आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के मुद्दे पर रेडियों के माध्यम से किसानों से मन की बात तो की लेकिन उनकी बाते सुनकर देष के ज्यादातर किसानों को निराषा ही हुई है।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता अध्यक्ष राकेष टिकैत के बताया कि किसानों को उम्मीद थी कि सरकार गठन के दस माह बाद आखिर प्रधानमंत्री को देष के किसान की याद तो आई लेकिन मोदी ने किसानों से किए गए वायदे, कि किसानों को फसलों की लागत का 50 फीसदी जोड़कर लाभकारी मूल्य देना, किसानों को आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा राषि का एलान करना, किसानों की आमदनी सुनिष्चित करना, किसानों की बढ़ रही आत्महत्या रोकने जैसे गंभीर मुद्दो पर प्रधानमंत्री कोई ठोस जानकारी नहीं दी, लेकिन केवल भूमि अधिग्रहण बिल पर ही अपनी सफाई देते नजर आए।
उन्होंने कहा कि इससे किसानों में भारी निराषा हुई है, प्रधानमंत्री ने इतने बड़े मंच से देष के किसानों को गुमराह किया है। भूमि अधिग्रहण बिल पर भी मोदी ने किसानों को गुमराह करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने बिल में बदलाव कर 13 दूसरे कानून जिनके अंतर्गत भी जमीन का अधिग्रहण होता है, उनको भी इस कानून की परिधि में लाया गया है, यह बात प्रधानमंत्री ने गलत कही है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में स्पश्ट लिखा था कि दूसरे कानून भी एक साल के अंदर इसकी परिधि में आ जायेंगे। पहले कानून में सभी प्रभावितों को नौकरी का प्रावधान था लेकिन भाजपा ने इसे बदलकर केवल खेती मजदूर परिवार कर दिया। मुआवजे की राषि में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। भाकियू का दावा है कि चार गुणा राषि मिलेगी, इसमें भी बड़ा खेल है क्योंकि सर्किल रेट, वास्तविक मूल्य से काफी कम हैं। अतः देष के किसान प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि उनको भी अपने मन की बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए।......आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के मुद्दे पर रेडियों के माध्यम से किसानों से मन की बात तो की लेकिन उनकी बाते सुनकर देष के ज्यादातर किसानों को निराषा ही हुई है।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता अध्यक्ष राकेष टिकैत के बताया कि किसानों को उम्मीद थी कि सरकार गठन के दस माह बाद आखिर प्रधानमंत्री को देष के किसान की याद तो आई लेकिन मोदी ने किसानों से किए गए वायदे, कि किसानों को फसलों की लागत का 50 फीसदी जोड़कर लाभकारी मूल्य देना, किसानों को आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा राषि का एलान करना, किसानों की आमदनी सुनिष्चित करना, किसानों की बढ़ रही आत्महत्या रोकने जैसे गंभीर मुद्दो पर प्रधानमंत्री कोई ठोस जानकारी नहीं दी, लेकिन केवल भूमि अधिग्रहण बिल पर ही अपनी सफाई देते नजर आए।
उन्होंने कहा कि इससे किसानों में भारी निराषा हुई है, प्रधानमंत्री ने इतने बड़े मंच से देष के किसानों को गुमराह किया है। भूमि अधिग्रहण बिल पर भी मोदी ने किसानों को गुमराह करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने बिल में बदलाव कर 13 दूसरे कानून जिनके अंतर्गत भी जमीन का अधिग्रहण होता है, उनको भी इस कानून की परिधि में लाया गया है, यह बात प्रधानमंत्री ने गलत कही है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में स्पश्ट लिखा था कि दूसरे कानून भी एक साल के अंदर इसकी परिधि में आ जायेंगे। पहले कानून में सभी प्रभावितों को नौकरी का प्रावधान था लेकिन भाजपा ने इसे बदलकर केवल खेती मजदूर परिवार कर दिया। मुआवजे की राषि में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। भाकियू का दावा है कि चार गुणा राषि मिलेगी, इसमें भी बड़ा खेल है क्योंकि सर्किल रेट, वास्तविक मूल्य से काफी कम हैं। अतः देष के किसान प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि उनको भी अपने मन की बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए।......आर एस राणा
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