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10 जुलाई 2010

मांग में तेजी से इलायची के भाव बढ़े

कोच्चि July 08, 2010
बाजार में इलायची की नई फसल आने में थोड़ी देरी होने से कीमतों में तेजी आई है। नीलामी के दौरान औसत कीमतें 15,00 रुपये किलोग्राम को पार गई हैं। केरल के इडुक्की जिले के कुछ क्षेत्रों में कटाई का काम शुरू हो गया है। इडुक्की देश का सबसे बड़ा इलायची उत्पादक केंद्र है। बाजार में नई इलायची की आपूर्ति अभी कम है और अगस्त के आखिर यह रफ्तार पकड़ेगी।जिले में हल्की बारिश से किसान उत्साहित हैं और इस साल अच्छी फसल की उम्मीद है। वंदनमेडु के किसान का कहना है, 'अब तक मौसम को लेकर हम भाग्यशाली रहे हैं क्योंकि फसल की बढ़त के लिए पर्याप्त बारिश हुई है। इस महीने की 2 तारीख को दूसरे क्रम की नीलामी में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली इलायची की कीमत 1770 रुपये किलो दर्ज हुई है।किसान कीमतों को लेकर काफी आशान्वित हैं क्योंकि उत्पादन पिछले सत्र के समान स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। इलायची उत्पादक संघ (सीजीए) के अध्यक्ष के एम माइकल का कहना है कि इस साल कुल उत्पादन 10,000 टन रह सकता है जो 2009 के सत्र से ज्यादा है। त्योहारों के चलते अच्छी मांग है, लिहाजा आने वाले हफ्तों में अच्छे दाम मिल सकते हैं। देश के बाहर खास तौर से पश्चिम एशिया के देशों से अच्छी मांग आ रही है। दुनिया के सबसे बड़े इलायची उत्पादक देश ग्वाटेमाला से पिछले कुछ सालों में आपूर्ति घटने से भारत से इलायची की मांग बढ़ी है। पिछले 5 सत्रों से ग्वाटेमाला में उत्पादन घट रहा है क्योंकि किसानों को फसल लगाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है और इलायची में कॉफी के मुकाबले आमदनी कम है। मसाला बोड्र के सूत्रों के मुताबिक कॉफी में मिल रही ज्यादा कीमत के चलते किसान इलायची के बजाए इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसी वजह से ग्वाटेमाला में उत्पादन लगातार गिर रहा है। दो सत्रों पहले जब कीमतों में उछाल देखी जा रही थी, तो किसानों से फिर से इलायची की खेती शुरू की थी, लेकिन नई फसल से पूरी मात्रा में इलायची मिलने में 3 साल का वक्त लगता है। लिहाजा इस समय भारत वैश्विक बाजार एक बड़ा उत्पादक है। इडुक्की के किसानों के मुताबिक आने वाले त्योहारों और ठंड के मौसम की वजह से घरेलू और वैश्विक मांग अच्छी रहेगी जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है। कोच्चि के एक निर्यातक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रमजान को देखते हुए खाड़ी देशों से अच्छी मांग है जिससे कीमतों के और मजबूत होने की संभावना है। नीलामी केंद्रों को औसत रूप से 10,000 किलो इलायची हासिल हो रही है, लेकिन ताजा इलायची की आपूर्ति 1500-2000 किलो तक सीमित है। फसल को पकने में अभी 3-4 हफ्तों का समय लगेगा और अगस्त के मध्य से ही अच्छी आपूर्ति हो सकेगी। फिलहाल उन्हीं इलाकों से ताजा आपूर्ति हो रही है जहां मॉनसून जल्दी पहुंचा है और जल स्त्रोत पर्याप्त हैं। इस सत्र में इलायची उत्पादक क्षेत्रों का मौसम अच्छे उत्पादन के लिहाल से सही रहा है। माइकल का कहना है कि कीमतों में तेजी की वजह से इलायची का रकबा पिछले 12-15 महीनों में 10-12 फीसदी बढ़ा है, लेकिन पूरी तरह से पैदावार हासिल होने में अभी और 2 साल का वक्त लगेगा। लिहाजा इस साल उत्पादन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। (बीस हिंदी)

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