हैदराबाद July 19, 2010
उर्वरक क्षेत्र में खास तौर से यूरिया के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए रसायन और उर्वरक मंत्रालय नई निवेश नीति ला सकता है। उर्वरक विभाग के संयुक्त सचिव सतीश चंद्रा ने बताया, आने वाले कुछ महीनों में नई नीति आ सकती है। हमें उम्मीद है कि इस नीति के बाद नए यूरिया संयंत्र खोले जाएंगे और देश यूरिया उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होगा।सोमवार को रसायन उर्वरक पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए चंद्रा ने यह भी कहा कि यूरिया उत्पादन की बंद पड़ी सरकारी क्षेत्र की 8 इकाइयों को फिर से शुरू करने के लिए नीति भी जल्द ही आ सकती है। उन्होंने कहा, इस मामले में चर्चा अभी विभागीय स्तर पर है। साथ ही उन्होंने बताया कि इनके पुनरुत्थान के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी और दूसरे तमाम विकल्पों पर विचार किया गया है। 11 लाख टन क्षमता की ये आठ सरकारी इकाइयां रामागुंडम (आंध्रप्रदेश), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), कोरबा (छत्तीसगढ़), तलचर (उड़ीसा), दुर्गापुर और हल्दिया (पश्चिम बंगाल), बरौनी (बिहार) और सिंदरी (झारखंड) में हैं।चंद्रा ने कहा कि कंपनी स्तर से उपभोक्ता तक उर्वरक बिक्री की पूरी श्रृंखला अपने नियंत्रण में करने के लिए मंत्रालय जल्दी ही एक ईआरपी व्यवस्था अपनाएगा। बेचे गए उर्वरक की प्रत्येक मात्रा जिसके लिए सब्सिडी मुहैया कराई गई हो, उस पर नजर रखी जाएगी। इसके बाद किसानों को सीधे सब्सिडी की राशि देने संबंधी कदमों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पोषण आधारित सब्सिडी नीति (एनबीएस) जिसके तहत फॉस्फेट और पोटैशियम उर्वरकों को नियंत्रण मुक्त किया गया, का विस्तार दूसरे चरण में यूरिया तक किया जाना था जिसकी व्यवस्था फिलहाल तय की जा रही है। चंद्रा ने कहा कि उद्योग को एक बहुत ही सरल और पारदर्शी यूरिया नीति चाहिए। नागार्जुन फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के एस राजू ने ऐसी नीति की जरूरत पर जोर दिया जिससे निरंतर विकास सुनिश्चित किया जा सके। (बीएस हिंदी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें