मुंबई July 22, 2010
आगामी सत्र में गन्ने की भारी पैदावार और बाजार में चीनी की ज्यादा आवक के बावजूद कंपनी बंदरगाहों के करीब ग्रीनफील्ड रिफाइनरी स्थापित करने की योजना टालने के मूड में नहीं हैं।बलरामपुर चीनी, श्री रेणुका शुगर्स, ईआईडी पैरी और सिंभावली शुगर्स सहित पांच प्रमुख चीनी उत्पादकों ने विभिन्न भारतीय बंदरगाहों पास लगभग 1,000 करोड़ रुपये के भारी निवेश से रिफाइनरी स्थापित करने की पेशकश की है। इन रिफाइनरियों की कुल स्थापित क्षमता 6,500 टन प्रति दिन (टीपीडी) होगी।बंदरगाहों के करीब स्थित इन रिफाइनरियों का मुख्य मकसद देश में कच्ची चीनी का आयात कर उसे रिफाइन कर समान मात्रा में चीनी का निर्यात करना है। उद्योग से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मौजूदा नियमों के तहत पूरी कवायद के दौरान चीनी पर किसी तरह का आयात शुल्क नहीं देना होगा।इस समय भारत में कच्ची चीनी के आयात पर किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता है। पिछले दो सत्रों के दौरान चीनी की भारी किल्लत को देखते हुए यह फैसला किया गया था। चूंकि उत्पादन के अनुमानों को करीब 1।5 करोड़ टन से बढ़ाकर 18.8 करोड़ टन कर दिया गया है, और अगले सत्र के दौरान भी पैदावार अच्छी रहने की उम्मीद है, इसलिए कृषि मंत्री शरद पवार ने अगले सत्र की शुरुआत के साथ अक्टूबर में आयात शुल्क लगाने के संकेत दिए हैं।उद्योग व्यापार संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (आईएसएमए) का अनुमान है कि अगले साल कुल उत्पादन करीब 2.5 करोड़ टन रह सकता है जबकि भारत की कुल खपत 2.4 करोड़ टन ही है। इसके अलावा 60 लाख टन के अग्रिम भंडार को देखते हुए अगले सत्र के दौरान चीनी का आयात करने की जरूरत नहीं होगी। (बीएस हिंदी)
23 जुलाई 2010
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