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07 जुलाई 2010

मल्टी-ब्रांड रीटेल में फिर FDI की सुगबुगाहट

नई दिल्ली : सरकार ने एक चर्चा पत्र सामने रखकर मल्टी-ब्रांड रीटेल में विदेशी निवेश पर बहस का नया दौर शुरू कर दिया है। हालांकि, उसने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर अब तक कोई फैसला नहीं किया। मंगलवार को विदेशी निवेश पॉलिसी से जुड़ी नोडल एजेंसी औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) की ओर से जारी दस्तावेज में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ऊपरी सीमा का सुझाव नहीं दिया, लेकिन इस बात पर राय मांगी कि क्या सेक्टर के दरवाजे विदेशी निवेश के लिए खोल दिए जाने चाहिए। डीआईपीपी के सचिव आर पी सिंह ने रीटेल में एफडीआई को लेकर अपनाए जाने वाले सरकार के सतर्क रुख का बचाव करते हुए कहा, 'हम सतर्कता के साथ रीटेल में एफडीआई पर कदम आगे बढ़ाना चाहते हैं। यही वजह है कि हमने निरीक्षण-परीक्षण वाला रवैया अपनाया है।' उन्होंने कहा, 'हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर में भी एफडीआई के फायदे मिले और निवेश केवल फ्रंट-एंड में आकर न रह जाए। फिलहाल हम इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि रीटेल में एफडीआई क्रांतिकारी साबित होगा या नहीं।' देश में मल्टी-ब्रांड रीटेल में जहां विदेशी निवेश की इजाजत नहीं है, वहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सिंगल-ब्रांड रीटेल में 51 फीसदी तक इन्वेस्टमेंट की मंजूरी मिली हुई है। होलसेल ट्रेडिंग में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी मिली हुई है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8 फीसदी हिस्सेदारी देने वाले रीटेल कारोबार को विदेशी निवेश के लिए खोलने से जुड़ी कोशिशों को काफी विरोध का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण केंद्र में बनने वाली सरकारों को इस मुद्दे को टालने पर मजबूर होना पड़ा।अलग-अलग राजनीतिक दलों ने इस डर को आधार बनाते हुए इसका विरोध किया है कि गहरी जेब रखने वाले दिग्गज विदेशी रीटेलर लाखों किराना स्टोर और ठेले से सामान बेचने वाले वेंडरों को कारोबार से बाहर धकेल देंगे, जिससे करोड़ों लोगों का रोजगार चला जाएगा। अमेरिका की वॉल-मार्ट स्टोर्स और जर्मनी की मेट्रो भारत में होलसेल कारोबार या कैश एंड कैरी सेगमेंट में धंधा करती हैं और लंबी मियाद से दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक में मजबूती से कदम जमाना चाहती हैं। फ्रांसीसी कंपनी कैरफूर भी जल्द ही कारोबार शुरू करने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े रीटेलर वॉल-मार्ट के चेयरमैन एस रॉबसन वॉल्टन ने पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर मल्टी-ब्रांड रीटेल आउटलेट में निवेश की मंजूरी देने का आग्रह किया था। कंपनी फिलहाल भारती समूह के साथ गठबंधन के जरिए भारत में कारोबार कर रही है। रीटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन और रीटेल फर्म शॉपर्स स्टॉप लिमिटेड के वाइस चेयरमैन बी एस नागेश ने कहा, 'सेक्टर में तुरंत विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हमें खास तौर से वित्तीय निवेशकों और प्राइवेट इक्विटी को आकषिर्त करना है।' दस्तावेज में कहा गया है कि भारत में सालाना 1,00,000 करोड़ रुपए के कृषि उत्पाद, फल एवं सब्जियां बरबाद हो रहे हैं और यहां कोल्ड चेन तथा बैंकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है, ताकि इस घाटे को कम कर आधे स्तर पर लाया जा सके। (बीएस हिंदी)

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