चंडीगढ़ July 28, 2010
बाढ़ के बाद हरियाणा में आई मूसलाधार बरसात ने न सिर्फ बागवानी और कृषि उपज के लिए तबाही का काम किया है, बल्कि इसने हरियाणा में संग्रहित गेहू को भी प्रभावित किया है। राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक इस महीने आई बाढ़ ने कुछ जिलों को बर्बाद कर दिया और इसमें करीब 9000 टन संग्रहित गेहूं भी खराब हो गया है। खराब हुए करीब 9000 टन गेहूं में से 8000 टन गेहूं तो सिरसा के बानी गांव में ही खराब हुआ, वहीं 1000 टन गेहूं कुरुक्षेत्र के इस्लामालियाबाद इलाके में खराब हुआ है।अधिकारियों के मुताबिक सिरसा में खराब हुए 8000 टन गेहूं में से 5000 टन ढका हुआ था, वहीं 3000 टन खुला पड़ा था। इसी तरह कुरुक्षेत्र जिले में भी 1000 टन गेहूं खुले में ही पड़ा था। यह खराब हुआ गेहूं हरियाणा के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और हरियाणा गोदाम निगम के अधीन पड़ा था। केंद्रीय पूल में गेहूं के मामले में हरियाणा पंजाब के बाद दूसरा सबसे ज्यादा योगदान करने वाला राज्य है। हरियाणा में गेहूं मुख्यत: राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा ही प्राप्त किया जाता है। इन एजेंसियों में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, हेफेड, हरियाणा गोदाम निगम और एफसीआई की ओर से कनफेड शामिल हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक हरियाणा के पास फिलवक्त कुल 85 लाख टन संग्रहित गेहूं है। इस 85 लाख टन संग्रहित गेहूं में से सिर्फ 40 लाख टन ही गोदामों में ढक कर रखा हुआ है। बाकी सारा गेहूं खुले में रखा गया है।इस 85 लाख टन गेहूं में से 70 लाख टन राज्य सरकार की प्राप्ति एजेंसियों की निगरानी में है, वहीं बाकी हिस्सा एफसीआई के पास है। हरियाणा क्षेत्र के एफसीआई के महाप्रबंधक अरुण गुप्ता ने स्वीकार किया कि प्राप्त किया हुआ सारा गेहूं गोदामों में रखा जाना चाहिए। (बीएस हिंदी)
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