22 जुलाई 2010
सोने के भाव में चमक रहने के आसार
नई दिल्ली सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला साल 2011 में 11वें साल भी जारी रहने की पूरी उम्मीद है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अभी भी अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सोने में निवेशकों की दिलचस्पी बनी रहेगी। सुरक्षित निवेश की चाह में लोग और सोना खरीदेंगे, जिससे इसकी कीमत बढ़ेगी। 55 विश्लेषकों और कारोबारियों के बीच हुए रॉयटर्स के हालिया सवेर् के मुताबिक, 2011 में सोने का दाम पहले के अनुमान से सात फीसदी ज्यादा 1,228 डॉलर प्रति औंस हो सकता है। इससे पहले जनवरी में किए गए सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि सोने की कीमत साल 2011 में बढ़कर 1,150 डॉलर पर पहुंच सकती है। इसी तरह से साल 2010 के लिए भी सोने की कीमतों का अनुमान चार फीसदी बढ़ाकर 1,197 डॉलर प्रति औंस कर दिया गया है। इससे पहले जनवरी में इस साल सोने की कीमतें 1,150.50 डॉलर पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बुधवार को सोने की कीमतों में तेजी आई। साथ ही इसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखा जहां पांच दिन की गिरावट के बाद सोना मजबूत हुआ। पुर्तगाल के बॉन्ड नीलामी करने से पैदा हुई चिंताओं के चलते यूरोप में सोने की कीमतों में उछाल आया। हालांकि सोने की कीमत में यह उछाल सीमित ही रहा। हाजिर बाजार में सोने की कीमत 1,195.70 डॉलर प्रति औंस रही जबकि एक दिन पहले यह 1,191.40 डॉलर प्रति औंस थी। अमेरिका में सोने का अगस्त वायदा भाव 3.70 डॉलर मजबूत होकर 1,195.40 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। दिल्ली में सोना पिछले 5 दिन से जारी कमजोरी के रुझान को आखिरकार तोड़ने में कामयाब रहा। यहां सोने की कीमत 125 रुपए उछलकर 18,600 रुपए प्रति 10 ग्राम रही। औद्योगिक मांग के चलते चांदी भी 80 रुपए के उछाल के साथ 28,980 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई। कारोबारियों के मुताबिक, विदेशी बाजारों से मिले अच्छे संकेतों के चलते स्टॉकिस्टों और रीटेलरों ने जमकर खरीदारी की और इससे सोने की कीमतों में तेजी पैदा हुई। दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ एसपीडीआर गोल्ड ट्रस्ट में हालांकि सोने की होल्डिंग में मंगलवार को दिसंबर के बाद एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई है। इस होल्डिंग में 6.1 टन की गिरावट मंगलवार को दर्ज की गई थी। सिटीग्रुप के एनालिस्ट डेविड थुर्टेल के मुताबिक, 'अप्रैल, मई और जून में सोने की खूब खरीदारी हुई है। हालांकि यूरोप संकट की वजह से सोने में ज्यादा तेजी दर्ज की गई है, लेकिन जैसे ही इस स्थिति में सुधार होगा सोने की कीमतों में गिरावट आएगी। हालांकि अभी भी ऐसे लोग हैं जो 1,200 डॉलर से ज्यादा कीमत पर सोने को खरीदने में घबराहट का अनुभव कर रहे हैं।' सोने की कीमतें जून के अंत में 1,264.90 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। यूरोप कर्ज संकट के चलते शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव आया है। इसके चलते सुरक्षित निवेश में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। सीपीएम ग्रुप के एनालिस्ट रोहित सावंत के मुताबिक, 'एक और मंदी का दौर आने की बड़ी चिंता ने सोने में निवेश की मांग को बनाए रखा है। निवेशक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव को लेकर काफी सशंकित हैं।' ग्रीस, स्पेन और पुर्तगाल समेत कई सरकारों ने अपने यहां घाटे की भरपाई करने के लिए खर्च में कटौती की रणनीति अपनाई है। संकट के भंवर से जूझते इन देशों के खर्च में कटौती के कदम से कुछ हद तक शेयर बाजारों में भरोसा पैदा हुआ है। हालांकि बाजार को लेकर अभी भी चिंताएं कायम हैं। सोने में इस साल की शुरुआत से ही अच्छी तेजी बनी हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक सोने की कीमतों में करीब नौ फीसदी की तेजी आ चुकी है। लंबे वक्त के लिहाज से आर्थिक रिकवरी के रफ्तार पकड़ने और बाजारों में स्थिरता पैदा होने का असर सोने की कीमतों पर दिखाई दे सकता है। शेयर बाजारों में लोगों की निवेश दिलचस्पी बढ़ी तो सोना कमजोर पड़ सकता है। (ई टी हिंदी)
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