मुंबई July 21, 2010
भारत में एल्युमीनियम की खपत में अगले 4 साल के दौरान संयुक्त सालाना वृद्धि दर 9।5 प्रतिशत हो सकती है। इसकी वजह बिजली और ऑटोमोटिव क्षेत्र में बढ़ी मांग है। रेटिंग एजेंसी क्रेटिड एनॉलिसिस ऐंड रिसर्च (केयर) के अनुमान के मुताबिक देश में एल्युमीनियम की खपत 2009-10 के 14 लाख टन से बढ़कर 2013-14 में 20.5 लाख टन होने की उम्मीद है। 2002-10 के बीच खपत में 12 प्रतिशत प्रति साल की सालाना बढ़ोतरी हुई और यह 5 लाख टन से बढ़कर 14 लाख टन हो गई। उपभोक्ता उद्योगों में मंदी की वजह से 2009 में एल्युमीनियम की खपत न्यूनतम हो गई। उसके बाद से वैश्विक एल्युमीनियम उद्योग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वैश्विक मंदी के चलते 2009 में भंडार बढ़क र 7,39,000 टन हो गया था। ब्रिटेन की वल्र्ड ब्यूरो आफ मेटल स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी-अप्रैल के बीच एल्युमीनिम का भंडार पिछले साल की समान अवधि के 9,05,000 टन से घटकर 2,95,000 टन रह गया। ब्रोकिंग फर्म शेयरखान के जिंस विश्लेषक प्रवीण सिंह ने कहा कि इससे साफ होता है कि खपत बढ़ रही है। इलेक्ट्रिकल, ऑटोमोटिव और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में मांग बढऩे की वजह से एल्युमीनियम की मांग भारत में बढऩे की संभावना है। ये तीनो क्षेत्र कुल मिलाकर देश में कुल एल्युमीनियम की खपत में 68 प्रतिशत हिस्सेदारी निभाते हैं।इसमें बिजली क्षेत्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 36 प्रतिशत है। वहीं ऑटोमोटिव और कंस्ट्रक् शन क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमश: 22 प्रतिशत और 10 प्रतिशत है। घरेलू बाजार में एल्युमीनियम के उपभोग का तरीका अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में अलग है। वैश्विक बाजार में जहां ऑटोमोटिव और कंस्ट्रक् शन क्षेत्र में एल्युमीनियम की खपत ज्यादा होती है, भारत में विद्युत पारेषण क्षेत्र में इसकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। उम्मीद की जा रही है कि ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक् शन क्षेत्र में इसकी सालाना खपत में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ऑटोमोबाइल और विद्युत के क्षेत्र में एल्युमीनियम का इस्तेमाल स्टील और तांबे के विकल्प के रूप में बढ़ा है।इसकी वजह से एल्युमीनियम की मांग इस क्षेत्र में ज्यादा रहने की संभावना है। (बीएस हिंदी)
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