चंडीगढ़ July 30, 2010
कुछ इलाकों में बाढ़ और फसलों को हुए नुकसान के बावजूद पंजाब को मौजूदा खरीफ के मौसम में बेहतर पैदावार की उम्मीद है। धान (बासमती) की रोपाई जोरों पर है और यह अगस्त के मध्य तक चलेगी। गैर-बासमती धान को 30 जून तक बोया जाता है, क्योंकि इसके बाद रोपाई करने पर फसलें कमजोर पड़ जाती हैं। धान को अनुमानत: 28।02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जाना है। पंजाब के कृषि विभाग के मुताबिक वर्ष 2009-10 में कुल धान उत्पादन 1.12 करोड़ टन रहा, जबकि इसके इस साल 1.08 करोड़ टन रहने के उम्मीद है।पंजाब के कृषि मंत्री सच्चा सिंह लंघा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि मॉनसून के कारण हो रही भारी बरसात से इस साल 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र के किसानों पर मुसीबत आई है। लेकिन राज्य सरकार ने किसानों लिए धान नर्सरियां उपलब्ध करवाई हैं। जिन स्थानों पर पानी घटा है, वहां फिर से रोपाई का काम शुरू हो गया है। धान के अंतिम उत्पादन का झुकाव बासमती की ओर हो सकता है, क्योंकि यह देर से बोई जाने वाली किस्म है। गैर-बासमती फसलों को हुए नुकसान की भरपाई बासमती से हो जाएगी। बाढ़ प्रभावित इलाकों में तोरिया और मक्का भी विकल्प के तौर पर उगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि गिरदावरी अभी पूरी नहीं हुई है इसलिए किसी तथ्यात्मक रिपोर्ट के बारे में बात करना फिलहाल जल्दबाजी होगी। इस मौसम में राज्य में औसत बरसात 660 मिमी रही है और अब तक यह सामान्य है। सिंचाई व्यवस्था ढह जाने सेयह बाढ़ आई। सिर्फ बरसात ही बाढ़ का कारण नहीं है। कपास को अनुमानत: 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। यह पिछले साल से 40,000 हेक्टेयर ज्यादा होगा। इसका उत्पादन 25 लाख बेल (एक बेल में 170 किलोग्राम होते हैं) तक पहुंच सकता है। पिछले साल के उत्पादन से यह 20 फीसदी ज्यादा हो सकती है। पिछले साल के मुकाबले मक्के में 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। राज्य ने पिछले साल 4.52 लाख टन मक्के का उत्पादन किया था। राज्य के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए 10,000 रुपये प्रति एकड़ का हर्जाना चाहा है। आपदा राहत कोष के नियमों के मुताबिक अगर किसी फसल का नुकसान 50 फीसदी से ज्यादा है तो उसे प्रति एकड़ 1,600 रुपये का हर्जाना दिया जाता है। (बीएस हिंदी)
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