मुंबई July 26, 2010
महाराष्ट्र में चौतरफा बारिश होने से खरीफ की करीब 90 प्रतिशत फसलों की बुआई हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि 2010-11 सत्र में धान, कपास, तूर, मक्के के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। राज्य के किसानों ने कपास, तूर और मक्के की फसलों में दिलचस्पी दिखाई है, वहीं ज्वार, बाजरा और सोयाबीन का रकबा घटा है। राज्य सरकार के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक धान का उत्पादन 28 लाख टन, कपास का 84 लाख टन, मक्के का 21 लाख टन और चने का उत्पादन 11।8 लाख टन रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री बाला साहेब थोराट ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'जून में हुई चौतरफा बारिश महाराष्ट्र में खरीफ की खेती के लिए बेहतर रही।खरीफ सत्र में धान की रोपाई बेहतर हुई है। जून के बुआई के महीने में मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ इलाकों में बारिश कम हुई है। बहरहाल, जुलाई के पहले हफ्ते में हुई बारिश से बुआई की गतिविधियां उन इलाकों में तेज हुई हैं।' उन्होंने कहा कि राज्य में बुआई का सामान्य रकबा 132.3 लाख हेक्टेयर है, जबकि 118.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुआई हो चुकी है। मंत्री के मुताबिक कपास की बुआई का रकबा बढ़कर 38 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि 2009-10 में यह 35 लाख हेक्टेयर था। वहीं किसानों ने 5.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मक्के की बुआई की है, जबकि पिछले साल यह रकबा 4.2 लाख हेक्टेयर था। तूर के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है और पिछले साल के 12 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल 12.4 लाख हेक्टेयर में तूर क ी बुआई हुई है। थोराट ने कहा कि मक्के का प्रयोग चारे के लिए होता है। साथ ही इसकी उत्पादकता पिछले साल के 2011 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 2212 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। जहां तक कपास के रकबे में बढ़ोतरी का सवाल है, बीटी कपास की मांग बढ़ रही है, क्योंकि इसकी उत्पादकता 285 लिंट किलो से बढ़कर 375 लिंट किलो पहुंच गई है। बहरहाल सोयाबीन के रकबे में कमी आई है और यह पिछले साल के 30 लाख हेक्टेयर से घटकर 23 लाख हेक्टेयर रह गया है। मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादक इलाकों में बारिश की अनिश्चितता के चलते किसानों ने इसकी खेती से मुंह मोड़ लिया है। ज्वार का भी रकबा पिछले साल के 10 लाख हेक्टेयर से घटकर इस साल 8.8 लाख हेक्टेयर रह गया है। राज्य के कृषि आयुक्त प्रभाकर देशमुख ने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढऩे की एक वजह यह भी है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन को प्रभावी तरीके से लागू किया गया है। तिलहन, मक्के और पाम आयात के लिए योजनाएं बनी हैं और दलहन विकास योजना, तकनीकी मिशन के जरिए किसानों को लाभ पहुंचा है। (बीएस हिंदी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें