बेंगलुरु July 21, 2010
भारत से एल्युमीनियम निर्यात के दिन अगली दो तिमाही में बहुर सकते है। चीन की मुद्रा युआन के प्रभाव और लंदन मेटल एक्सचेंज में भंडार घटने की वजह से निर्यात में तेजी के आसार बन रहे हैं। नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को) के निदेशक (उत्पादन) एके शर्मा ने कहा, 'चीन द्वारा मुद्रा के प्रवाह का सकारात्मक प्रभाव रहेगा, लेकिन निर्यात बढ़ाने में इसकी भूमिका मामूली होगी। बहरहाल एल्युमीनियम की वैश्विक मांग बढ़ रही है और लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में इसका भंडार घट रहा है। इससे निर्यात को समर्थन मिलेगा।'फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) के गैर लौह धातुओं की अध्यक्षता कर रहे शर्मा ने कहा कि नाल्को ने हाल के दिनों में एल्युमीनियम की बिक्री 90 डॉलर प्रति टन के प्रीमियम पर की है। उम्मीद है कि यह आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। यूरोप के देशों में कर्ज के संकट की वजह से एल्युमीनियम की कीमतें गिरी थीं। इस धातु की कीमतें अप्रैल की तीन माह वाली डिलिवरी में 2316 डॉलर प्रति टन थीं, जो जून में गिरकर 1930 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं। इस अवधि के दौरान कीमतों में 16 प्रतिशत की गिरावट आई। अब इसकी कीमतें 2000 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं।शर्मा ने कहा- हम उम्मीद करते हैं कि कीमतें वर्तमान स्तर पर स्थिर रहेंगी और दिसंबर 2010 तक बढ़कर 2150 डॉलर प्रति टन पर पहुंच जाएंगी। एलएमई में वर्तमान में 42 लाख टन के भंडार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- ज्यादातर भंडार के सौदे हो चुके हैं, जबकि हाजिर कारोबार के लिए कम स्टॉक है। साथ ही स्टॉक में कमी से संकेत मिलता है कि इसकी मांग बढ़ रही है। हिंडाल्को ने अपने हाल के विश्लेषण में कहा कि चीन में एल्युमीनियम की खपत इस साल 18 प्रतिशत बढ़कर 164।07 लाख टन हो जाएगी, वहीं भारत में खपत 18 प्रतिशत बढ़क र 16.64 लाख टन होगी। एल्युमीनियम का घरेलू उत्पादन 30 लाख टन सालाना रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन को छोड़कर अन्य देशों में कुल 225.92 लाख टन एल्युमीनियम की जरूरत होगी। चीन के प्रभाव के बारे में विश्लेषकों का कहना है कि वहां पर मांग वर्तमान अनुमान से ज्यादा रहेगी और भविष्य में उसका वैश्विक कारोबार पर असर नजर आएगा। पैराडिगम कमोडिटीज के बिरेन वकील ने कहा, 'चीनी मुद्रा के पुनर्मूल्यांकन का भारत के एल्युमीनियम बाजार पर मामूली असर रहेगा। भारत का बाजार स्थिर है। वहीं यूरोप के देशों में आर्थिक सुधार की वजह से मांग पर सरकारात्मक असर पड़ेगा।' उद्योग जगत के अन्य जानकारों की भी यही राय है। जेआरजी वेल्थ मैनेजमेंट के विश्लेषक गौतम कोडेरी ने कहा- युवान के पुनर्मूल्यांकन का असर वर्तमान में मामूली होगा, दीर्घावधि में इसका असर दिखने की उम्मीद है।उन्होंने कहा कि एलएमई में भंडार घटने से संकेत मिलता है कि इस समय एल्युमीनियम की मांग बढ़ रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि एल्युमीनियम ईटीएफ की खरीद का समर्थन भी कीमतों को मिलेगा। (बीएस हिंदी)
22 जुलाई 2010
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