मार्ग से आती है। वर्ष 2014 में समुद्री मार्ग से आने वाली कुल चांदी का करीब आधा हिस्सा अहमदाबाद ही आया। सूत्रों का कहना है कि बंदरगाह के जरिये कारोबार करने की आसानी की वजह से आयातित माल बंदरगाहों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मुंबई की मांग भी अहमदाबाद बंदरगाह के जरिये पूरी हो जाती है। दक्षिण भारत में सलेम और चेन्नई और उत्तर भारत में आगरा में चांदी कारोबार की गतिविधियों में तेजी देखने को मिल रही है।
जीएफएमएस आंकड़ों के मुताबिक भारत के लिए प्रमुख चांदी निर्यातक के तौर पर जर्मनी काफी तेजी से आगे आया है। चीन, हॉन्ग कॉन्ग और ताईवान, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस भारत को सबसे अधिक चांदी निर्यात करने वाले निर्यातक हैं। अहमदाबाद के आम्रपाली समूह के निदेशक मोनल ठक्कर ने कहा, 'चांदी की मांग में आई तेजी मुख्य रूप से निवेश के अवसर के तौर पर चांदी की उपयोगिता की वजह से है।' (BS Hindi)
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