July 25, 2010
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के सामान्य प्रदर्शन से जलाशयों में जल संग्रह को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, यद्यपि कुछ क्षेत्रों को छोड़ दें तो खरीफ फसल की बुआई में कोई दिक्कत नहीं हुई।गौर करने वाली बात है कि पश्चिम से पूरब तक गुजरात, पूर्वी राजस्थान, मध्यप्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और गंगातटीय पश्चिम बंगाल तक फैले मध्य भारत में बारिश की कमी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र के कई हिस्सों से अच्छी बुआई की रिपोर्टें मिल रही हैं। लेकिन खराब वर्षा से मध्य प्रदेश-राजस्थान में सोयाबीन और गुजरात में मूंगफली की फसल काफी हद तक प्रभावित हुई है। इस वजह से मुंबई के बाजार में सोयाबीन और मूंगफली तेल के दामों में उछाल आ गया है।उधर, खुशबूदार बासमती वाले क्षेत्रों में बुआई क्षेत्र में जोरदार इजाफा देखने को मिला है, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के वे क्षेत्र जो बाढ़ से प्रभावित रहे थे। वहां बाढ़ के पानी की निकासी के बाद किसानों ने बासमती की बुआई कर दी है। इससे गुणवत्ता वाले चावलों के निर्यात के लिए अच्छा है।समग्र रूप से देखा जाए तो गत वर्ष की तुलना में 22 जुलाई तक धान, मोटा अनाज, तिलहन, दहलन, गन्ना, कपास, जूट सहित लगभग सभी फसलों के बुआई क्षेत्र में इजाफा देखने को मिला है।भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) को पूरा भरोसा है कि सितंबर के अंत तक बारिश की कमी की भरपाई हो जाएगी। 21 जुलाई तक मॉनसून में 14 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी। 23 जुलाई को आईएमडी द्वारा जारी बयान के मुताबिक, भूमध्यरेखीय हवाओं के प्रवाह के तेज होने से और पश्चिम तट से हवाओं के चलने से मॉनसून मजबूत हुआ है। आईएमडी ने बताया कि अगले सप्ताह मध्य, उत्तर और पश्चिम भारत में मॉनसून और मजबूत होने की संभावना है। अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो मध्य भारत में फसलों के बुआई क्षेत्र में और इजाफा देखने को मिलेगा। खरीफ की फसल को लेकर अब चिंता नहीं है। अब जल संग्रहण को लेकर चिंताएं ज्यादा हैं जो लगातार बढ़ती जा रही है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) के मुताबिक, 22 जुलाई तक देश के 81 बड़े जलाशयों में 28।65 अरब घन मीटर पानी मौजूद था। जो सामान्य (पिछले 10 वर्षों का औसत) से 35 फीसदी कम और गत वर्ष की तुलना में 32 फीसदी कम था। इससे सिंचाई और बिजली उत्पादन को लेकर समस्या पैदा हो सकती है, क्योंकि 81 जलाशयों में से 36 पर बिजली संयंत्र लगे हुए हैं। केरल और तमिलनाडु को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में स्थित बांधों में जल संग्रह क्षमता से 40 फीसदी कम है। विशेषकर पूर्वी राज्यों में तो हालात और भी खराब हैं। पश्चिम बंगाल के बांधों में पानी सामान्य से 78 फीसदी कम, उड़ीसा में 67 फीसदी और झारखंड में 42 फीसदी कम है। कुछ ऐसी ही स्थिति राजस्थान में भी है जहां 22 जुलाई को जलस्तर 62 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 33 फीसदी कम था। उधर, मॉनसून अवधि के साथ ही बारिश में कमी बढ़ती जा रही है। जो 6 जून को 6 फीसदी से बढ़कर मध्य जून तक 16 फीसदी तक पहुंच गई थी। यद्यपि 21 जुलाई तक 14 फीसदी के साथ इसमें कुछ कमी देखने को मिली। हालांकि, मॉनसून को लेकर चिंता अभी तक खत्म नहीं हुई हैं क्योंकि मॉनसून का आधा समय लगभग खत्म हो चुका है। (बीएस हिंदी)
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