नई दिल्ली July 30, 2010
यूरोप में आर्थिक हालात बिगडऩे के बाद धातुओं की मांग और दाम दोनों ही घट चुके हैं, लेकिन अब पश्चिमी देशों में धातुओं की मांग लगातार बढ़ रही है। इससे चालू वर्ष में पिछले साल के मुकाबले धातुओं की खपत और कीमत दोनों अधिक रहने का अनुमान है। यह बात शुक्रवार को लंदन आधारित नैटिक्सिस कमोडिटी मार्केट्स लिमिटेड की रिपोर्ट से निकलकर आई है।रिपोर्ट में कहा गया कि विकासशील देशों में विकास दर काफी मजबूत है। रूस, भारत , चीन और इंडोनेनिया में ऑटो सेक्टर काफी विकास कर रहा है। इस कारण धातुओं की मांग बढऩे पर इनकी कीमतों में तेजी के आसार है।रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष तांबे की वैश्विक खपत 8 फीसदी बढ़कर 189 लाख टन, एल्युमीनियम 12 फीसदी बढ़कर 393 लाख टन, सीसे की खपत 8।3 फीसदी बढ़कर 93.37 लाख टन, जस्ता की खपत 8.अंतरराष्ट्रीय बाजार में धातुओं के दाम भी तेज रहने की संभावना है। इस साल लंदन मेटल एक्सचेंज में तांबे के दाम करीब 40 फीसदी बढ़कर 7,230 डॉलर, एल्युमीनियम के दाम 28.8 फीसदी बढ़कर 2,148 डॉलर, निकल के दाम 42.8 फीसदी बढ़कर 20,995 डॉलर , सीसा के दाम 18.3 फीसदी बढ़कर 2,041 डॉलर ,जस्ता के दाम 27.4 फीसदी 2,114 डॉलर और टिन के दाम 34.3 फीसदी बढ़कर 18,250 डॉलर प्रति टन रहने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकल के स्टॉक में लगातार गिरावट आ रही है। इस वजह से भी इसकी कीमतों में तेजी को बल मिल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय के लिए वित्तीय समझौतों को एल्युमीनियम की मांग पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। धातुओं के कारोबार के बारे में ऐंजल ब्रोकिंग के धातु विश्लेषक अनुज गुप्ता का कहना है कि चालू वर्ष के शुरूआती तीन माह के दौरान इनकी वैश्विक मांग बढऩे के कारण कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन अप्रैल में यूरोप आर्थिक संकट की वजह से इनके दाम नीचे गए थे। अब वैश्विक इक्विटी बाजार तेज होने के कारण धातुओं की कीमतों में सुधार हो रहा है। (बीएस हिंदी)
31 जुलाई 2010
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