कोच्चि July 29, 2010
टायरों के दाम में और तेजी की उम्मीद बन रही है। दरअसल रबर की कीमतें प्रतिदिन नई ऊंचाइयां छू रही हैं। अपोलो टायर्स के चेयरमैन ओंकार एस कंवर ने कहा कि रबर की कीमतें सिर्फ 12 महीने में करीब 150 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। ऐसे में टायर उद्योग को कीमतों में तेजी से तालमेल बिठाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है। चालू साल में टायर की कीमतें तीन बार बढ़ी हैं। इसके चलते टायर 10-12 प्रतिशत महंगे हुए हैं। कंवर ने कहा कि रिप्लेसमेंट सेग्मेंट में अपोलो टायर्स ने कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं किया है। अब उपभोक्ताओं पर बोझ डालने से बचना बहुत कठिन साबित हो रहा है। कंपनी ने अभी तक कोई निश्चित फैसला नहीं किया है कि कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का बोझ कब तक सहा जाए। टायर विनिर्माण क्षेत्र अब गंभीरता से इस मसले पर विचार कर रहा है कि ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (ओईएम) सेग्मेंट में कीमतें बढ़ाई जाएं। इसकी वजह है कि मुनाफा अब नकारात्मक क्षेत्र में जा रहा है। साथ ही ऑटोमोबाइल निर्माता भी अब मजबूरियां समझ रहे हैं और पहले के सौदों के पूरा होने के बाद से कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में जान रहे हैं।कंवर ने कहा, 'वर्तमान स्थिति में हम और नुकसान नहीं उठा सकते। हम इस मसले पर विभिन्न ऑटोमोबाइल कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं। उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्राकृतिक रबर की कीमतों में बढ़ोतरी का टायर उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है।'अपोलो टायर्स ने 2009-10 में ओईएम सेग्मेंट से कुल राजस्व का 15 प्रतिशत हासिल किया था। प्राकृतिक रबर की कीमतों में तेजी की वजह से कंपनी की वित्त वर्ष 11 के तिमाही परिणामों पर बुरा असर पड़ा है। कंवर ने कहा कि संपनी आने वाले दिनों में भारत और विदेश में विस्तार के लिए योजनाएं बना रही है। कंपनी चालू वित्त वर्ष में भारत में 700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसमें से चेन्नई की ग्रीनफील्ड परियोजना में 300 करोड़ रुपये और केरल के पेराम्ब्रा में 200 करोड़ रुपये और बड़ौदा संयंत्र पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अपोलो अन्य आसियान देशों में भी संचालन शुरू करने पर विचार कर रही है। कंपनी ने विदेश में निवेश के लिए भी योजनाएं बनाई है। दक्षिण अफ्रीका में अपनी सहायक कंपनी अपोलो टायर्स साउथ अफ्रीका (पहले डनलप टायर्स) के माध्यम से 300 लाख अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना है। कंपनी की वहां 4 विनिर्माण इकाइयां हैं। विस्तार योजना के तहत कंपनी नीदरलैंड की अपोलो व्रेडेंस्टियन के माध्यम से चालू वित्त वर्ष में 60 लाख यूरो का निवेश करेगी।भारत की टायर कंपनी ने मई 2009 में नीदरलैंड की व्रेडेंस्टियन बैंडेन बीवी का अधिग्रहण किया था। कंपनी का वित्त वर्ष 2009-10 में पूंजी पर कुल खर्च 7।9 अरब डॉलर रहा और कुल उत्पादन 1190 टन रोजाना रहा। (बीएस हिंदी)
30 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें