मुंबई July 20, 2010
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ नया विवाद जुड़ रहा है। एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज (एमसीएक्स एसएक्स) ने सेबी को अदालत के कठघरे में घसीट लिया है।बंबई उच्च न्यायालय में 16 जुलाई को दाखिल रिट याचिका में एक्सचेंज ने सेबी से जवाबतलबी की है। दरअसल उसने पूर्ण स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर काम करने की अनुमति मांगने के लिए सेबी के पास कुछ समय पहले दरख्वास्त दी थी, लेकिन उसमें हो रही देरी का जवाब उसने बाजार नियामक से मांगा है। याचिका में कहा गया है कि सेबी को उसकी दरख्वास्त खारिज कर देनी चाहिए या उसे इक्विटी, इक्विटी डेरिवेटिव, ब्याज दर डेरिवेटिव, म्युचुअल फंड और ऋण बाजार में कारोबार करने की मंजूरी देनी चाहिए।याचिका में कहा गया है कि स्टॉक एक्सचेंज ने इन श्रेणियों में कारोबार के लिए प्रमुख शर्त तकरीबन 3 महीने पहले ही पूरी कर ली थी। उसके लिए उसमें प्रमोटर की हिस्सेदारी कम कर ली गई थी। लेकिन इतनी मियाद गुजरने के बाद बाद भी सेबी ने उसे कोई जवाब नहीं दिया है।इस सिलसिले में सेबी को आज नोटिस भेजा गया। एमसीएक्स एसएक्स ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और सेबी ने भेजे गए ईमेल का अभी तक जवाब नहीं दिया।
एमसीएक्स एसएक्स इस बारे में शुक्रवार को ही सार्वजनिक तौर पर बोल चुका है। उसने अखबारों में विज्ञापन दिए थे और कहा था कि सेबी ने अजीबोगरीब हालात पैदा करते हुए उसे नई योजनाएं शुरू करने की मंजूरी तो नहीं दी, लेकिन इक्विटी का विनिवेश करने की बात कह रहा है। लेकिन निवेशक एक्सचेंज में हिस्सेदारी खरीदने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वहां कमाई की गुंजाइश नहीं है।किसी भी एक्सचेंज का नाम लिए बगैर विज्ञापन में एमसीएक्स एसएक्स ने यह भी कहा कि उसका प्रतिद्वंद्वी एक्सचेंज इस होड़ में आगे निकल रहा है क्योंकि वह मुफ्त में ही मुद्रा डेरिवेटिव्स दे रहा है, जिसकी वजह से एमसीएक्स एसएक्स को भी वैसा ही करना पड़ रहा है।विज्ञापन में कहा गया, निवेश करने से पहले नए निवेशक चाहते हैं कि एमसीएक्स एसएक्स को सभी श्रेणियों में कारोबार की अनुमति नियामक से मिल जाए, जबकि सेबी चाहता है कि कारोबार की अनुमति से पहले विनिवेश कर दिया जाए।विज्ञापन में यह भी कहा गया, कुछ तत्व हमारे शेयरधारकों के बीच संदेह उत्पन्न करने और हमारी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने तथा अपना स्वार्थ साधने के इरादे से भ्रामक सूचनाएं फैला रहे हैं। एमसीएक्स एसएक्स ने कहा कि उसने पूंजी कम करने के बारे में सेबी की शर्त पूरी कर दी है और उसे बंबई उच्च न्यायालय की मंजूरी भी मिल चुकी है।इस योजना के तहत हिस्सेदारी कम हो गई है और दोनों प्रमोटर कंपनियों मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया तथा फाइनैंशियल टेक्नोलॉजिज (इंडिया) लिमिटेड के पास 5-5 फीसदी हिस्सेदारी रह गई है। उनके पास 60 फीसदी स्वामित्व के वारंट भी हैं। सेबी के नियमों के मुताबिक पूंजी स्वामित्व का आकलन करते समय वारंट को शामिल नहीं किया जाता। (बीएस हिंदी)
21 जुलाई 2010
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