कोच्चि July 20, 2010
प्राकृतिक रबर (एनआर) की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। इसका असर कृत्रिम रबर (एसआर) पर पड़ा है और इसकी खपत में तेज बढ़ोतरी हुई है।सामान्यतया भारत में औद्योगिक प्रयोग में प्राकृतिक रबर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन प्राकृतिक रबर की तुलना में कृत्रिम रबर की कीमतें कम होने की वजह से पिछले दो साल के दौरान खपत के तरीके में बदलाव आया है।वर्तमान में प्राकृतिक रबर और कृतिम रबर की खपत का अनुपात 73:27 का है। उम्मीद की जा रही है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह अनुपात 70:30 का रह जाएगा। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक एसआर की खपत 2009-10 के दौरान पिछले साल की तुलना में 18।7 प्रतिशत बढ़कर 347710 टन हो गई है। एक साल पहले इसकी वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत नकारात्मक रही थी। ऑटोमोटिव टायर सेक्टर में 2009-10 के दौरान 238153 टन एसआर की खपत हुई, जबकि 2008-09 के दौरान 185094 टन खपत हुई थी। इसकी वृद्धि दर 28.7 प्रतिशत रही। 2009-10 के दौरान प्राकृतिक रबर की खपत में सिर्फ 13.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं रबर के सामान्य सामान बनाने वाले विनिर्माताओं की रबर की खपत में 2.5 प्रतिशत की कमी आई है और इनके कृत्रिम रबर की खपत में 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं एनआर और एसआर की खपत की हिस्सेदारी 2009-10 के दौरान 73:27 हो गई, जो 2008-09 के दौरान 75:25 थी। एनआर का उत्पादन स्थिर रहा है, या इसके उत्पादन में कमी आई है, जिसके चलते रबर की वैश्विक कीमतों में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है।वहीं कच्चे तेल की कीमतों में कमी होने की वजह से एसआर की कीमतों ने राहत दी है और रबर उद्योग ने प्राकृतिक रबर की तुलना में कृत्रिम रबर का रुख किया है। पिछले 1 साल के दौरान प्राकृतिक रबर की कीमतों में 100 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और इस महीने आरएसएस-4 किस्म की रबर की कीमतें 185 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। वैश्विक बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमतें बढ़कर 3500 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड पर पहुंच गई हैं, वहीं कृत्रिम रबर की कीमतें एशियाई बाजारों में 2500 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। इससे कृत्रिम रबर आकर्षक हो गया है और बड़े उपभोक्ता, जैसे टायर कंपनियां इसका रुख कर रही हैं। वर्तमान में यूरोप और अमेरिका की कंपनियां कृत्रिम रबर को प्राथमिकता दे रही हैं और उनकी खपत का अनुपात 60:40 का हो गया है। लेकिन उत्पादकों के लिए चिंता की बात यह है कि एशियाई देशों में भी कृत्रिम रबर की खपत बढ़ रही है, जहां परंपरागत रूप से प्राकृतिक रबर का प्रयोग होता रहा है। सामान्यतया एनआर और एसआर की कीमतें साथ-साथ चलती हैं, क्योंकि एक का इस्तेमाल दूसरे के विकल्प के रूप में होता है। टायर निर्माताओं की मांग की वजह से वैश्विक कृत्रिम रबर की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, क्योंकि इसे प्राकृतिक रबर के सस्ते विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। (बीएस हिंदी)
21 जुलाई 2010
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