नई दिल्ली July 28, 2010
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार भले ही कह रहे हों कि आगामी सीजन में बंपर खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद में खाद्य महंगाई दर घट जाएगी, लेकिन धातुओं की कीमतों में आ रही तेजी से कोर सेक्टर की महंगाई दर ऊंची रह सकती है, जो कि सरकार के लिए महंगाई के मोर्चे पर नई मुसीबत बन सकती है।धातु विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका में रियल एस्टेट और ऑटो क्षेत्र में आई मजबूती के साथ ही वैश्विक इक्विटी बाजार तेज होने का असर धातुओं की कीमतों पर पड़ रहा है। अमेरिका के अलावा चीन, भारत सहित अन्य देशों में मांग बढऩे के कारण धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।साथ ही यूरो , डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ है, जिससे भी धातुओं की कीमतों में तेजी को बल मिला है। उनके मुताबिक सितंबर से धातुओं की मांग और बढ़ेगी, जिससे इनके दाम काफी बढऩे की संभावना है। वहीं दूसरी ओर मांग बढऩे से लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में धातुओं की इंवेंट्री में भी कमी आई है।मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में इस दौरान तांबा अगस्त वायदा 308।45 रुपये बढ़कर 334.55 रुपये प्रति किलोग्राम, एल्युमीनियम अगस्त वायदा 93 रुपये से बढ़कर 97.15 रुपये प्रति किलो , सीसा 84.85 रुपये से बढ़कर 92.80 रुपये प्रति किलो, निकल अगस्त वायदा 901.50 रुपये से बढ़कर 966.00 रुपये प्रति किलो और जस्ता अगस्त वायदा 86.25 रुपये से बढ़कर 91.25 रुपये प्रति किलो हो गया।ऐंजल ब्रोकिंग के वरिष्ठï धातु विश्लेषक अनुज गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि वैश्विक इक्विटी बाजार में तेजी का असर धातुओं की कीमतों पर पड़ा है। उनका कहना है कि पिछले सप्ताह अमेरिका में रियल एस्टेट के सकारात्मक आंकड़े आए है। धातु विश्लेषक अभिषेक शर्मा का इस बारे में कहना है कि इस माह डॉलर के मुकाबले यूरो मजबूत होकर दो माह के उच्चतम स्तर तक चला गया है। इसके अलावा यूरोप के देशों में आए आर्थिक संक ट में भी सुधार हुआ है। (बीएस हिंदी)
29 जुलाई 2010
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