हैदराबाद July 27, 2010
इस जुलाई में आंध्र प्रदेश में इस दशक की सबसे ज्यादा वर्षा हो रही है। इस वर्षा को देखते हुए सामान्य बुआई क्षेत्र 21 जुलाई तक 22।5 फीसदी बढ़कर 47 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 38.2 लाख हेक्टेयर था। जैसे-जैसे खरीफ का मौसम आगे बढ़ेगा अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल बुआई क्षेत्र बढ़कर 82.2 लाख हेक्टेयर हो जाएगा। कृषि मंत्री एन रघुवीर रेड्डी के मुताबिक 78 लाख हेक्टेयर के सामान्य बुआई क्षेत्र से यह 4 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र 2.75 करोड़ हेक्टेयर है। इसमें आमतौर पर 40 फीसदी क्षेत्र शुद्ध बोया क्षेत्र (मछलीपालन समेत) होता है।उन्होंने कहा कि करनूल, प्रकाशम और अनंतपुर जिलों समेत अन्य फसलों में कपास की अकेले हिस्सेदारी में ही इस साल 6 लाख एकड़ की बढ़ोतरी होगी। इसके बाद मूंगफली की बारी आती है। पिछले साल 3.57 लाख एकड़ में मूंगफली बोई गई थी, जबकि इस साल 9.92 एकड़ में मूंगफली की बुआई की गई। इस 21 जुलाई तक धान की बुआई में जरा सी बढ़ोतरी रही। इसे 380,985 हेक्टेयर में बोया गया, जबकि पिछले साल यह बुआई 346,579 हेक्टेयर क्षेत्र में की गई। मक्का और सोयाबीन में इस बार कुछ गिरावट रही। चीनी पिछले साल जहां बेहतर नहीं थी, इस मौसम में उसकी बुआई बढ़ेगी। खेती के क्षेत्र में बढ़ोतरी के लिए अच्छे मानसून और अच्छे एमएसपी को कारण बताते हुए रेड्डी ने बताया, 'हमें आशा है कि इस पूरे साल में राज्य का खाद्य उत्पादन 2.09 करोड़ टन के आंकड़े को पार कर जाएगा। इसमें खरीफ के दौरान 1.09 करोड़ टन और रबी के दौरान 1.03 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान शामिल है।करीब एक दशक से इस राज्य ने जुलाई के दौरान भारी बरसात नहीं देखी थी। खरीफ की फसल के लिए इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। मगर इस साल बरसात प्रचुर मात्रा में हुई। जुलाई तक आंध्र प्रदेश में 229.4 एमएम के सामान्य स्तर से 23.75 फीसदी ज्यादा 283.9 एमएम बरसात हुई। 2009 में जब राज्य ने पहले सूखे और फिर बाढ़ का सामना किया तो 39 फीसदी गिरावट के साथ बरसात 140.6 एमएम रही। 2008 की समान अवधि में बरसात 34 फीसदी कम हुई। इस दौरान यह मात्रा 151.4 एमएम रही। गोदावरी बेसिन के जलग्रह क्षेत्र में भारी बरसात के कारण प्रमुख जलाशयों में 473.74 हजार मिलियन क्यूबिक (टीएमसी) फुट पानी भर गया है। पिछले साल यह भराव 450.51 टीएमसी फुट पानी था।इस मौसम के दौरान राज्य सरकार भी श्री वरि (चावल आधिक्य की व्यवस्था) पर जागरुकता फैला रही है। चित्तूर, कडप्पा और नेल्लोर जैसे जिलों में धान की रोपाई अक्टूबर मध्य तक जाती है। यहां रोपाई तेज गति से चल रही है। (बीएस हिंदी)
28 जुलाई 2010
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