कुल पेज दृश्य

2106435

27 मार्च 2015

बदल जाएगी कमोडिटी मार्केट की तस्वीर

इस साल बजट में जो सबसे बड़ा ऐलान हुआ है वह है एफएमसी का सेबी के साथ मर्जर यानी विलय। ये सिर्फ दो संस्थाओं का मर्जर नहीं है। इसके जरिए देश में एक बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस फैसले से जिस तरीके से इस देश में एग्रीकल्चर चलता है, जिस तरीके इस देश में कैपिटल मार्केट चलता है, उसमें आगे चल कर बड़ा बदलाव होने वाला है। इसी मुद्दे पर वायदा बाजार आयोग यानि एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने सीएनबीसी आवाज़ के प्रधान संपादक संजय पुगलिया के साथ हुई खास मुलाकात में अपनी राय रखी।

रमेश अभिषेक ने कहा कि सेबी के साथ एफएमसी के मर्जर के बाद कमोडिटी मार्केट के ढ़ांचे में बड़े बदलाव होंगे। ये मर्जर वित्त वर्ष 2016 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। रमेश अभिषेक ने बताया कि मर्जर के एक साल बाद तक एफएमसी के नियम लागू रहेंगे। और 1 साल बाद सेबी वेयर हाउसिंग पर अपने नए नियम जारी करेगी।

रमेश अभिषेक ने कहा कि इस मर्जर के बाद कमोडिटी डेरीवेटिव्स, सिक्युरिटीज के परिभाषा में शामिल हो जाएंगे। कमोडिटी डेरीवेटिव्स के सिक्युरिटीज के परिभाषा में शामिल होने के बाद इनको लॉन्च करने का फैसला सेबी के हाथों में होगा। उन्होंने बताया की सेबी में विलय के बाद एफएमसी पूरी तरह से भंग हो जाएगी।

रमेश अभिषेक का मानना है कि कमोडिटी के लिए नेशनल मार्केट बनाने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म की जरूरत है। ऑनलाइन ट्रेडिंग के जरिए किसान अपनी फसल की प्राइस डिस्कवरी कर सकेंगे। ऑनलाइन ट्रेडिंग से किसानों को वित्तीय फैसले लेने में आसानी होगी।

रमेश अभिषेक के मुताबिक देश में कमोडिटी मार्केट में भरोसा बढ़ाने के लिए वेयर हाउसिंग सिस्टम  को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 सालों के दौरान वेयर हाउसिंग सिस्टम को दुरुस्त किए जाने के लिए काफी काम किया गया है। पिछले साल वेयर हाउसिंग के लिए नए नियम बनाये गए थे जो कि 1 साल तक लागू रहेंगे। विलय के 1 साल पूरे होने के बाद सेबी वेयर हाउसिंग पर अपने नियम और कंट्रोल बना पाएगा।

रमेश अभिषेक ने कहा कि जीएसटी लागू होने से काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद देश में गुड्स की आवाजाही काफी आसान हो जाएगी। इससे देश में कमोडिटी का नेशनल मार्केट बनाने में मदद मिलेगी।

रमेश अभिषेक ने कहा कि एग्री में ज्यादातर वही लोग ट्रेड करते हैं जो फिडिकल मार्केट में कारोबार करते हैं। उन्होंने कहा कि एग्री कमोडिटीज का कारोबार बढ़ाने के लिए नान-एग्री या बुलियन मार्केट की तरह डिलिवरी शुरू होनी चाहिए।

रमेश अभिषेक के मुताबिक एफआईआई को कमोडिटी ट्रेडिंग की मंजूरी देने से बाजार की गहराई बढ़ेगी लेकिन इससे साथ जुड़े रिस्क को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए रेग्यूलेटर एफआईआई को कमोडिटी ट्रेडिंग की मंजूरी देने के पहले कड़ा अध्ययन करेगा।

रमेश अभिषेक ने कहा कि एफटीएल-एनएसईएल मामले में टिप्पणी करना उचित नहीं होगा, इसका फैसला सरकार के हाथ में है। उन्होंने कहा कि एनएसईएल मामले में कानूनी प्रक्रिया में जितना समय लगता है, वो तो लगेगा ही, फैसला कब तक आएगा इस पर कुछ कहना मुश्किल है। उन्होंने आगे कहा कि एनएसईएल मामले में महाराष्ट्र की एजेंसियों को जांच करनी है। रमेश अभिषेक ने बताया कि एनएसईएल मामले में अब तक निवेशकों को करीब 370 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। .... स्रोत : CNBC-Awaaz

कोई टिप्पणी नहीं: