July 29, 2010
देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक कंपनी एनएमडीसी इस समय विस्तार की राह पर है। इसमें विस्तार योजनाएं और विलय तथा अधिग्रहण शामिल है। तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में निर्माण क्षेत्र, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में स्टील की मांग बढऩे के साथ लौह अयस्क की जरूरतें बढ़ रही हैं। इस सिलसिले में एनएमडीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राणा सोम ने ईशिता आयान दत्त से विस्तार से बातचीत की। पेश हैं खास अंश...राणा सोम, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, एनएमडीसीएनएमडीसी इस समय वैश्विक कारोबार पर ध्यान देती नजर आ रही है। आपका ध्यान किन प्रमुख क्षेत्रों पर है?हमने विदेशी संपत्ति का अधिग्रहण करने की कोशिश तेज कर दी है। न सिर्फ कंपनी के हित में, बल्कि कच्चे माल की देश की दीर्घावधि जरूरतों को देखते हुए भी हम काम कर रहे हैं। हम दो क्षेत्रों में काम कर रहे हैं- पहला कोकिंग कोल, जो स्टील उद्योग के लिए बहुत जरूरी कच्चा माल है, दूसरा लौह अयस्क। क्या एनएमडीसी के पास पर्याप्त लौह अयस्क नहीं है?हमारे पास सिर्फ बेलाडिला खदान में ही 1।5 अरब टन का लौह अयस्क का भंडार है। पिछले 4 महीने के अध्ययन में अपनी क्षमता में हमने 61.1 करोड़ टन का भंडार और जोड़ा है। यह दुनिया का सबसे बेहतरीन गुणवत्ता वाला लौह अयस्क है। लेकिन स्टील की क्षमता बढ़कर 20 करोड़ टन हो गई है, जिससे सिर्फ हमारी जरूरतें 30 करोड़ टन की हैं। वर्तमान में हमारे पास खनन योग्य भंडार 680 करोड़ टन का है, जो 25-30 साल में खत्म हो जाएगा। यह मायने नहीं रखता कि हम कितना खनन करते हैं, यह निश्चित खनन सीमा है। योजनाओं में क्या प्रगति है?इस साल के अंत में हम छत्तीसगढ़ संयंत्र पर काम शुरू कर देंगे। कर्नाटक के लिए हम नई तकनीक ला रहे हैं और इसके लिए हम निप्पन स्टील से बात कर रहे हैं। अधिग्रहण के लिए आपने क्या तरीका अपनाया है?हमने एनएमडीसी ग्लोबल बनाया है। अतुल भट्ट इसके कार्यकारी निदेशक हैं। मैने उनसे कहा है कि वे हमेशा यात्रा के लिए तैयार रहें। वे किसी भी समय वैश्विक संपत्ति के लिए यात्रा पर निकल सकते हैं।क्या आपने भौगोलिक पहचान कर ली है?हां, इसमें से एक अफ्रीका है। यहां पर उच्च गुणवत्ता का हेमेटाइट लौह अयस्क मौजूद है। दूसरा ऑस्ट्रेलिया है। बहरहाल ऑस्ट्रेलिया के बड़े हिस्से में गुणवत्तायुक्त लौह अयस्क नहीं है। तमाम कंपनियां मैग्नेटाइट लौह अयस्क भंडार के अधिग्रहण में लगी हैं, ऐसे में एनएमडीसी हेमेटाइट पर क्यों ध्यान केंद्रित कर रही है?उच्च गुणवत्ता वाले हेमेटाइट की मांग हर तरफ है। वैश्विक अनुमानों से संकेत मिलता है कि मैग्नेटाइट की पैलेट्स की कीमतें गिरेंगी, जबकि हेमेटाइट की कीमतें बढ़ेंगी। हम ऐसी संपत्ति का अधिग्रहण करेंगे, जहां मुनाफा ज्यादा हो। आपने 2013-14 तक 510 लाख टन लौह अयस्क उत्पादन का अनुमान लगाया है। क्या इसमें अधिग्रहण शामिल है?नहीं। यह सिर्फ हमारे वर्तमान खदानों से उत्पादन का अनुमान है। इस समय लौह अयस्क के तिमाही सौदे हो रहे हैं। यह कैसा चल रहा है?लंबी अवधि के सौदों और हाजिर दामों में बहुत ज्यादा अंतर हो सकता है। लौह अयस्क का वैश्विक बाजार चीन पर निर्भर है। इससे बचा नहीं जा सकता।कुछ वैश्विक अनुमानों के मुताबिक यह व्यवस्था ठीक नहीं चल रही है?घरेलू बाजार के लिए यह कठिन है। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। (बीएस हिंदी)
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