रायपुर July 28, 2010
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के धर्मपुरा गांव के किसान सोमेश यादव मॉनसून की शुरुआत में बहुत सदमें में थे। बारिश की कमी की वजह से नहीं, बल्कि इन इलाके में तेज बारिश ने संकट पैदा कर दिया था। उनके पास 2 एकड़ जमीन है, जिसपर उन्होंने सोयाबीन की फसल बोई थी।बुआई के बाद तेज बारिश हुई और खेत में पानी भर गया। यादव ने कहा, 'एक बार तो मैने सोचा कि जल जमाव के चलते बीज नष्ट हो जाएंगे और फसल बर्बाद हो जाएगी।' लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जुलाई के बीच में 1 हफ्ते तक बारिश नहीं हुई। इससे यादव की फसल बर्बाद होने से बच गई।लेकिन सभी किसान यादव की तरह किस्मत वाले नहीं हैं। तमाम इलाकों में जलजमाव के चलते दलहन और तिलहन की फसल खराब हो गई है। एक गैर सरकारी संगठन एग्रीकॉन के निदेशक और कृषि वैज्ञानिक डॉ संकेत ठाकुर ने कहा, 'राज्य में देर से आए मॉनसून से अच्छी बारिश हुई है। इसकी वजह से खेतों में नमी बहुत ज्यादा है। इसकी वजह से दलहन और तिलहन की बुआई प्रभावित हुई है।'ठाकुर के मुताबिक चालू खरीफ सत्र में दलहन और तिलहन की फसल प्रभावित हो सकती है। लेकिन अधिक पानी होना धान की फसल के लिए बेहतर है। राज्य सरकार का अनुमान है कि 2010-11 सत्र में कुल 35 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई होगी और कुल पैदावार 56 लाख टन रहेगी।राज्य के कृषि विभाग के उप निदेशक आरके चंद्रवंशी ने कहा, 'अब तक राज्य में 500 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि औसत बारिश 1334 मिलीमीटर होनी चाहिए। धान की रोपाई का काम 27 लाख हेक्टेयर रकबे में पूरा हो चुका है।'उन्होंने कहा कि सोयाबीन की बुआई 1।35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हो चुकी है। अन्य तिलहन और दलहन की बुआई प्रभावित हुई है। हालांकि अधिकारियों को उम्मीद है कि दलहन और तिलहन की फसल ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। उन्हें उम्मीद है कि धान की पैदावार बेहतर होगी, जिससे अन्य फसलों में होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाएगी। चंद्रवंशी ने कहा कि अगर बारिश जोरदार रहती है तो धान की बंपर पैदावार होगी। (बीएस हिंदी)
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