मुंबई 07 13, 2010
इस साल कच्चे और तराशे हुए हीरे की कीमतों में 15-20 प्रतिशत की और बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह है कि आपूर्ति की कमी है और उभरते बाजारों के उपभोक्ताओं की मांग बढ़ी है। पिछले साल हीरे की कीमतों में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इस साल करीब 15 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन मेहुल चौकसे ने कहा कि इस साल के अंत तक हीरों की कीमतों में मजबूती की उम्मीद है। इस विचार का समर्थन करते हुए मोरडे रापापोर्ट ने कहा है कि वैश्विक खननकर्ता अपनी आपूर्ति बढ़ाकर 2007-08 के स्तर पर नहीं करने जा रहे हैं, जिससे आपूर्ति प्रभावित होगी और कीमतों में तेजी आएगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हीरा प्रसंस्करणकर्ता देश है। 2009 में यहां कुल 7।5 अरब डॉलर केकच्चे हीरे का आयात हुआ, जबकि इसके पहले साल 12-13 अरब डॉलर का आयात हुआ था। डी-बीयर्स की रिपोर्ट के मुताबिक उसका वार्षिक उत्पादन 246 लाख कैरट रहेगा, जो 2008 के स्तर से 49 प्रतिशत कम है। रियो टिंटो की रिपोर्ट के मुताबिक वह 2009 में हुए उत्पादन की तुलना में अपने उत्पादन में 33 प्रतिशत की कटौती करेगी। कच्चे हीरे की वैश्विक उपलब्धता में इन दो कंपनियों की हिस्सेदारी 95 प्रतिशत से ज्यादा है। साथ ही डामत्शा माइन ( डेबस्वानन समूह की) पूरे 2009 में बंद रही। दक्षिण अफ्रीका की नमकलैंड माइन की भी कम से कम 3 साल की बंदी की घोषणा हो चुकी है और इसमें तब तक खनन नहीं शुरू होगा, जब तक कि कीमतें उस स्तर पर न पहुंचें कि खनन लाभदायक हो। इसका मतलब यह हुआ कि वित्तीय समर्थन न होने की वजह से खदानें बंद हो रही हैं। नई खदानों से हीरे निकालने में कम से कम 7-8 साल का वक्त लगेगा। रापापोर्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सब देखते हुए कम से कम अगले एक साल तक हीरे की आपूर्ति कम रहने की पूरी उम्मीद है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाजारों, जैसे चीन और भारत में लोग हीरों के आभूषण में निवेश कर रहे हैं, जिससे हीरे की वैश्विक मांग बनी रहने की उम्मीद है। उद्योग जगत के जानकारों ने कहा कि भारत का हीरा उद्योग इस साल 10 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करेगा, क्योंकि नए तलाशे गए बाजारों, जापान और पश्चिम एशिया के साथ चीन में संभावनाएं बढ़ी हैं। उद्योग के जानकारों का मानना है कि हीरे की उपलब्धता 25-30 प्रतिशत तक कम रहने की उम्मीद है। मुंबई की प्रसिद्ध आभूषण डिजाइनर फराह खान ने कहा कि कीमतों में पारदर्शिता से ग्राहक आकर्षित हो सकते हैं और निवेशक हीरे में निवेश बढ़ा सकते हैं। इस समय हीरे के आभूषणों को निवेश के एक बेहतर विकल्प के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, जिसमें वित्तीय सुरक्षा है। लेकिन निवेश विकल्प के रूप में नहीं, क्योंकि कच्चे और तराशे हीरों की कीमतों को लेकर पारदर्शिता का अभाव है। इसके चलते उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को लेकर फैसला करना बहुत कठिन साबित होता है।एक अन्य आभूषण डिजाइनर और खुदरा कारोबारी बीना गोयनका लग्जरी ग्रुप की निदेशक बीना गोयनका ने कहा कि सोने की ही तरह हीरे की भी रीसेल वैल्यू है लेकिन कीमतों को लेकर पारदर्शिता के अभाव के चलते हीरे का कारोबार प्रभावित होता है। (बीएस हिंदी)
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