मुंबई July 22, 2010
दिनोंदिन आसमान छूते सोने के भाव देखकर आप भी इसमें निवेश का मौका चूकना नहीं चाहते होंगे। कमोडिटी बाजारों में सोने में निवेश के नाम पर अभी तक गिन्नी, बार या गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्पों के नाम ही लिए जाते हैं। लेकिन 'ई-गोल्ड' नाम का नया निवेश साधन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और जानकार मानते हैं कि जल्द ही यह ईटीएफ आदि पर भी भारी पड़ सकता है। हालांकि कुछ लोग अभी इसकी परख के लिए वक्त चाहते हैं।अभी तक तो गोल्ड ईटीएफ पर ही निवेशकों का सबसे ज्यादा लाड़ उमड़ा है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि ई-गोल्ड उससे भी बेहतर है। नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) पर 17 मार्च से ही ई-गोल्ड में सौदे शुरू हो चुके हैं और औसतमन 15-16 करोड़ रुपये के सौदे रोजाना हो रहे हैं।एनएसईएल के अधिकारियों के मुताबिक ई-गोल्ड के जरिये हाजिर में सोने की खरीदारी के बजाय डीमैट खाते में विशुद्घ सोना खरीदा जा सकता है। इसे डीमैट खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जाता है। इसे शेयर कारोबार की तरह मान सकते हैं, जहां शेयरों के भाव कंपनी के नतीजों पर निर्भर रहते हैं। ई-गोल्ड में निवेश करने का दूसरा फायदा यह है कि इसमें निवेश रात के साढ़े ग्यारह बजे तक सौदे कर सकते हैं, जबकि गोल्ड ईटीएफ में सौदे शाम को ही बंद हो जाते हैं। एनएसईएल के प्रबंध निदेशक अंजनी सिन्हा कहते हैं कि ईटीएफ में सालाना खर्च 1 फीसदी होता है, लेकिन ई-गोल्ड में आंकड़ा केवल 0।4 फीसदी है। ईटीएफ में सुबह 9 बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक सौदे होते हैं, जबकि ई-गोल्ड में सौदों का समय सुबह 10 बजे से रात के साढ़े ग्यारह बजे तक होता है। सोने के बाजार में भाव शाम को घटते-बढ़ते हैं। उस वक्त ईटीएफ में सौदे बंद हो चुके होते हैं, लेकिन ई-गोल्ड में सौदे हो सकते हैं।सिन्हा कहते हैं कि गोल्ड ईटीएफ म्युचुअल फंड होने के कारण उसके भाव एनएवी पर निर्भर होते हैं। एनएवी सोने के भाव से अलग होते हैं और उनकी खरीदफरोख्त ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी की ओर से तय कीमत पर होती है। इसके उलट ई-गोल्ड के भाव बाजार में सोने के वास्तविक भाव ही होते हैं। सोने के भाव बाजार के हिसाब से अलग-अलग होते हैं, लेकिन ई-गोल्ड में भाव एक ही रहता है।हालांकि आदित्य बिड़ला मनी के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख अमर सिंह कहते हैं कि अभी ई-गोल्ड को सबसे बेहतर मानना जल्दबाजी होगी। उनके मुताबिक ईटीएफ में भाव सूचकांक आधारित होता है और ई-गोल्ड में भाव हाजिर बाजारों में उपलब्ध भाव के मुताबिक होते हैं। ई-गोल्ड की डिलीवरी पर ही सफलता निर्भर है। बड़े निवेशक 1 किलोग्राम या अधिक सोने में निवेश करते हैं, जिस पर मेकिंग चार्ज नहीं लिया जाता। लेकिन छोटे निवेशक 10 ग्राम या 100 ग्राम में निवेश करते हैं तो उनसे चार्ज लिया जाएगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1 किलो के बार में आता है और उसे छोटे आकार में ढाला हाता है। (बीएस हिंदी)
23 जुलाई 2010
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